पिछले दो महीने में अमेरिकी दवा नियामक की जांच से गुजरने वाले कई भारतीय दवा संयंत्रों ने सकारात्मक परिणाम हासिल किए हैं। जहां भारतीय दवा कंपनियां अमेरिका में दवा किल्लत की पृष्ठभूमि में अपने अनुपालन में धीरे धीरे सुधार लाने में सफल रही हैं, वहीं विश्लेषक इसे दवा निर्यात के लिहाज से सकारात्मक मान रहे हैं। अमेरिका में इस साल दवाओं की किल्लत बनी हुई है और सीएलएसए का कहना है कि इंजेक्टिबल उत्पादों के संदर्भ में यह समस्या ज्यादा गंभीर लग सकती है, क्योंकि इन उत्पादों का मौजूदा दवा किल्लत में 60 फीसदी से ज्यादा का योगदान है। अमेरिका को भेजी जाने वाली जेनेरिक दवाओं में भारत का लगभग 30 फीसदी योगदान है और यह देसी कंपनियों के लिए एक अच्छा अवसर है। यदि आप मार्च और मई के बीच संयंत्रों के लिए यूएसएफडीए जांच पर विचार करें तो पता चलता है कि ज्यादातर कंपनियों को अमेरिकी दवा नियामक से इस्टैब्लिशमेंट इंस्पेक्शन रिपोट्र्स (ईआईआर) मिली थीं। उदाहरण के लिए, ल्यूपिन की विशाखापत्तनम स्थित ऐक्टिव फार्मास्युटिकल संयंत्र (एपीआई) इकाई को मई के मध्य में ईआईआर मिली। इस संयंत्र की जनवरी 2020 में यूएसएफडीए द्वारा जांच की गई थी। ल्यूपिन के पीथमपुर संयंत्र-1 और नागपुर संयंत्रों (दोनों फॉर्मूलेशन का निर्माण करते हैं) को अप्रैल में ईआईआर मिली थीं। इन घटनाक्रम के बाद, कुछ ब्रोकरों ने ल्यूपिन के शेयर की रेटिंग 'घटाएं' से बढ़ाकर 'खरीदें' कर दी है। विश्लेषक भारतीय संयंत्रों को यूएसएफडीए जांच में सफलता मिलने और अमेरिका में दवाओं की बढ़ रही किल्लत को देश के निर्यातकों के लिए सकारात्मक मान रहे हैं। सीएलएसए के विश्लेषक अरुण दलाल का कहना है कि फिर भी कुछ निरीक्षणों से संबंधित कम चेतावनी पत्र मिलना सकारात्मक है। सिप्ला के वैश्विक प्रमुख वित्तीय अधिकारी केदार उपाध्याय ने कहा कि जब भी वे मांग में सुधार देखेंगे, कंपनी आपूर्ति की कोशिश करेगी। उद्योग के जानकारों का कहना है कि मौजूदा दवा किल्लत सिर्फ अल्पावधि से मध्यावधि अवसर हो सकती है, लेकिन ईआईआर की वजह से कुल निर्यात बढ़ाने में लंबा वक्त लगेेगा। इंडियन फार्मास्युटिकल अलायंस (आईपीए) के महासचिव सुदर्शन जैन का मानना है कि भारतीय फार्मा क्षेत्र ने अनुपालन में सुधार लाने की दिशा में काम किया है। इस बीच, कोरोना महामारी की वजह से पैदा हुईं परिवहन और लॉजिस्टिक संबंधी समस्याओं को देखते हुए यूएसएफडीए भी वैकल्पिक जांच विकल्पों और दृष्टिकोणों की संभावना तलाश रहा है। एक ताजा बयान में उसने कहा, 'कोविड-19 के दौरान, यूएसएफडीए अतिरिक्त वैकल्पिक जांच विकल्पों और दृष्टिकोणों का इस्तेमाल एवं क्रियान्वयन बरकरार रखेगा, जबकि घरेलू और विदेशी नियमित निगरानी प्रणालियों से परहेज करेगा।' हालांकि सुदर्शन जैन दवा नियामक द्वारा जांच में किसी तरह की ढील नहीं देख रहे हैं। उनका कहना है कि अमेरिकी नियामक ने यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त निगरानी एवं जांच पर जोर दिया है कि दुनियाभर में गुणवत्ता मानकों पर अमल हो। एफडीए ने कहा है, 'अपने विविध विनियमित उद्योगों के साथ दशकों के अनुभव के आधर पर, हमारा मानना है कि एफडीए-नियंत्रित कई कंपनियां उत्पादों के निर्माण में सुरक्षा को लेकर अपनी जि?मेदारी समझती हैं। ज्यादातर कंपनियां गुणवत्तायुक्त उत्पाद मुहैया कराने और आपूर्ति शृंखला की अखंडता बरकरार रखने पर जोर देती हैं।'
