विश्व बैंक ने भारत के सामाजिक क्षेत्र के वित्त पोषण के लिए 1 अरब डॉलर देने की शुक्रवार को घोषणा की ताकि गरीब और कमजोर परिवारों को सामाजिक सहयोग देने के लिए देश की कोशिशों में मदद का दायरा और बढ़ाया जा सके जो महामारी से बुरी तरह प्रभावित है। यह पूंजी आर्थिक और मानवीय संकट का सामना कर रहे असंगठित कामगारों और प्रवासी श्रमिकों के लिए खर्च की जाएगी। यह वित्तीय योजना भारत के 'कोविड-19 सामाजिक संरक्षण प्रतिक्रिया कार्यक्रम प्रोत्साहन' के मकसद से तैयार की गई है ताकि महामारी से गंभीर रूप से प्रभावित गरीब और कमजोर परिवारों को सामाजिक सहायता देने के देश के प्रयासों का समर्थन किया जा सके। विश्व बैंक ने कोविड-19 महामारी का मुकाबला करने के लिए भारत को अब तक कुल दो अरब डॉलर देने की प्रतिबद्धता जताई है। पिछले महीने भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र की मदद के लिए एक अरब अमेरिकी डालर सहायता देने की घोषणा की गई थी। विश्व बैंक ने कहा है कि ताजा सहायता दो चरणों में दी जाएगी पहला वित्त वर्ष 2020 के लिए 75 करोड़ डॉलर का तत्काल आवंटन किया जाएगा जबकि वित्त वर्ष 2021 के लिए दूसरे चरण में 25 करोड़ डॉलर उपलब्ध कराई जाएगी। इस अभियान के पहले चरण को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के माध्यम से देशव्यापी स्तर पर लागू किया जाएगा। इससे सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) जैसे पहले से मौजूद राष्ट्रीय मंचों और कार्यक्रमों का इस्तेमाल कर नकद हस्तांतरण और खाने-पीने से जुड़े सामानों के वितरण में तुरंत मदद मिलने की उम्मीद है। इसके जरिये कोविड-19 के राहत प्रयासों से जुड़े जरूरी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा देने और प्रवासी मजदूरों और असंगठित क्षेत्र के कामगारों जैसे कमजोर समूहों को लाभ पहुंचाने पर ध्यान दिया जाएगा। दूसरे चरण में, कार्यक्रम सामाजिक सुरक्षा पैकेज के दायरे को और व्यापक करेगा वहीं राज्य सरकारों और पोर्टेबल सामाजिक सुरक्षा वितरण प्रणालियों के माध्यम से स्थानीय जरूरतों के आधार पर अतिरिक्त नकदी और अन्य तरह के लाभों का दायरा बढ़ाया जाएगा। भारत में विश्व बैंक के कंट्री डाइरेक्टर जुनैद अहमद ने मीडिया के साथ एक वेबिनार में कहा, 'कोविड-19 महामारी का मुकाबला करने के लिए दुनिया भर में सरकारों को लॉकडाउन और सामाजिक दूरी के नियमों को अभूतपूर्व तरीके से लागू करना पड़ा है खासतौर पर असंगठित क्षेत्र में। वायरस के प्रसार को रोकने के लिए किए गए इन उपायों से अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हुई है और खासतौर से असंगठित क्षेत्र में नौकरियां प्रभावित हुई हैं। भारत भी इसका अपवाद नहीं है।' इस एक अरब डॉलर की इस सहायता में 55 करोड़ डॉलर की फंडिंग विश्व बैंक की रियायती ऋण शाखा अंतरराष्ट्रीय विकास संघ (आईडीए) के द्वारा किया जाएगा जबकि 20 करोड़ डॉलर का ऋण अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (आईबीआरडी) द्वारा दिए जाएंगे जिसकी अंतिम परिपक्वता अवधि 18.5 सालों की होगी जिसमें पांच साल की रियायत अवधि भी शामिल होगी। बाकी के 25 करोड़ डॉलर 30 जून 2020 के बाद दिए जाएंगे जो आईबीआरडी के मानक शर्तों पर आधारित होगा। इस योजना पर वित्त मंत्रालय ही अमल करेगा।
