कोरोना की वजह से इस समय स्वास्थ्य और जीवन बीमा की जितनी अहमियत महसूस की जा रही है, उतनी पहले कभी नहीं हुई। यहां तक कि जो लोग पहले ये कवर लेने में कोई दिलचस्पी नहीं लेते थे, अब वे भी नई पॉलिसी खरीदने के बारे में विचार कर रहे हैं या अपनी मौजूदा पॉलिसी की बीमित राशि को बढ़ाना चाहते हैं। इस बीच बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने ग्राहकों के लिए नियम सरल बनाने के लिए स्वास्थ्य (सामान्य) और जीवन बीमा कंपनियों को कुछ दिशानिर्देश जारी किए हैं।स्वास्थ्य बीमा, प्रीमियम किस्तों में चुकाएं नियामक ने 20 अप्रैल 2020 को एक परिपत्र जारी कर स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराने वाली कंपनियों को यह मंजूरी दी है कि वे अपने ग्राहकों को किस्तों में प्रीमियम चुकाने की सहूलियत दे सकती हैं। लॉकडाउन के बीच बहुत से ग्राहकों के सामने वित्तीय मुश्किलें आ सकती हैं, इसलिए यह कदम ग्राहकों का बोझ कम करेगा। मणिपालसिग्ना हेल्थ इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) प्रसून सिकदर ने कहा, 'यह ग्राहकों को वित्तीय बोझ उठाने योग्य विकल्प मुहैया कराने और ज्यादा लोगों को स्वास्थ्य बीमा खरीदने के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश है।' कुछ बीमा कंपनियां सभी विकल्पों के तहत पहले जितना ही प्रीमियम लेंगी। स्टार हेल्थ ऐंड एलाइड इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक एस प्रकाश ने कहा, 'भले ही भुगतान का तरीका कोई भी हो, प्रीमियम की राशि पहले जितनी ही रहेगी।' हालांकि ब्रोकर यह कह रहे हैं कि अगर आप सालाना प्रीमियम चुकाने के अलावा अन्य कोई विकल्प चुनते हैं तो कुछ कंपनियां शुल्क वसूल सकती हैं। थोड़े-थोड़े समय बाद भुगतान के विकल्प से प्रीमियम चुकाने का बोझ हल्का होता है। पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के बिज़नेस हेड (स्वास्थ्य बीमा) अमित छाबड़ा ने कहा, 'कोरोना के कुछ मामलों में मरीज को पहले से कुुछ अन्य समस्याएं होने से इलाज की लागत 14 से 15 लाख रुपये तक आई है। अगर आपके फैमिली फ्लोटर में बीमित राशि पर्याप्त नहीं है तो अपना कवर बढ़ाने के लिए मासिक भुगतान का विकल्प इस्तेमाल करें।'दो घंटों में मंजूरी कभी-कभी अस्पताल में भर्ती कराने के समय मरीजों को कैशलेश इलाज कराने के लिए बीमा कंपनी से मंजूरी लेने से पहले लंबे समय तक इंतजार करना पड़़ता है। आईआरडीएआई ने बीमा कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे इसे दो घंटे में मंजूरी दें। यही समय सीमा अस्पताल से डिस्चार्ज पर भी लागू होती है। आईआरडीएआई ने पहले यह कहा था कि कोविड-19 के मामलों को निपटाने में प्राथमिकता दी जानी चाहिए और इस बीमारी के किसी दावे को खारिज करने से पहले उसकी समीक्षा बीमा कंपनी की दावा समीक्षा समिति (एक उच्च स्तरीय समिति) द्वारा की जानी चाहिए। आईआरडीएआई ने बीमा कंपनियों से प्रक्रियाओं को आसान बनाने के लिए कहा है। इसका मतलब है कि वे बहुत अधिक दस्तावेजों की मांग नहीं करेंगी या बहुत समय लगने वाली जांच-पड़ताल नहीं करेंगी। 