संकट ने डेरा डाला तो सही कर्ज का लें सहारा | |
संजय कुमार सिंह और बिंदिशा सारंग / 05 26, 2020 | | | | |
मुंबई की 42 वर्षीय मानसी सिंह (आग्रह पर नाम में बदलाव) खुद का काम करने वाली पेशेवर हैं। वह एक अमेरिकी और एक अन्य मुंबई की कंपनी को ब्रांडिंग और मार्केटिंग संचार से संबंधित परामर्श मुहैया कराती हैं। मगर अब अमेरिकी कंपनी ने अपना करार खत्म कर लिया है। वहीं भारतीय कंपनी का राजस्व भी अत्यधिक प्रभावित हुआ है। सिंह ने कहा, 'पिछले डेढ़ महीने से मुझे कोई काम नहीं मिल रहा है। मेरा काफी पैसा बाजार में फंसा हुआ है, जिसे मैं घाटा उठाकर नहीं बेचना चाहती हूूं। मेरे पास एक महीने का आपात कोष था, जो अब खत्म हो गया है।' उन्होंने लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद अपने सोने के गहनों को गिरवी रखकर कर्ज लेने की योजना बनाई है। सिंह की तरह मौजूदा दौर में बहुत से लोगों की आमदनी एवं वेतन बंद हो गए हैं। ऐसे लोग कर्ज लेने की योजना बना रहे हैं। यहांं ऐसे कुछ कम लागत वाले ऋण विकल्पों का जिक्र किया जा रहा है, जिनके बारे में वे विचार कर सकते हैं।
सावधि जमा पर ऋण
आम तौर पर बैंक सावधि जमाओं (एफडी) पर कर्ज मुहैया कराते हैं। वे यह ऋण उस दर पर मुहैया कराते हैं, जो उनके द्वारा एफडी पर दी जाने वाली ब्याज दर से 1-2 फीसदी अधिक होती है। इस समय भारतीय स्टेट बैंक की एक से 10 साल की एफडी पर ब्याज दर 5.70 फीसदी है। इन ऋणों पर ब्याज की दर पर्सनल लोन की तुलना में ज्यादा आकर्षक है। पर्सनल लोन पर ब्याज दर 8.75 फीसदी से 24 फीसदी तक है। विशफिन के मुख्य कार्याधिकारी ऋषि मेहरा ने कहा, 'एफडी पर कर्ज अन्य प्रकार के ऋण लेने की तुलना में आसान है। आप यह ऑनलाइन भी ले सकते हैं।' हालांकि इस ऋण की अवधि एफडी की अवधि से अधिक नहीं हो सकती है। अगर आप इसका भुगतान एफडी परिपक्व होने से पहले नहीं कर पाए तो बैंक एफडी की परिपक्वता राशि से वसूली करेगा।
एफडी पर ऋण लेने के बजाय आप इसे तोडऩे का विकल्प भी चुन सकते हैं। मगर बैंक जुर्माने के तौर पर आपको तय समय के लिए अनुबंधित दर से 50 से 100 आधार अंक कम ब्याज देगा। एफडी तोडऩे का फायदा यह है कि आपके हाथ में पूरा पैसा आ जाता है। कुछ विशेषज्ञ एफडी तोडऩे के पक्ष में हैं। वाइज वेल्थ एडवाइजर्स के संस्थापक डी मुथुकृष्णन ने कहा, 'इन दिनों एफडी तोडऩे पर जुर्माना इतना कम है कि आप इसे कभी भी आसानी से तोड़ सकते हैं।'
जीवन बीमा पॉलिसी पर ऋण
आम तौर पर कर्ज की सुविधा मनीबैक, एंडोमेंट और होललाइफ पॉलिसी पर मिलती है। आपकी पॉलिसी के सरेंडर वैल्यू हासिल कर लेने के बाद आप कर्ज ले सकते हैं। तीन साल तक प्रीमियम चुकाने के बाद आपकी पॉलिसी की सरेंडर वैल्यू हो जाती है। आम तौर पर ऋणदाता पॉलिसी की सरेंडर वैल्यू का 90 फीसदी कर्ज दे देते हैं। इस कर्ज पर ब्याज की सालाना दर करीब 10 फीसदी है। हालांकि आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि जब कर्ज चल रहा हो, तब पॉलिसी बंद नहीं हो। इस कर्ज के मुख्य फायदे यह हैं कि आपको पर्सनल लोन की तुलना में कम ब्याज दर पर कर्ज मिल जाता है और इसकी मंजूरी मिलने में भी कम समय लगता है। इसका दूसरा पहलू यह है कि अगर ऋणी की मृत्यु हो जाती है तो ऋणदाता मृत्यु लाभ से बकाया कर्ज की वसूली करेगा और नॉमिनी को केवल शेष राशि मिलेगी। मेहरा ने कहा, 'उपलब्धता के लिहाज से देखें तो एफडी और म्युचुअल फंडों पर लिया जाने वाला ऋण बेहतर होता है क्योंकि आप उन्हें ऑनलाइन भी ले सकते हैं। हालांकि आपके लिए जीवन बीमा पॉलिसी पर कर्ज लेना मुश्किल हो सकता है क्योंकि कुछ बैंक ही इस ऋण की पेशकश करते हैं। इसे लेने के लिए आपको बैंक की शाखा में जाना होगा। मंजूरी में भी ज्यादा समय लग सकता है।'
