पैकेेज से निराश शेयर बाजार में तेज गिरावट | सुंदर सेतुरामन / मुंबई May 18, 2020 | | | | |
सरकार द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज को लेकर निवेशकों के निराश होने की वजह से बेंचमार्क सूचकांकों में आज 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई। बैंकिंग शेयर करीब 7 फीसदी टूट गए। कई देशों में लॉकडाउन में ढील से वैश्विक बाजार से मजबूत संकेत मिलने के बावजूद निवेशकों का मनोबल नहीं बढ़ा।
सेंसेक्स 1,069 अंक गिरकर 30,028 पर बंद हुआ, वहीं निफ्टी 314 अंक नीचे 8,823 पर बंद हुआ। दोनों सूचकांक 8 अप्रैल के अपने निचले स्तर पर आ गए। विश्लेषकों ने कहा कि सरकार द्वारा घोषित प्रोत्साहन उपायों से फौरी तौर पर वृद्घि में मामूली सुधार की उम्मीद है। इसके साथ ही देशव्यापी लॉकडाउन को बढ़ाए जाने से भी निवेशकों की चिंता बढ़ी है।
अवेंडस कैपिटल अल्टरनेट स्ट्रैटजीज के मुख्य कार्याधिकारी एंड्रयू हॉलैंड ने कहा, 'दबाव वाली कंपनियों की चिंता को दूर करने के तात्कालिक उपाय नहीं किए गए हैं, वहीं मांग में सुधार के लिए भी कुछ नहीं किया गया है। अगर लॉकडाउन हट भी जाता है तो मांग कहां से आएगी? लोग सतर्कता बरत रहे हैं क्योंकि रोजगार की सुरक्षा नहीं है।' बैंकिंग शेयरों पर सबसे बड़ी मार पड़ी है। निवेशकों को डर है कि प्रोत्साहन उपायों से बैंकों पर असर पड़ेगा। विश्लेषकों ने कहा कि सरकार ने नए दिवालिया मामलों पर एक साल तक रोक लगाने का निर्णय किया है, इससे बैंकों के मुनाफे पर आगे और चोट पड़ेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी, जिससे बुधवार को बाजार 2 फीसदी चढ़ गया था। लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की सिलसिलेवार घोषणाओं ने निवेशकों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। विदेशी ब्रोकरेज बर्नस्टीन ने सवाल किया कि यह पैकेज सकल घरेलू उत्पाद में सुधार लाने के बारे में था या 20 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े तक पहुंचना भर था? उसने कहा, 'भारत में बड़े आर्थिक पैकेज की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन इसके विवरण ने निराश किया और पूरा पैकेज अर्थहीन प्रतीत हुआ। कुल मिलाकर हमने अवसर गंवा दिए।' विदेशी निवेशकों ने 2,513 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की बिकवाली की, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 150 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। बाजार करों में कटौती, नकद अंतरण और मांग बढ़ाने के अन्य उपायों की उम्मीद कर रहा था। वेलेंटिस एडवाइजर्स के संस्थापक ज्योतिवद्र्घन जयपुरिया ने कहा, 'इस इस बात की चिंता बढ़ गई है कि अल्पावधि में अर्थव्यवस्था में कैसे सुधार होगा।'
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