वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में मजबूत होंगे लौह अयस्क के दाम! | जयजित दास / भुवनेश्वर May 21, 2020 | | | | |
विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के रूप में विपरीत परिस्थितियों का सामना कर रहे लोहे के दामों में इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही या अक्टूबर से मार्च तक की अवधि के दौरान फिर से उछाल आने की संभावना है। ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल के पूर्वानुमान के अनुसार वर्तमान में नरम चल रहे लौह अयस्क के दामों में 15 फीसदी (350 रुपये प्रति टन) की तेजी आने वाली है।
हाल ही में (9 मई को) को दामों में सुधार के बाद एनएमडीसी के लौह अयस्क चूरे के दाम 1,960 रुपये प्रति टन हो गए, जबकि लौह अयस्क टुकड़ा 2,250 रुपये प्रति टन की दर पर उपलब्ध है। ओडिशा माइनिंग कॉरपोरेशन (ओएमसी) के लौह अयस्क के दाम 1,700 से 2,452 रुपये प्रति टन के दायरे में हैं, जबकि लौह अयस्क का टुकड़ा अपनी श्रेणी के आधार पर 2,380 से 3,439 रुपये प्रति टन के बीच खरीदा जा सकता है। एनएमडीसी और ओएमसी दोनों ही सरकार द्वारा संचालित व्यापारी खनिक हैं, जो अंतिम उपयोगकर्ता उद्योगों को आपूर्ति करती हैं।
फीकी मांग की वजह से वित्त वर्ष की पहली छमाही या अप्रैल से सितंबर के दौरान इस्पात विनिर्माण की इस प्रमुख सामग्री के दाम नरम रहने के आसार हैं। देश भर की अधिकांश इस्पात मिलें अपनी क्षमता के मुकाबले कम स्तर पर चल रही हैं। इसके अलावा मार्च में शुरू हुए लॉकडाउन के प्रथम चरण की वजह से द्वितीयक इस्पात विनिर्माताओं को कामबंद करना पड़ा था। उन्होंने मई में ही दोबारा काम शुरू किया है।
मांग में इजाफे से घरेलू लौह अयस्क के दामों में सुधार होगा क्योंकि इस्पात विनिर्माता को विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 की चिंता से राहत मिलने के कारण क्षमता उपयोग में वृद्धि की उम्मीद दिख रही है। इसके अलावा सितंबर में व्यापारिक खनिकों द्वारा लौह अयस्क का जमावड़ा निपटाने के लिए परिसमापन अवधि भी खत्म हो जाएगी। एस्सेल माइनिंग ऐंड इंडस्ट्रीज और रूंगटा माइंस जैसी कुछ प्रमुख खनिकों ने ओडिशा की नीलामी में अपने अधिकांश क्रियाशील पट्टे गंवा दिए हैं।
इन व्यापारिक खदानों की पट्टा वैधता 31 मार्च, 2020 को समाप्त हो चुकी है। पट्टे की यह अवधि समाप्त होने से पहले ही ओडिशा सरकार ने 21 लौह अयस्क, मैंगनीज अयस्क और क्रोमाइट ब्लॉक की सफलतापूर्वक ऑनलाइन नीलामी का प्रबंध कर लिया था। हालांकि इलेक्ट्रॉनिक नीलामी में सभी सफल बोलीदाताओं को आशय पत्र दे दिया गया था, लेकिन राज्य के विभागों से अनुमति प्राप्त नहीं होने की वजह से खदानों में काम शुरू नहीं हो पाया है।
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