किस्त भुगतान में तीन महीने की मोहलत | सुब्रत पांडा और अभिजित लेले / मुंबई May 23, 2020 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक ने उधार लेने वालों को राहत देते हुए हर तरह के कर्ज की किस्त भुगतान के लिए मोहलत की अवधि तीन महीने और बढ़ाकर 31 अगस्त कर दी। साथ ही कार्यशील पूंजी पर ब्याज भुगतान भी तीन महीने और बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया गया। आरबीआई ने 27 मार्च को सावधि कर्ज और कार्यशील पूंजी कर्ज के भुगतान पर तीन महीने की मोहलत दी थी, जो 1 मार्च से 31 मई तक प्रभावी थी। अब इस सुविधा को बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया गया है।
शुक्रवार को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, लॉकडाउन के विस्तार और कोविड-19 के कारण जारी व्यवधान को देखते हुए मोहलत की अवधि तीन महीने और बढ़ाई जा रही है जो एक जून 2020 से 31 अगस्त तक प्रभावी होगी। इस तरह से यह पूरे छह महीने यानी 31 अगस्त 2020 तक लागू रहेगा। कंपनियों और कारोबारों ने चिंता जताई थी कि कार्यशील पूंजी के कर्ज पर ब्याज भुगतान को टाले जाने से उन्हें मदद मिलेगी, लेकिन वास्तविकता यह है कि उन्हें मोहलत की अवधि खत्म होते ही एकबारगी ब्याज भुगतान करना होगा और यह ऐसे समय में होगा जब मौजूदा आर्थिक हालात में उनके नकदी प्रवाह पर असर पड़ा है और यह उनके लिए परेशानी भरा साबित होगा।
इस चिंता को दूर करते हुए आरबीआई ने लेनदारों से कहा है कि वे कार्यशील पूंजी की सुविधा पर 31 अगस्त तक के संचयी ब्याज को फंडेड इंटरेस्ट टर्म लोन में तब्दील कर दे, जिसका पुनर्भुगतान 31 मार्च 2021 तक हो। आरबीआई ने कहा है कि मोहलत की वजह से भुगतान की समयसारणी में बदलाव लेनदार संस्थानों की तरफ से डिफॉल्ट की श्रेणी में नहीं आएगा। केंद्रीय बैंक ने कहा कि सभी खाते के परिसंपत्ति वर्गीकरण का काम रुका रहेगा, जो मार्च 2020 में मानक परिसंपत्ति थी और उसने एक मार्च से 31 अगस्त तक मोहलत का विकल्प चुना था।
इंडियन बैंक एसोसिएशन के जरिये कई बैंकों ने आरबीआई से संपर्क कर अगस्त के आखिर तक मोहलत की अवधि बढ़ाने की मांग की थी और आरबीआई ने बैंकों के अनुरोध को स्वीकार कर लिया। बैंकरों ने हालांकि आरबीआई से कर्ज के एकबारगी पुनर्गठन की मांग की थी क्योंकि उधार लेने वालों की चिंता नकदी से आगे चली गई थी और कोविड-19 के कारण अलग कारोबारी माहौल में उन्हें अपना अस्तित्व बचाए रखना मुश्किल हो रहा था।
भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा, अभी करीब 20 फीसदी बैंक ग्राहकों ने मोहलत की सुविधा ली है। ग्राहक न सिर्फ नकदी प्रवाह की वजह से बल्कि नकदी संरक्षित करने के लिे भी चाह रहे हैं। आईबीए ने मोहलत बढ़ाने का अनुरोध इसलिए किया था क्योंकि जब आरबीआई ने मार्च में मोहलत का ऐलान किया था तब किसी ने भी उम्मीद नहीं की थी कि लॉकडाउन इतने लंबे समय तक बढ़ जाएगा।
पीएनबी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी एस एस मल्लिकार्जुन राव ने कहा कि मोहलत की अवधि में विस्तार की उम्मीद थी। अभी यह पर्याप्त नजर आ रहा है। बड़े लेनदारों मसलन ऐक्सिस बैंक की लोनबुक का करीब 25 से 28 फीसदी अप्रैल में मोहलत के दायरे में था जबकि आईसीआईसीआई बैंक के करीब 32 फीसदी ग्राहक मोहलत के दायरे में थे। अप्रैल के आखिर में कोटक महिंद्रा बैंक के 26 फीसदी देनदारों ने मोहलत का विकल्प चुना था।
एकबारगी के पुनर्गठन पर कुमार ने कहा, पुनर्गठन की दरकार तब होती है जब एंटरप्राइज ने नुकसान दर्ज किया हो। अभी नकद प्रवाह जैसे व्यवधान की स्थिति को मोहलत संभाल रहा है। लेकिन 31 अगस्त के बाद अगर किसी को पुनर्गठन की दरकार होगी तो बैंक को उससे निपटना होगा।
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