'राज्य लें ऋण, ग्राहकों को दें लाभ' | श्रेया जय / नई दिल्ली May 15, 2020 | | | | |
राज्य के स्वामित्व वाली बिजली वितरण कंपनियों की तरलता स्थिति में सुधार लाने के लिए केंद्र का प्रयास लॉकडाउन अवधि में एकबारगी राहत की है। तीन स्तरीय दृष्टि का सुझाव देते हुए केंद्रीय ऊर्जा मंत्री इस बात को लेकर आशान्वित हैं कि विशेष ऋण योजना का लाभ लेने के लिए कई राज्य सामने आएंगे।
बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत करते हुए बिजली तथा नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री आरके सिंह ने कहा कि अपने बकायों के भुगतान के लिए वितरण कंपनियों को दिया जाने वाला ऋण रियायती दरों पर होगा। उत्पादन कंपनियों का वितरण कंपनियों पर बकाया इस साल फरवरी में रिकॉर्ड 92,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया था। विद्युत मंत्रालय के प्राप्ति पोर्टल के मुताबिक मार्च महीने में यह 77,000 करोड़ रुपये था।
सिंह ने कहा, 'डिस्कॉम पर उत्पादन कंपनियों (जेनको) के बकाये भुगतान में 18 फीसदी का देरी से भुगतान सरचार्ज शामिल है। हमने इसे लॉकडाउन अवधि के लिए घटाकर 12 फीसदी कर दिया। लेकिन लॉकडाउन के बाद यह फिर से 18 फीसदी हो जाएगा। ऐसे में डिस्कॉम के 18 फीसदी के बोझ की बजाय हम उन्हें 8 से 10 फीसदी पर ऋण की पेशकश कर रहे हैं।' उन्होंने कहा, 'यह एक सुलभ ऋण है जो इस क्षेत्र को बड़ी राहत प्रदान करेगा। डिस्कॉम बकाये से मुक्त हो जाएंगी और उत्पादन कंपनियों को अपना भुगतान मिल जाएगा। ऐसे में यह ऋण लेना राज्यों के हित में होगा।' केंद्र सरकार ने बुधवार को बिजली वितरण क्षेत्र 92,000 करोड़ रुपये नकदी डालने की घोषणा की थी। सिंह ने कहा कि यही वह रकम है जिसे बिजली क्षेत्र के ऋणदाता पावर फाइनैंस कॉर्पोरेशन (पीएफसी) और ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) डिस्कॉम को देंगी। उन्होंने कहा, 'पीएफसी और आरईसी अपने ऋणों पर सामान्य स्प्रेड 2.5 से 3 फीसदी का रखती हैं। इस ऋण के लिए स्प्रेड 1.5 फीसदी होगी। इसलिए ऋण कम दरों पर उपलब्ध होगा। इसे दो साल की ऋण स्थगन अवधि के साथ 10 साल में चुकाना होगा।'
मंत्री ने कहा कि हालांकि, राज्यों को पीएफसी और आरईसी को नुकसान में कमी का एक ग्राफ सौंपना होगा। सिंह ने कहा, 'यदि डिस्कॉम इसका पालन नहीं करती हैं तो ऋणदाता अपना ऋण वापस ले सकती है।' उन्होंने कहा, 'बिजली बिल पर यदि कोई राज्य सब्सिडी देता है तो डिस्कॉम को उसे उसका अग्रिम भुगतान भी करना होगा।'
दिसंबर 2019 में कुल तकनीकी और वाणिज्यिक नुकसान (एटीऐंडसी) या डिस्कॉम की अक्षम प्रणाली के कारण बिजली आपूर्ति नुकसान 20.8 फीसदी था और उसका वित्तीय नुकसान 18,316 करोड़ रुपये था। वितरण कंपनियों की पिछली उद्धार योजना उदय के तहत एटीऐंडसी नुकसान का राष्ट्रीय औसत मार्च 2019 तक कम होकर 15 फीसदी पर आने की उम्मीद जताई गई थी। राहत पैकेज के अन्य दो घटक बिजली की लागत में कटौती करने पर केंद्रित है। एनटीपीसी, एनएचपीसी, डीवीसी आदि जैसी केंद्र सरकार की उत्पादन कंपनियां बिजली की बिक्री पर डिस्कॉम से वसूल किए जाने वाले टैरिफ पर छूट देंगी। सिंह ने कहा कि लॉडकाउन अवधि के लिए केंद्रीय उत्पादन कंपनियां डिस्कॉम को 20 से 25 फीसदी की छूट देंगी। हम चाहते हैं कि राज्य इसका लाभ बिजली दरों में कमी लाकर उपभोक्ताओं को प्रदान करें।
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