चीनी मिलों को प्रतिबंधित सूची से हटाए आरबीआई | वीरेंद्र सिंह रावत / लखनऊ May 25, 2020 | | | | |
किसानों के बढ़ते बकाया भुगतान और कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से चीनी की खपत में भारी गिरावट के मद्देनजर केंद्र सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को सलाह दी है कि वह दबावग्रस्त चीनी क्षेत्र को अपनी नकारात्मक सूची से हटा दे। इससे बढ़ी हुई नकद ऋण सीमा (सीसीएल) के जरिये चीनी मिलों में कार्यशील पूंजी और ताजा तरलता के प्रवाह का मार्ग प्रशस्त होगा तथा बकाया राशि का तेजी से निपटान करने में सुविधा होगी।
पिछले महीने उत्तर प्रदेश के चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास प्रमुख सचिव संजय आर भूसरेड्डी ने केंद्रीय वित्तीय सेवा सचिव और आरबीआई कोपत्र लिखा था जिसमें उन्होंने लॉकडाउन के कारण उद्योग के सामने आ रही चुनौतियों और चीनी की मांग, आपूर्ति, भंडारण की जगह, सीसीएल में कमी पर पडऩे वाले प्रभाव का जिक्र किया था।
महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज लिमिटेड द्वारा केंद्र को एक अन्य पत्र लिखा गया था, जिसमें यह दावा किया गया था कि महामारी के परिणामस्वरूप कोल्ड ड्रिंक/पेय उद्योग, आइसक्रीम क्षेत्र और मिठाई/हलवाई की दुकानों की तालाबंदी के कारण चीनी की बिक्री में काफी गिरावट आई है और इससे मिलों के दैनिक/मासिक नकदी प्रवाह में बाधा आ रही है।
अब केंद्रीय उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के निदेशक (चीनी नीति) विवेक शुक्ला ने वित्त मंत्रालय को उत्तर प्रदेश सरकार और महाराष्ट्र मिलों के रुख पर विचार करने के लिए लिखा है। मिलों को नकारात्मक सूची से हटाने के लिए आरबीआई से अनुरोध किया गया है ताकि मौजूदा परिस्थितियों/ प्रतिबंधों के तहत कार्यशील पूंजी में राहत मिल सके।
चीनी की घरेलू खपत में पहले ही तकरीबन 10 लाख टन तक की गिरावट आ चुकी है, वहीं दूसरी ओर उद्योग को लॉकडाउन के कारण पेट्रोलियम उत्पादों की मांग में कमी आने की वजह से ईंधन श्रेणी वाले एथनॉल खंड में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
देश के शीर्ष चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया 15,000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है, जबकि राज्य में कुछेक फैक्टरियों द्वारा अब भी पेराई की जा रही है।
इस बीच केएम शुगर मिल्स के चेयरमैन एलके झुनझुनवाला का कहना है कि आरबीआई की नकारात्मक सूची से हटाए जाने से इस क्षेत्र कोराहत मिलेगी, अलबत्ता दीर्घकालिक लाभ केवल चीनी की नियमित मांग और निर्यात से ही होगा।
उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि इस कदम से निश्चित रूप से बकाया निपटान में मदद मिलेगी, लेकिन मिलों के लिए असली आय चीनी बिक्री से उत्पन्न होगी और इस समस्या का
दीर्घकालिक समाधान करेगी। उन्होंने कहा कि चीनी क्षेत्र को आरबीआई की नकारात्मक सूची से हटाने से मिलों की वित्तीय स्थिति में सुधार होगा जिसके परिणामस्वरूप किसानों को जल्द भुगतान मिलेगा।
अपने पत्र में उन्होंने उल्लेख किया था कि हाल के वर्षों में चीनी के दामों और बाजार की हालत में तीव्र उतार-चढ़ाव की वजह से आरबीआई द्वारा चीनी क्षेत्र को नकारात्मक सूची में रखने के बाद बैंक मिलों को अपनी सीसीएल सुविधा का लाभ देने में अनिच्छा दिखाने लगे हैं या फिर कड़े नियमों का हवाला देते हुए उनके ऋण आवेदनों को खारिज कर रहे हैं। इसके अलावा भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) भी इस क्षेत्र को राहत देने की मांग करते हुए केंद्र को पत्र लिख चुका है।
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