सौर परियोजना से पीछे हटी एसीएमई | श्रेया जय / नई दिल्ली May 20, 2020 | | | | |
कोविड-19 महामारी का असर भारत के सौर ऊर्जा क्षेत्र पर भी पड़ता दिख रहा है। देश में कभी सबसे कम दरों पर सौर ऊर्जा की आपूर्ति करने की पेशकश करने वाली कंपनी एसीएमई अपनी परियोजना से पीछे हट गई है। कंपनी ने वर्ष 2018 में राजस्थान में 600 मेगावॉट क्षमता वाली सौर ऊर्जा परियोजना में 2.44 रुपये प्रति यूनिट दर की ऐतिहासिक बोली लगाकर यह परियोजना हासिल की थी।
कंपनी ने केंद्रीय बिजली नियामक आयोग (सीईआरसी) को सौंपी याचिका में कहा कि वह कोविड-19 महामारी की वजह से परियोजना रद्द करने पर विवश है। कंपनी ने कहा कि मौजूदा आसामान्य हालात के बीच सरकारी एजेंसिसों के साथ परियोजना के लिए बिजली खरीद समझौता (पीपीए) जारी नहीं रखने में
सक्षम नहीं है।
कंपनी को डर था कि परियोजना रद्द करने से भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एईसीआई) और पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (पीजीसीआईएल) परियोजना के लिए सौंपी उसकी बैंक गारंटी और लेटर ऑफ कम्फर्ट भुना सकती हैं। इसे ध्यान में रखते हुए कंपनी ने सीईआरसी में याचिका दाखिल की है। एसीएमई ने एसईसीआई के साथ बिजली खरीद और पीजीसीआईएल के साथ बिजली आपूर्ति समझौता किया था।
अपनी याचिका में एसीएमई सोलर ने कहा कि वह प्राकृतिक आपदा के कारण दिसंबर 2018 का बिजली खरीद समझौता रद्द कर रही है। कंपनी ने परियोजना रद्द करने की कई वजहें बताई हैं, जिनमें कोविड-19 महामारी भी शामिल है। प्राकृतिक आपदा से जुड़े प्रावधान में ऐसी परिस्थितियों का जिक्र होता है, जो मानव के नियंत्रण से बाहर होती हैं। हालांकि इस प्रावधान के तहत कोई कंपनी या इकाई सामान्य परिस्थितियों में कार्य निष्पादित करने में असफल रहती है तो उसे किसी तरह की रियायत नहीं दी जाती है।
एसीएमई की याचिका में जिन दूसरे करणों का हवाला दिया गया है, उनमें फतेहगढ़ सब-स्टेशन के लिए आवंटित जमीन पर यथास्थिति बनाए रखने का राजस्थान उच्च न्यायालय का आदेश, कोविड-19 महामारी एवं दिसंबर 2019 से आपूर्तिकर्ताओं के विनिर्माताओं संयंत्रों पर इसका असर और भारत और चीन में लॉकडाउन का हवाला दिया गया है।
एसीएमई ने न्यायालय में चल रहे जिस मामले का जिक्र किया है वह सौर ऊर्जा परियोजना के लिए सब-स्टेशन निर्माण की जमीन और पीजीसीआईएल द्वारा पावर इवेक्वेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में देरी से संबंधित है। एसीएमई ने कहा कि पारेषण और सब-स्टेशन के लिए जमीन मिलने में देरी से परियोजना में 15 महीने की देरी हो गई थी और कोविड-19 महामारी की वजह से इसमें और देरी हो सकती है।
इस याचिका से पहले एससीएमई ने पहले भी पारेषण संपर्क में देरी की वजह से परियोजना में हो रही देरी का हवाला दिया था। कंपनी ने अपने पत्र में कहा था, 'हमारे सौर ऊर्जा परियोजना से बिजली आपूर्ति सुनितिश्चत नहीं लग रही है। ये परिस्थ्थितियां पूरी तरह से हमारे नियंत्रण से बाहर है और पीपीए और पीएस के प्रावधानों के तहत ये असामान्य परिस्थ्थितियां कहीं जा सकती है।'
दूसरी तरफ, एसईसीआई और पीजीसीआईएल ने परियोजना रद्द करने की एसीएमई की दलील पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि एससीएमई ने पीपीए रद्द करने का एकतरफा निर्णय लिया है। एसईसीआई ने याचिका पर जवाब देने के लिए सीईआरसी से और समय मांगा है। एसईसीआई ने कहा कि एसीएमई ने जिन बातों का जिक्र किया है, उनसे परियोजना में देरी नहीं हुई है।
|