एसजीबी पर ऋण
इसमें कर्ज की राशि 20,000 रुपये से लेकर 20 लाख रुपये तक हो सकती है। यह मांग ऋण और ओवरड्राफ्ट सुविधा दोनों के रूप में उपलब्ध है। जहां मांग ऋण एक साल के लिए होता है। वहीं ओवरड्राफ्ट सुविधा तीन साल तक के लिए मिल सकती है। आम तौर पर बॉन्ड की कीमत के 65 फीसदी से अधिक ऋण नहीं मिलता है। एसबीआई एक साल की एमसीएलआर और दो फीसदी अतिरिक्त के बराबर ब्याज दर पर यह ऋण मुहैया कराता है।
यह दर इस समय 9.9 फीसदी बैठती है। जब ये बॉन्ड गिरवी रखें होंगे तो आप इन्हें बेच नहीं सकते। आम तौर पर संकट के समय लोग अपने गहनों या अन्य किसी तरह के भौतिक सोने को गिरवी रखकर गोल्ड लोन लेते हैं। सोने की कीमतें बढ़ रही हैं। ऋणदाता के लिए भी सोने को बेचकर नकदी जुटाना आसान है, इसलिए यह ऋण लेना आसान है। मुथूट फिनकॉर्प के प्रवर्तक थॉमस जॉर्ज मुथूट ने कहा, 'गोल्ड लोन जैसा संपत्ति गिरवी रखकर लिया जाने वाला ऋण पर्सनल लोन की तुलना में बेहतर विकल्प है। यह महज 15 मिनट में मिल जाता है।' इन ऋणों पर ब्याज दर 9.1 फीसी से 18 फीसदी तक होती है। यह ऋण 50 लाख रुपये तक लिया जा सकता है।
ईपीएफ से निकासी
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने नई अग्रिम सुविधा शुरू की है। इसमें ईपीएफओ के ग्राहक अपने संचित कोष की 75 फीसदी या तीन महीने के बेसिक वेतन एवं महंगाई भत्ते (इनमें से जो कम हो) के बराबर राशि निकाल सकते हैं। यह अग्रिम वे लोग भी ले सकते हैं, जो पहले निकासी कर चुके हैं। इसकी प्रक्रिया को तेजी से चलाया जा रहा है। यह ऐसा अग्रिम है, जिसे लौटाना नहीं होगा। इसका मतलब है कि आपको बाद में अपने ईपीएफ में यह राशि डालनी नहीं होगी। सृजन फाइनैंशियल एडवाइजर्स में पार्टनर दीपाली सेन ने कहा, 'सबसे पहले एफडी, जीवन बीमा या अन्य किसी इक्विटी उत्पाद पर कर्ज लेने की कोशिश करें। ईपीएफ से निकासी अंतिम विकल्प होना चाहिए। अगर आप इस पैसे को छुए बिना काम चला सकते हैं तो ऐसा करें क्योंकि हम भारतीयों के पास कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं होती है, इसलिए हमें अपने सेवानिवृत्ति कोष को नहीं छूना चाहिए।'
आखिर में आर्थिक स्थितियां मुश्किल होती जा रही हैं। ऐसे में कर्ज मिलना मुश्किल हो गया है। क्रेडिटमंत्री डॉट कॉम के सह-संस्थापक रंजीत पुंजा ने कहा, 'इस समय बैंक उन लोगों को कर्ज देना चाहेंगे, जिनके साथ उनका पहले से संबंध है। नए ग्राहकों के लिए इस समय कर्ज लेना मुश्किल हो सकता है।'
आखिर में कर्ज लेने के उद्देश्य के बारे में ठीक से विचार-विमर्श करें। इस समय उपभोग के लिए बिल्कुल नहीं लिया जाना चाहिए। रिपेयरिंग बोरोअर्स क्रेडिट स्कोर में विशेषज्ञ और अनलॉक दी पावर ऑफ योर क्रेडिट स्कोर पुस्तक के लेखक अरुण रामामूर्ति ने कहा, 'अगर कोई कारोबारी ऋण ले रहा है तो उसे खुद से यह सवाल पूछना चाहिए कि क्या मेरा कारोबार कुछ महीनों के भीतर फिर से सामान्य हो जाएगा? जिस कारोबार में संभावनाएं कमजोर हैं, उसमें पैसा उधार लेकर नहीं लगाएं।'
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