प्रोत्साहन से ज्यादा सुधार पर जोर | इंदिवजल धस्माना / नई दिल्ली May 17, 2020 | | | | |
ग्रामीण इलाकों में रोजगार के लिए मनरेगा योजना का आवंटन 66 फीसदी बढ़ाने के अलावा सरकार की ओर से सीमित तात्कालिक राहत मुहैया कराई गई है। हालांकि 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की अंतिम किस्त की घोषणा के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र में ठोस सुधार की पहल भी की गई है।
सार्वजनिक उपक्रम नीति के अनुसार सरकारी स्वामित्व वाली इकाइयां केवल रणनीतिक क्षेत्रों में होंगी, जिसकी परिभाषा तय की जाएगी। इसके अलावा अन्य क्षेत्रों की कंपनियों का निजीकरण किया जाएगा। हालांकि इस नीति का ब्योरा बाद में दिया जाएगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यों को ज्यादा उधारी लेने की भी अनुमति दी है लेकिन यह एक राष्ट्र एक राशन कार्ड जैसे सुधारों को लागू करने की शर्त पर होगा। अगर राज्य उधार लेने की बढ़ी हुई सीमा का पूरा इस्तेमाल करते हैं, तो वे बाजार से 4.28 लाख करोड़ रुपये जुटा सकते हैं। लेकिन इससे संबंधित राज्य का राजकोषीय घाटा राज्य सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 5 फीसदी बढ़ सकता है। इसके साथ ही केंद्र की अतिरिक्त 4.20 लाख करोड़ रुपये की उधारी से देश का एकीकृत राजकोषीय घाटा जीडीपी का 10 फीसदी से ज्यादा हो सकता है।
वित्त मंत्री द्वारा की गई अधिकतर घोषणाएं दिवालिया और कंपनी अधिनियम से जुड़ी हैं। ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) के तहत नई कार्रवाई को पहले घोषित छह माह की जगह एक साल तक के लिए टाल दिया गया है। इसके साथ ही सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रम के लिए दिवालिया प्रारूप लाने की बात कही गई है। सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए भी आवंटन बढ़ाएगी, लेकिन यह रकम कितनी होगी इसका खुलासा वित्त मंत्री ने नहीं किया। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार स्कूली छात्रों की शिक्षा के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का विस्तार करेगी और छात्रों, शिक्षकों और परिवारों के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए मनोदर्पण पहल शुरू करेगी। सबसे बड़ा सुधार के तहत लगभग सभी सार्वजनिक क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोला जाएगा।
औद्योगिक संवद्र्घन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) की साइट के अनुसार अभी परमाणु ऊर्जा, रेलवे परिचालन, चुनिंदा क्षेत्रों के परिचालन एवं रखरखाव को छोड़कर सभी क्षेत्र निजी क्षेत्रों के लिए खुले हैं। 2020-21 के बजट में रेलवे में भी सार्वजनिक-निजी सोझदारी की अनुमति देने की घोषणा की गई थी।सीतारमण ने कहा कि जनहित में रणनीतिक क्षेत्रों के लिए सार्वजनिक उउपक्रमों की मौजूदगी की सूची अधिसूचित की जाएगी। इनमें से कम से कम एक उपक्रम सार्वजनिक क्षेत्र के होंगे लेकिन निजी क्षेत्र को भी इसमें अनुमति होगी।
उन्होंने कहा कि अन्य सभी क्षेत्रों में सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण किया जाएगा। शिव नाडर यूनिवर्सिटी में प्राध्यापक और अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख पार्थ चटर्जी ने कहा, 'इस कदम से कई क्षेत्रों में सरकार की मौजूदगी कम होगी और निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन इससे मौजूदा संकट से निपटने में ज्यादा मदद नहीं मिलेगी।'स्कोप की वेबसाइट के अनुसार 2018-19 में करीब 70 घाटे वाले केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम थीं और 178 मुनाफा कमाने वाली इकाइयां थीं।
सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के लिए 40,000 करोड़ रुपये बढ़ाने की घोषणा की है। बजट में भी इसके लिए 61,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। इससे गांव लौटने वाले प्रवासी श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध हो सकेगा। सीतारमण ने कहा कि इससे करीब 300 करोड़ मानव दिवस सृजित करने में मदद मिलेगी।
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