सरकार ने आज नाबार्ड को 30,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त पुनर्वित्त समर्थन देने की घोषणा की है। इसका इस्तेमाल क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और कोऑपरेटिव संस्थानों के माध्यम से गांवों में नकदी बढ़ाने के लिए किया जाएगा। साथ ही सस्ते कर्ज की सुविधा देने के लिए 2.5 करोड़ नए किसानों का पंजीकरण किया जाएगा। हालांकि जानकारों का कहना है कि इससे कम दाम और गिरती मांग जैसी बुनियादी समस्याओं का समाधान नहीं होगा।
आलोचकों का कहना है कि 2.5 करोड़ नए किसानों को जोडऩे के लिए कोई समयावधि तय नहीं की गई है, न्हिें नाबार्ड के माध्यम से सस्ता कर्ज दिया जाना है। उनका कहना है कि लॉकडाउन के कारण पूरा काम ठप पड़ गया है, ऐसे में किसानों से बैंक 4.8 प्रतिशत ब्याज की वसूली कैसे कर सकेंगे।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक नाबार्ड के लिए रिफाइनैंस मौजूदा 90,000 करोड़ रुपये रिफाइनैंस के अतिरिक्त है।
भारत कृषक समाज के चेयरमैन अजयवीर जाखड़ ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'मेरे हिसाब से बेहतर यह होता कि कम अवधि की फसली ऋण पर मौजूदा ब्याज पूरी तरह माफ कर दिया जाता और केंद्रीय योजनाओं के माध्यम से नकदी के संकट से जूझ रहे राज्यों को और ज्यादा धन दिया जाता, जिससे कृषि के लिए सावधि ऋण मिल पाता। इसके अलावा मनरेगा के तहत न्यूनतम 10 दिन का काम हर महीने ग्रामीण गरीबों को दिया जाना चाहिए।'
सस्ता कर्ज मुहैया कराने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड के तहत 2.5 करोड़ किसानों को लाने की योजना सरकार की चल रही योजना का हिस्सा है, जिससे उन्हें 2 लाख करोड़ रुपये मिल सके। केंद्र सरकार ने अधिकतम किसानों को संस्थागत कर्ज के तहत लाने के लिए अभियान चला रखा है।
इस योजना के तहत किसानों को 25 लाख नए किसान कार्ड लॉकडाउन के दौरान जारी किए गए हैं और उन्हें 25,000 करोड़ रुपये कर्ज दिया गया है। उत्तर प्रदेश योजना आयोग के पूर्व सदस्य सुधीर पंवार ने कहा, 'वित्त मंत्री की आज की घोषणा से छोटे व सीमांत किसानों को वित्तीय सहायता मिलने की उम्मीद जगी है।'