लघु अवधि की योजनाओं के पक्ष में म्युचुअल फंड | जश कृपलानी / मुंबई May 23, 2020 | | | | |
डेट फंड मैनेजरों ने उम्मीद जताई है कि लघु अवधि की योजनाओं को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा नीतिगत दरों में दी गई सुगमता का का अधिक लाभ मिलेगा। उनका मानना है कि सरकार के उधारी कार्यक्रम को देखते हुए लंबी अवधि की योजनाएं अधिक प्रतिफल देने में समर्थ नहीं होंगी।
पीजीआईएम इंडिया म्युचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी कुमारेश रामकृष्णन ने कहा, 'अतिरिक्त नकदी, शांत रुख और कमजोर वृद्धि परिदृश्य के कारण आगामी महीनों में भी दरों में कटौती का रास्ता साफ होगा। इस लिहाज से हम 3 से 4 वर्षों की परिपक्वता अवधि वाले उच्च श्रेणी के लघु अवधि फंडों को लेकर हमारा नजरिया ओवरवेट का बना रहेगा।' रामकृष्णन ने कहा कि लघु अवधि की योजना, कॉरपोरेट बॉन्ड फंड और बैंकिंग एवं पीएसयू डेट फंड जैसी श्रेणियां बेहतर स्थिति में हैं। आरबीआई ने शुक्रवार को रीपो रेट में 40 आधार अंकों की कटौती की घोषणा की। साथ ही आरबीआई ने नीतिगत मोर्च पर और अधिक सुगमता की गुंजाइश को बरकरार रखा है।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपने बयान में कहा, 'यदि मुद्रास्फीति अनुमान के अनुरूप बढ़ती है तो वृद्धि के जोखिम को दूर करने के लिए और अधिक उपायों की गुंजाइश बरकरार रहेगी।'
कोटक एमएफ की मुख्य निवेश अधिकारी (डेट) लक्ष्मी अय्यर ने कहा, 'लघु अवधि के लिहाज से नकदी प्रवाह और दरों में कटौती सकारात्मक हैं। घरेलू जी-सेक प्रतिफल में कमी आई है लेकिन यहां प्रतिफल साप्ताहिक आपूर्ति पर भी निर्भर करेगा। लघु अवधि और मध्यावधि में संकुचन के लिए गुंजाइश अधिक होगी।'
आईडीएफसी एमएफ के प्रमुख (निर्धारित आय) सुयश चौधरी ने कहा, 'हालांकि टर्म में व्यापक विस्तार को देखते हुए अवधि आकर्षक है और जब हम मामूली वृद्धि दर की अपेक्षाओं के साथ तुलना करते हैं तो स्थायी प्रदर्शन यहां अभी भी सरकार के उधारी कार्यक्रम के लिए आरबीआई की विश्वसनीय वित्त पोषण योजना के खुलासे पर निर्भर है।'
फंड मैनेजरों ने उम्मीद जताई है कि सरकार की उधारी योजनाओं के संदर्भ में लंबी अवधि के प्रतिफल में तेजी बरकरार रहेगी।
|