थोक महंगाई दर के आंशिक आंकड़े जारी | शुभायन चक्रवर्ती / नई दिल्ली May 15, 2020 | | | | |
अप्रैल में लगातार चौथे महीने खाद्य महंगाई में गिरावट आई है। देशव्यापी बंदी की वजह से थोक लेन देन सीमित रहने और आंकड़ों के अभाव के कारण सरकार ने आंशिक आंकड़े जारी किए हैं।
गुरुवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 के पहले महीने में कोविड-19 के फैलाव के कारण पूरे आंकड़े एकत्र नहीं किए जा सके। वाणिज्य मंत्रालय ने कहा, 'यह फैसला किया गया कि डब्ल्यूपीआई के चुनिंदा समूहों व उपसमूहों के दाम में उतार चढ़ाव के आंकड़े जारी किए जाएं, क्योंकि संपूर्ण आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।'
मार्च महीने में डब्ल्यूपीआई 4 महीने के निचले स्तर 1 प्रतिशत पर था, जो फरवरी के 2.3 प्रतिशत से कम है। पिछले साल के आखिर से ही भारत में थोक महंगाई में उतार चढ़ाव की स्थिति है। अर्थशास्त्रियों ने कहा कि कम महंगाई दर ऐसे समय में आई है, जब रिस्पॉन्स रेट कम थी और यह डिसइन्फ्लेशन की उम्मीदों के विपरीत है।
बहरहाल अप्रैल महीने में खाद्य महंगाई घटकर 3.6 प्रतिशत रही, जो मार्च में 4.9 प्रतिशत थी। खाद्य महंगाई दिसंबर से ही कम हो रही है, जो उस समय 13.3 प्रतिशत के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। खाद्य के दाम में कमी से खासकर ऐसे समय में ग्रामीण व शहरी गरीबों को राहत की उम्मीद है, जब 25 मार्च से देशबंदी चल रही है। कुछ इलाकों में खाद्यान्न कम होने की खबरें आईं, क्योंकि इस वस्तुओं की आपूर्ति शृंखला पर असर पड़ा है। इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नैयर ने कहा, 'अप्रैल 2020 में थोक और खुदरा स्तर पर खाद्य महंगाई में अलग अलग धारणा नजर आई। डब्ल्यूटीआई खाद्य महंगाई दर में गिरावट उत्साहजनक है और इससे संकेत मिलते हैं कि खुदरा महंगाई दर में तेजी लॉकडाउन की वजह से आए व्यवधान की वजह से है। अप्रैल 2020 में थोक खाद्य महंगाई में गिरावट की मुख्य वजह सब्जियां रहीं, इससे पता चलता है कि खराब होने वाली प्रवृत्ति और मांग को लेकर अनिश्चितता की वजह से कीमतों में गिरावट आई है।'
इसके अलावा महंगाई में कमी की वजह ईंधन और बिजली क्षेत्र रहा, जिसमें अप्रैल महीने में 10 प्रतिशत से ज्यादा गिरावट आई है, जबकि मार्च में 1.7 प्रतिशत की गिरावट थी।
विनिर्माण के आंकड़े नहीं
सरकार ने विनिर्मित उत्पादों की महंगाई के आंकड़े जारी नहीं किए हैं, जिसका सूचकांक में अधिभार 65 प्रतिशत है। इसके पहले के महीने में इस सेक्टर में कीमतों में महज 0.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी, जबकि फरवरी में 0.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। बहरहाल हाल के महीनों मेंं इस सेक्टर में मिली जुली स्थिति रही है।
आंकड़ों के विश्लेषण में केयर रेटिंग ने कहा है, 'विनिर्माण सूचकांक के 6 उप समूह में, जिनके आंकड़े उपलब्ध हैं, 3 में सालाना आधार पर महंगाई में बढ़ोतरी हुई है, जबकि अन्य तीन में गिरावट आई। विनिर्माण सूचकांक में बेसिक मेटल का अधिभार सबसे ज्यादा (9.65 प्रतिशत) है, इसमें अप्रैल महीने में 4.3 प्रतिशत की सिकुडऩ आई है। यहां तक कि 6 प्रतिशत अधिभार वाले रसायन मेंं 2.6 प्रतिशत का संकुचन हुआ है।'
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