प्रमुख एंटीवायरल दवाओं की मांग में दिख रही तेजी | सोहिनी दास / मुंबई May 15, 2020 | | | | |
दुनिया भर में कोरोनावायरस वैश्विक महामारी के प्रकोप के कारण कुछ एंटीवायरल दवाओं की मांग में हाल के दिनों में तेजी दर्ज की गई है। विशेष तौर पर इन्फ्लुएंजा अथवा एचआईवी के उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली उन दवाओं की मांग बढ़ी है जिनका परीक्षण कोविड-19 के उपचार के लिए किया जा रहा है।
बाजार अनुसंधान फर्म एआईओसीडी आवाक्स के आंकड़ों से पता चलता है कि इन्फ्लुएंजा वायरस और स्वाइन फ्लू के उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली दवा ओसेल्टामिविर (सामान्य ब्रांड टैमिफ्लू) की मांग में सालाना आधार पर 35.8 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। इसी प्रकार एचआईवी की दवा टेनोफोविर और उसके कंबिनेशन दवाओं की मांग में महीने के दौरान उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। घरेलू बाजार में लोपिनेविर और रिटोनेविर के कंबिनेशन दवा की बिक्री अप्रैल में 50 फीसदी से अधिक बढ़ गई।
इनमें से अधिकतर एंटीवायरल दवाओं का परीक्षण नोवल कोरोनावायरस के रोगियों पर किया जा रहा है। कुल मिलाकर एंटीवायरल दवाओं की बिक्री में सालाना आधार पर 5.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
निर्यात के मोर्चे पर भी एंटीवायरल दवाओं की मांग बरकरार दिख रही है। औषधि निर्यात संवद्र्धन परिषद (फार्मेक्सिल) के महानिदेशक उदय भास्कर ने कहा कि एंटीवायरल दवाओं की मांग काफी अधिक है क्योंकि अधिकतर देश कोविड-19 के लिए उपचार प्रोटोकोल के तहत इनका परीक्षण कर रहे हैं। हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन और पैरासिटामोल की मांग भी मार्च और अप्रैल में अधिक रही।
मार्च में लगभग 9 फीसदी की वृद्धि दर्ज करने के बाद अप्रैल में धरेलू औषधि बाजार में सालाना आधार पर 11.2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। मार्च में ग्राहकों द्वारा घबराहट में की गई खरीदारी से बिक्री को सहारा मिला था। बाजार को मुख्य तौर पर एंटीबायोटिक्स जैसी गंभीर उपचार वाली दवाओं की बिक्री में गिरावट से झटका लगा। इसके अलावा त्वचा रोग एवं स्त्री रोग संबंधी दवाओं की बिक्री में भी भारी गिरावट दर्ज की गई।
आंकड़ों के अनुसार, संक्रमणरोधी दवाओं (घरेलू औषधि बाजार में करीब 11 फीसदी हिस्सेदारी) की बिक्री में 21.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई जबकि स्त्री रोग संबंधी दवाओं (करीब 5 फीसदी बाजार हिस्सेदारी) की बिक्री में 23 फीसदी और त्वचा रोग संबंधी दवाओं (करीब 6 फीसदी बाजार हिस्सेदारी) की बिक्री में 22.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
गंभीर चिकित्सा पर केंद्रित एक कंपनी के वरिष्ठï अधिकारी ने कहा कि लॉकडाउन के कारण लोग घर के अंदर ही रह रहे हैं और इसलिए वे संक्रमण से बहुत अधिक प्रभावित नहीं हो रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप एंटीबायोटिक दवाओं की बिक्री में गिरावट आई है। त्वचा रोग, स्त्री रोग, टीका आदि श्रेणियां काफी हद तक नए प्रेस्क्रिप्शन पर निर्भर करती हैं। पूरा अप्रैल लॉकडाउन में होने के कारण डॉक्टरों से शायद ही नए प्रेस्क्रिप्शन आए। उन्होंने कहा, 'यदि आप भारतीय औषधि बााजर की तुलना मासिक आधार पर करेंगे तो बिक्री में गिरावट कहीं अधिक यानी करीब 19 फीसदी दिखेगी।'
दवा कंपनियां अब वेबिनार के जरिये काफी सक्रियता से डॉक्टरों से संपर्क साध रही हैं। साथ ही वे डॉक्टरों को कई टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म की सुविधा उपलब्ध करा रही हैं ताकि नए प्रेस्क्रिप्शन बाजार में आ सकें। वॉकहार्ट और एल्केम जैसी गंभीर चिकित्सा संबंधी दवाओं पर केंद्रित कंपनियों की बिक्री में भी जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है। अप्रैल में वॉकहार्टकी 26.9 फीसदी घट गई जबकि इस दौरान एल्केम की बिक्री में 16.6 फीसदी की गिरावट आई।
मोतीलाल ओसवाल के विश्लेषकों ने कहा कि एल्केम जैसी कंपनियों की बिक्री में वृद्धि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि संक्रमणरोधी दवा श्रेणी में सालाना आधार पर 20.2 फीसदी की गिरावट रही जबकि कंपनी की बिक्री में इसका योगदान करीब 40 फीसदी है। हालांकि अधिकतर कंपनियों ने वृद्धि में गिरावट दर्ज की है लेकिन मेट्रोजिल बनाने वाली मुंबई की दवा कंपनी जेबी केमिकल्स ने अप्रैल में सालाना आधार पर 5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की जिसे हृदयरोग श्रेणी से बल मिला।
मोतीलाल ओसवाल के विश्लेषकों ने कहा कि जेबी केमिकल्स के प्रदर्शन को उसकी हृदयरोग श्रेणी में सालाना आधार पर 30.8 फीसदी की वृद्धि से बल मिला। जेबी केमिकल्स के अध्यक्ष प्रणब मोदी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि उन्होंने मार्च में लॉकडाउन शुरू होने से कुछ ही समय पहले डॉक्टरों के साथ्थ वेबिनार के जरिये इस श्रेणी में एक दवा को लॉन्च किया था।
बहरहाल, मार्च में ग्राहकों द्वारा घबराहट में की गई खरीदारी से हृदयरोग एवं मधुमेहरोधी श्रेणियों में बिक्री को रफ्तार मिली। लेकिन अप्रैल में भी इन श्रेणियों का प्रदर्शन बहुत खराब नहीं रहा जहां क्रमश: 5.9 फीसदी और 6.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन और क्लोरोक्विन बनाने वाली कंपनी इप्का लैबोरेटरीज ने मलेरियारोधी दवाओं की बिक्री में 35.7 फीसदी की वृद्धि दर्ज की।
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