राहत पैकेज से पीएफसी और आरईसी को होगी मुश्किल | श्रीपाद एस ऑटे / मुंबई May 22, 2020 | | | | |
बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को अपना बकाया चुकाने में मदद करने के लिए केंद्र सरकार ने उनके लिए जिस 90,000 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की है उससे बिजली क्षेत्र की दो सरकारी वित्त प्रदाता कंपनियों पावर फाइनैंस कॉर्पोरेशन (पीएफसी) और आरईसी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। इन्हें ही डिस्कॉम को ऋण देने के लिए कहा गया है।
एक ओर जहां पैकेज का उद्देश्य डिस्कॉम और बिजली उत्पादक कंपनियों के लिए कार्यशील पूंजी के दबाव को कम करना है वहीं शेयर बाजार को लगता है कि पीएफसी और आरईसी को इस बोझ को उठाने के लिए बाध्य किया गया है और दो स्टॉकों को दंडित किया गया है। 13 मई को प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा के बाद से कीमतें 10 से 13 फीसदी कम हो गई है। यह इसी दौरान सेंसेक्स में 3.7 फीसदी की गिरावट के दोगुने से अधिक है। कुछ का कहना है कि इस पैकेज से पीएफसी और आरईसी की लोन बुक में ऐसे समय पर जबरदस्त इजाफा होगा जब समग्र तौर पर ऋण की मांग बंद है। हालांकि, समस्या इसके विवरण और पिछला कार्य निष्पादन रिकॉर्ड में है।
भले ही ऋण की गारंटी राज्य सरकारों की होगी और इससे बिजली उत्पादक कंपनियों को डिस्कॉम से अपने बकाये की वसूली हो जाएगी लेकिन उद्योग के लिए चिंता की बात सार्वजनिक क्षेत्र की वितरण कंपनियों की परिचालन अक्षमता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसी करण से पीएफसी और आरईसी के निवेशक खुद को असहज महसूस करते हैं।
वे कहते हैं कि जब तक डिस्कॉम की परिचालन क्षमता में सुधार नहीं होता है तब तक बिजली क्षेत्र के लिए दबावग्रस्त ऋण का चक्र बंद होने वाला नहीं है। इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत कहते हैं, 'भले ही सरकार से निकट अवधि में मोहलत मिल जाएगी लेकिन जब तक बिजली क्षेत्र की क्षमता में सुधार नहीं होता है तब तक वितरण कंपनियों की ऋण सेवा की दक्षता चिंता का सबब बनी रहेगी।'
इससे पहले की योजना उदय के जरिये भी बहुत कम वितरण कंपनियां ही लाभ की स्थिति में आ पाई थी। उदय योजना 2015 में लाई गई थी। सच्चाई यह है कि उस योजना के बाद बिजली वितरण कंपनियां फिर से दिवालिया हो गई थीं।
बिजली क्षेत्र के लिए उदय कोई पहला बड़ा सुधार पैकेज नहीं है। इससे पहले 2003 में भी केंद्र सरकार ने इस क्षेत्र की व्यवहार्यता विशेष तौर पर वितरण में सुधार लाने के लिए बड़े सुधारों की घोषणा की थी। आशिका स्टॉक ब्रोकिंग में शोध प्रमुख आशुतोष मिश्रा कहते हैं, 'भले ही राज्य सरकार की गारंटी राहत प्रदान करती है फिर भी मुख्य चिंता यह है कि इससे पीएफसी और आरईसी के लिए दबावग्रस्त संपत्ति में इजाफा होगा। हालांकि यह अस्थायी तौर पर ही होगा।'
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