सब्जियों की आवक बढ़ी, खरीदार बना रहे मंडियों से दूरी | दिलीप कुमार झा / मुंबई May 22, 2020 | | | | |
मुंबई के निकट वाशी कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) में फिर से काम शुरू होने के करीब एक सप्ताह बाद सब्जियों की आवक में लगातार इजाफा हुआ है, लेकिन खरीदार उस तरह बढ़-चढ़कर खरीदारी नहीं कर रहे हैं, जैसा कि वे पिछले सप्ताह रख-रखाव के लिए मंडी बंद होने से पहले किया करते थे।
इसके परिणामस्वरूप किसानों को अपनी उपज बिचौलियों (आढ़तियों) के जरिये या फिर सीधे खुदरा अथवा थोक खरीदारों को खेती की लागत से भी कम या नाममात्र के मार्जिन पर बेचने के लिए विवश होना पड़ रहा है। रख-रखाव के लिए एक सप्ताह बंद रहने के बाद मुंबई की एपीएमसी का सब्जी खंड सोमवार को 93 वाहनों के आगमन के साथ शुरू हुआ था, जबकि 150 वाहनों के प्रवेश की मंजूरी थी। वाशी एपीएमसी में सब्जी लाने वाले वाहनों की कुल संख्या गुरुवार को बढ़कर 136 हो गई थी और शुक्रवार को भी तकरीबन इतनी ही रही।
वाहनों की संख्या में लगातार वृद्धि के बावजूद सब्जियों के दाम लगभग स्थिर बने हुए हैं, हालांकि मौसम के आधार पर दामों में हल्का-सा अंतर नजर आया है। इसकी वजह यह है कि किसान बिचौलियों (आढ़तियों) को बाहर करने के लिए एकजुट हो गए हैं और उन्होंने स्वयं अपना आपूर्तिकर्ता समूह बना लिया ताकि वे अपनी उपज की सीधी आपूर्ति उपभोक्ताओं को कर सकें और उपभोक्ताओं द्वारा भुगतान की गई कीमत का पूरा फायदा उठा सकें।
सब्जी किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले पुणे स्थित संगठन - भारतीय सब्जी उत्पादक संघ (वीजीएआई) के अध्यक्ष श्रीराम गाढवे ने कहा कि कोरोनावायरस (कोविड-19) के प्रसार ने किसानों को अपने ही आपूर्तिकर्ता समूह बनाने और थोक उपभोक्ताओं के साथ मोल-भाव करने का सबक सिखा दिया है। ऐसा वे पहले केवल अपने बिचौलियों के माध्यम से ही किया करते थे। इसलिए किसान अब सीधे उपभोक्ताओं को ताजी सब्जियां दे रहे हैं। जब से कोविड-19 महामारी फैलना शुरू हुई है, तब से किसानों ने खेतों से घरों तक की आपूर्ति करने के लिए प्रमुख खपत वालें स्थानों पर सीधे आवासीय समितियों और थोक उपभोक्ताओं से संपर्क करना शुरू कर दिया है। इसलिए खरीदार मंडियों में नहीं आ रहे हैं। ऐसा लगता है कि खरीदार मंडियों से दूरी बना रहे हैं।
इस बीच खरीदारों की गैर-मौजूदगी का असर सब्जियों के दामों पर पड़ा है। बेमौसमी कुछेक सब्जियों को छोड़कर ज्यादातर सब्जियों के दाम एपीएमसी के दोबारा खुलने के चार दिन के दौरान या तो स्थिर रहे हैं या फिर उनमें हल्की-सी गिरावट आई है। उदाहरण के लिए वाशी एपीएमसी में शुक्रवार को परवल के दाम मामूली गिरावट के साथ 22 रुपये प्रति किलोग्राम हो गए, जबकि सोमवार को इसके औसत दाम 23 रुपये थे। हालांकि वाशी एपीएमसी थोक मंडी में फूलगोभी के दाम बिना किसी परिवर्तन के 13 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर ही रहे। ये सभी सब्जियां फिलहाल खेती की लागत से कम पर बिक रही हैं।
दिल्ली की आजादपुर मंडी में भी हालात अलग नहीं है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान सहित सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों से आपूर्ति बढऩे के बावजूद कमजोर मांग के कारण सब्जियों के दामों में कमी आई है। किसान टमाटर को एक से डेढ़ रुपये प्रति किलोग्राम और प्याज को सात से आठ रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर बेचने के लिए मजबूर हैं।
एपीएमसी वाशी के निदेशक सुनील सिंगाटकर ने कहा कि मंडियों में सब्जियों की मांग नहीं है। पहले किसान अपनी उपज बेचने के लिए बिचौलियों पर निर्भर थे, लेकिन अब वे सीधे उपभोक्ताओं को बेच रहे हैं।
इस बीच सब्जियों के कमजोर दामों से किसानों पर दोहरी मार पड़ी है। फसल पकने के समय देशव्यापी लॉकडाउन और इसके बाद श्रमिकों की अनुपलब्धता से उनकी फसल कटाई को नुकसान पहुंचा है। कई किसान तो अपनी पकी हुई सब्जियों को बड़ी मात्रा में खेतों में ही गलने-सडऩे के लिए छोड़ चुके हैं।
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