सोने के मुकाबले चांदी की चमक में होगा इजाफा | राजेश भयानी / मुंबई May 21, 2020 | | | | |
सोने-चांदी के मूल्य अनुपात में चांदी के मुकाबले सोने में गिरावट देखी गई है। इन दोनों में अब तक ज्यादा कमजोर रहने वाली इस धातु ने कुछ मजबूती दिखानी शुरू कर दी है। दामों के कम स्तर पर मांग में सुधार और वैश्विक लॉकडाउन के परिणामस्वरूप चांदी के हाजिर स्टॉक में कमी के बाद यह मजबूती नजर आई है। इस साल मार्च में औद्योगिक और आर्थिक मंदी की वजह से चांदी की कमजोर पड़ती मांग केबाद यह अनुपात 124 के स्तर पर चला गया था। पिछले साल सितंबर में यह अनुपात 79.2 था।
यह ऐतिहासिक शीर्ष स्तर था। पिछले कुछेक दशकों में मुश्किल से दो बार यह अनुपात 100 के स्तर तक पहुंचा है। कल से यह अनुपात 100 से 101 के बीच चल रहा है। यह अनुपात बताता है कि एक औंस सोने से कितनी औंस चांदी खरीदी जा सकती है और दोनोंं धातुओं की पारस्परिक क्षमता कितनी है।
कारोबारी यह फैसला करने के लिए इस अनुपात पर नजर रखते हैं कि इस मूल्यवान धातु खंड में कब पोजीशन बदलनी है और इनमें से कई कारोबारी इस अनुपात में कारोबार भी करते हैं। जब उन्हें यह अनुपात बढ़ता हुआ दिखता है, तो वे इसी अनुपात में सोना खरीदते और चांदी बेच देते हैं।
केडिया एडवाइजरी के निदेशक अजय केडिया ने कहा कि 100 के आसपास भी यह अनुपात इसके 60 के ऐतिहासिक औसत से कहीं अधिक है। उस स्तर से मेल खाने के लिए या तो सोने में गिरवाट आनी चाहिए या चांदी में इजाफा होना चाहिए (अथवा चांदी में सोने की तुलना में कम गिरावट आए)। खदान उत्पादन से संबंधित मसलों और उत्पादन में गिरावट के कारण आपूर्ति में कमी आने तथा औद्योगिक और निवेश की अधिक मांग की वजह से इस साल चांदी का प्रदर्शन अच्छा रहने की उम्मीद है। इसके साथ ही आर्थिक गतिविधियों की बहाली के कारण औद्योगिक मांग में सुधार होने की उम्मीद है क्योंकि ज्यादातर देश अपनी अर्थव्यवस्थाओं को फिर से खोलने के लिए लॉकडाउन के उपायों को आसान बना रहे हैं जिससे निवेशकों को मांग में सुधार की उम्मीद है। तकनीकी रूप से हम देखते हैं कि सोने-चांदी का अनुपात 100 का स्तर पार कर सकता है और 94 के स्तर के पास आ सकता है।
अगर यह स्तर कायम नहीं रह पाता है, तो इस अनुपात में और गिरावट आ सकती है। इसका मतलब यह है कि सोने की तुलना में चांदी का प्रदर्शन बेहतर रहेगा। हालांकि संपूर्ण रूप से सोना कमजोर नहीं लग रहा है। इस संबंध में अन्य संकेतक भी हैं जिनका इस्तेमाल कारोबारी यह अनुमान लगाने के लिए कर रहे हैं कि धातु का रुख किस ओर रहने की संभावना है। उदाहरण के लिए सोने-तांबे का मूल्य अनुपात। यह अनुपात दबाव अनुपात के रूप में भी जाना जाता है और जितना अधिक यह अनुपात होता है, अर्थव्यवस्था पर उतना ही अधिक दबाव होता है। ऐसा तब होता है, जब सोने के दाम अधिक रहते हैं, जबकि तांबे के दाम कमजोर बने रहते हैं जिसके परिणामस्वरूप अनुपात अधिक होता है।
फिलहाल सोने-तांबे का मूल्य अनुपात 705.28 है जो पिछले दो महीनों से बढ़ रहा है। पिछली अप्रैल में यह अनुपात 756 था और अप्रैल 2019 में यह अनुपात मात्र 429 था। इसका मतलब है कि पिछले एक साल के दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में दबाव का स्तर काफी बढ़ गया है। यह अनुपात अधिक रहने की उम्मीद है जिसका अर्थ यह है कि दबाव का यह स्तर कुछ और वक्त तक रहने वाला है जो सोने के लिए अच्छा दिखता है।
हालांकि चांदी की आधी से अधिक मांग भी औद्योगिक खंड से ही आ रही है। चूंकि आर्थिक गतिविधियों के साथ-साथ औद्योगिक विकास के लिए वैश्विक बेंचमार्क या बैरोमीटर तांबा होता है, इसलिए चांदी-तांबे का मूल्य अनुपात भी चांदी के लिए मजबूती का संकेत दे रहा है।
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