30 दिन की मोहलत ज्यादातर स्वास्थ्य पॉलिसी नवीनीकरण प्रीमियम के भुगतान में 30 दिन की मोहलत देती हैं। अब आईआरडीएआई ने 30 दिन की अतिरिक्त मोहलत मुहैया कराई है ताकि जो लोग भुगतान के लिए चेक जैसे ऑफलाइन तरीके अपनाते हैं, वे लॉकडाउन खत्म होने के बाद भुगतान कर सकें। प्रकाश ने कहा, 'अगर ग्राहक मोहलत की अवधि में भुगतान कर देते हैं तो उन्हें कवर और लाभ मिलते रहेंगे।' स्वास्थ्य पॉलिसी में पहले से मौजूद बीमारियों (पीईडी) के लिए दो से चार वर्ष का वेटिंग पीरियड होता है। अगर आप मोहलत की अवधि में पॉलिसी का नवीनीकरण नहीं करा पाए तो आपको नई पॉलिसी खरीदनी होगी और पीईडी के लिए वेटिंग पीरियड फिर से शुरू होगा। जीवन बीमा, दावे की प्रक्रिया हुई सरल नियामक ने बीमा कंपनियों से कहा है कि कोविड-19 से होने वाली मौतों के दावों की प्रक्रिया सरल बनाई जाए। अनिल ने कहा, 'अगर दावे के फॉर्म में यह कहा जाता है कि कोविड-19 की वजह से मौत हुई है तो हम अतिरिक्त दस्तावेज नहीं मांगेंगे। हम केवल मृत्यु प्रमाण-पत्र या अस्पताल के दस्तावेज से दावे को पारित कर देंगे।' आम तौर पर बीमा कंपनियां इलाज का रिकॉर्ड मांगती हैं और कई बार मामलों की जांच भी करती हैं।प्रीमियम चुकाने के लिए ज्यादा समय जीवन बीमा पॉलिसी के ग्राहकों के लिए भी 30 दिन की मोहलत अवधि बढ़ाई गई है। जीवन बीमा कंपनियां मासिक भुगतान में 15 दिन की मोहलत देती हैं और वहीं भुगतान की अन्य अवधियों में 30 दिन की मोहलत मुहैया कराई जाती है। अब मोहलत की प्रभावी अवधि 45 से 60 दिन हो गई है। अगर आप मोहलत की अवधि में प्रीमियम नहीं चुका पाते हैं तो आप पॉलिसी को छह महीने में फिर से चालू कर सकते हैं। इसके लिए आपको बकाया प्रीमियम और ब्याज (कई बार कंपनियां छोड़ भी देती हैं) चुकाना होगा। अगर यह अवधि भी बीत जाती है तो आपको नए सिरे से स्वास्थ्य जांच करानी होंगी।यूलिप में निपटान के लिए मोहलत की अवधि नियामक ने 31 मई 2020 तक परिपक्व होने वाले सभी यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप) को लेकर बीमा कंपनियों से ग्राहकों को निपटान का विकल्प मुहैया कराने को कहा है। वे एकमुश्त फंड वैल्यू प्राप्त करने के बजाय इसे पांच वर्ष की अवधि के दौरान प्राप्त कर सकते हैं। प्रत्येक वर्ष की समाप्ति पर कम से कम 20 फीसदी भुगतान किया जाएगा। बजाज आलियांज लाइफ के प्रमुख (विधि एवं अनुपालना) अनिल पीएम ने कहा, 'यह विकल्प मुहैया कराया जाना चाहिए भले ही यह फीचर यूलिप उत्पाद में मुहैया कराया गया हो या नहीं।' अगर कुछ वर्षों के बाद ग्राहक बैलेंस को एकमुश्त निकालना चाहते हैं तो वे ऐसा कर सकते हैं। पीएनबी मेटलाइफ इंश्योरेंस के प्रमुख (उत्पाद) मोहित गर्ग ने कहा, 'बाजार में हाल की गिरावट में यूलिप की नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) और उनकी फंड वैल्यू में भारी कमी आई है। अगर ग्राहक मियाद में इस बढ़ोतरी का विकल्प चुनते हैं तो उम्मीद है कि कुछ समय बाद बाजार सुधर जाएगा और उनकी फंड वैल्यू सुरक्षित रहेगी।' जिन ग्राहकों को इस समय पैसे की जरूरत नहीं है, वे इस विकल्प को चुन सकते हैं। उन्हें अपनी फंड वैल्यू दोबारा मिलने के अलावा कर मुक्त आय जरिया मिलेगा। एक्साइड लाइफ इंश्योरेंस के निदेशक (रणनीति) संजय तिवारी ने कहा, 'अगर कवर प्रीमियम का कम से कम 10 गुना है तो निपटान भुगतान भी कर मुक्त होगा।
