कम ही राज्य ले पाएंगे अतिरिक्त उधारी | अनूप रॉय / मुंबई May 18, 2020 | | | | |
बॉन्ड बाजार राज्यों की अतिरिक्त उधारी के प्रावधानों को लेकर ज्यादा उत्सुक नजर नहीं आ रहा है। इस प्रावधान का आकलन करने पर पता चलता है कि इसके साथ जुड़ी शर्तों के कारण ज्यादातर राज्य स्वत: इससे बाहर हो जाएंगे। अतिरिक्त आपूर्ति के भय से प्रतिफल बढऩे के बावजूद 10 साल का बॉन्ड प्रतिफल 5.774 फीसदी पर बंद हुआ जबकि इसका पिछला स्तर 5.78 फीसदी था।
भारतीय स्टेट बैंक समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्यकांति घोष ने बताया कि केवल आठ राज्यों के पास अतिरिक्त उधारी की योग्यता है। ऐसा इसलिए कि इस प्रावधान में कारोबारी सुगमता, बिजली वितरण रैंक और शहरी स्थानीय निकायों की संख्या की विस्तृत शर्तें लगाई गई हैं। इसमें एक और शर्त जोड़ी गई है एक देश एक राशन कार्ड, लेकिन यह नई शर्त है जिसे पूरा करने लिए राज्यों को समय दिया जाएगा।
यदि सभी शर्तें पूरी हो जाती हैं तो राज्य सरकार अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) की 5 फीसदी उधारी ले सकती हैं जो फिलहाल 3 फीसदी है। जीएसडीपी की 3 फीसदी उधारी की ऊपरी सीमा पर उधारी की रकम 6.41 लाख करोड़ रुपये है जिसमें से राज्यों ने 14 फीसदी का उपयोग किया है।
केंद्र सरकार के मुताबिक अतिरिक्त उधारी के प्रावधान से राज्यों के पास 4.28 लाख करोड़ रुपये अधिक जुटाने की गुंजाइश होगी।
राज्यों के पास बिना किसी शर्त के उनके जीएसडीपी का 0.5 फीसदी अतिरक्त उधारी जुटाने की गुंजाइश होगी । हालांकि, बाकी रकम के लिए शर्तें लगाई गई हैं। इसलिए, उधारी में 1 फीसदी के इजाफे को विशिष्ट, गौर करने लायक और सुसंगत सुधार कार्रवाइयों से जोड़ा जाएगा। यदि चार में से तीन सुधार कर लिए जाते हैं तो इसमें 0.5 फीसदी का और इजाफा कर दिया जाएगा। लेकिन गणना दिखाती है कि सामान्य परिस्थितियों में भी इन लक्ष्यों को पूरा कर पाना राज्यों के लिए बहुत कठिन होगा। उदाहरण के लिए पश्चिम बंगाल, ओडिशा उदय योजना का हिस्सा नहीं हैं लिहाजा बिजली वितरण के मोर्चे पर उनका रैंक कम है। यह आकलन राज्यों के आंकड़ों पर एसबीआई की गणना का है। केरल सहित इन राज्यों में कम संख्या में शहरी स्थानीय निकाय हैं। ज्यादातर मोर्चों पर बिहार भी इसे पाने में पिछड़ रहा है। घोष ने एक टिप्पणी में लिखा, 'हमारी शोध बताती है कि 20 राज्यों में से केवल 8 राज्य ही केंद्र सरकार की शर्तों को पूरा कर पाने में सक्षम हैं और वही राज्य अपने जीएसडीपी की 2 फीसदी अतिरिक्?त उधारी का लाभ ले पाएंगे। अत: हम मानते हैं कि वित्त वर्ष 2021 में 4.28 लाख करोड़ रुपये में से केवल 3.13 लाख करोड़ रुपये (73 फीसदी) ही वास्तव में राज्य उधारी के तौर पर ले पाएंगे।' घोष ने कहा, 'हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, बिहार, ओडिशा, असम, झारखंड, छत्तीसगढ़ जैसे कुछ राज्यों को उधारी की सुविधा लेने के लिए शर्तें पूरी करनी होगी।' लगाई गई शर्तों को देखते हुए अब ऐसा नहीं लगता कि राज्य उधारी के लिए दौर पड़ेंगे। लेकिन साल के अंत में आपूर्ति में कुछ बढ़ोतरी हो सकती है जब मुख्य तौर पर राज्य उधारी लेते हैं।
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