नए कर्जदारों को मिलेगा अधिक फायदा | संजय कुमार सिंह और बिंदिशा सारंग / May 25, 2020 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए नीतिगत दर में एक बार फिर कटौती का ऐलान किया है, जिससे जमा पर मिलने वाले ब्याज और ऋण पर वसूले जाने वाले ब्याज दोनों की दरों में कमी आना तय है। मगर दरों में कटौती का लाभ सबसे पहले कर्ज लेने वाले उन नए ग्राहकों को मिलेगा, जिनके कर्ज बाहरी बेंचमार्क यानी रीपो दर से जुड़े हैं। कोरोनावायरस के हमले के बीच हम ऐसे दौर से गुजर रहे हैं, जहां हर कोई अपने खर्च घटाने की जुगत में जुटा है। इस सूरत में अप्रैल से अभी तक रीपो दर में 115 आधार अंकों की कटौती के कारण उनकी मासिक किस्त यानी ईएमआई में भी अच्छी खासी कमी हो जाएगी।
कर्ज लेने वालों के लिए तो यह फायदे की बात है मगर सावधि जमा (एफडी) निवेशकों पर इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा। बैंकबाजार के मुख्य कार्याधिकारी आदिल शेट्टी कहते हैं, 'एफडी पर ही नहीं बल्कि बचत जमा योजनाओं में भी ब्याज कम हो सकता है। इसीलिए मोटी धनराशि अपने खाते में बेकार पड़ी न रहने दें।'
हालांकि जो पहले ही एफडी खुलवा चुके हैं, उन्हें चिंता की जरूरत नहीं है क्योंकि उनकी ब्याज दरों में एफडी पूरी होने तक किसी तरह का बदलाव नहीं आएगा। लेकिन जो एफडी खुलवाने की सोच रहे हैं, उन्हें जल्दी करनी पड़ेगी क्योंकि एफडी पर मिलने वाले ब्याज की नई दरों में गिरावट आ सकती है। ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के संस्थापक और प्रबंध निदेशक पंकज मठपाल की सलाह है, 'बैंक दरों में कटौती की घोषणा करें उससे पहले ही मौजूदा ब्याज दर पर अपनी रकम की एफडी करा दें।' एफडी निवेशकों के लिए एक बात अच्छी रही है। शेट्टी उसके बारे में बताते हैं, 'विशेष एफडी योजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें वरिष्ठ नागरिकों जैसे लक्षित ग्राहकों के लिए ब्याज की दर ऊंची रखी गई है। आगे ऐसी और योजनाएं पेश की जा सकती हैं। उनका ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाएं।'
इस फैसले की वजह से लघु बचत दरों में भी कमी हो सकती है। लेकिन सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ, 7.1 फीसदी सालाना ब्याज दर, कर मुक्त), वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (7.4 फीसदी सालाना ब्याज दर, कर योग्य), सुकन्या समृद्धि योजना (7.6 फीसदी सालाना ब्याज दर, परिपक्वता पर कर मुक्त) और भारत सरकार के बॉन्ड (7.75 फीसदी, कर योग्य) आकर्षक रहेंगे। मठपाल ने कहा, 'जिन निवेशकों को नकदी की जरूरत नहीं है, वे उनमें निवेश कर सकते हैं।'
ध्यान रहे कि ज्यादातर नए ऋण रीपो दर से जुड़े रहते हैं, इसलिए ब्याज दरों में बदलाव को ग्राहकों तक एमसीएलआर और आधार दर प्रणाली की तुलना में ज्यादा जल्द आगे पहुंचाया जाएगा। मौजूदा रीपो दर आधारित ग्राहक अगले कुछ सप्ताह में अपने वर्तमान ब्याज में 40 आधार अंक की कटौती की उम्मीद कर सकते हैं। एमसीएलआर ग्राहकों को अपने ऋण की दरों पर दर कटौती का असर देखने के लिए ज्यादा इंतजार करना पड़ सकता है। नए ग्राहकों के लिए प्रभावी दर बैंकों द्वारा वसूले जाने वाले स्प्रेड पर निर्भर कर सकती है। शेट्टी ने कहा, 'बैंक महामारी को मद्देनजर रखते हुए ऋण जोखिम के आसार के कारण स्प्रेड को बढ़ा सकते हैं।'
ब्याज दरों में कमी से डेट फंड निवेशकों में गिल्ट फंडों को फायदा मिला है। हालांकि इन फंडों में ऋण जोखिम नहीं होता है, मगर उनमें ऊंची ब्याज दर का जोखिम होता है। क्वांटम एसेट मैनजेमेंट के फंड प्रबंधक (निश्चित आय) पंकज मठपाल कहते हैं, 'बॉन्ड बाजार में अस्थिरता रहने के आसार हैं। हम दरों में कटौती के चक्र के निचले स्तर के नजदीक हैं। इस बात को लेकर अनिश्चितता है कि आरबीआई दरों में कितनी कटौती कर सकता है और सरकार के उधारी कार्यक्रम को सहारा दे सकता है। सरकारी की उधारी बहुत अधिक रहने के आसार हैं। इन कारकों से बॉन्ड प्रतिफल में उतार-चढ़ाव बना रहेगा।' वह लंबी अवधि के गिल्ट फंडों में निवेश को लेकर चेता रहे हैं। ऐसे फंडों में फंड प्रबंधक अल्पावधि के बॉन्डों में निवेश नहीं कर सकता है, भले ही ब्याज दर के बारे में उसका अनुमान बदल गया हो।
पाठक ने कहा, 'निवेशकों के लिए डायनैमिक बॉन्ड फंड बेहतर रहेंगे, जिनमें फंड प्रबंधक कम से कम अपना ब्याज दर का आउटलुक बदलने पर निवेश में बदलाव कर सकते हैं।' हालांकि इनमें भी कम आवंटन किया जाना चाहिए। खुदरा निवेशकों का ज्यादा पैसा ओवरनाइट और लिक्विड फंडों में या अल्पावधि के फंडों में होना चाहिए।
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