सरकारी उपाय बॉन्ड प्रतिफल में अंतर घटाने में नाकाम | अनूप रॉय / मुंबई May 15, 2020 | | | | |
आंकड़ों से पता चलता है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए सरकार के क्रेडिट गारंटी उपायों का कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में स्प्रेड (प्रतिफल में अंतर) पर बड़ा असर नहीं दिखा है।
हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि इस अंतर में कमी आएगी, क्योंकि क्रेडिट उपायों पर अमल शुरू होगा, और आंशिक क्रेडिट गारंटी से बैंकों में लंबी अवधि के एनबीएफसी पत्रों को लेकर भरोसा फिर से बढ़ रहा है।
गुरुवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एनबीएफसी, आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) और सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) के लिए 30,000 करोड़ रुपये की विशेष नकदी योजना की घोषणा की। इस योजना के तहत होने वाले सभी निवेश सरकार की गारंटी से जुड़े होंगे।
इसके अलावा, सरकार ने यह भी कहा है कि वह बॉन्डों के निर्गम, एनबीएफसी, एचएफसी और एमएफआई के वाणिज्यिक पत्रों जैसी उधारी को ध्यान में रखते हुए आंशिक क्रेडिट गारंटी योजना का विस्तार करेगी और इनमें सरकार गारंटर के तौर पर गैर-रेटिंग के पत्रों के लिए भी पहले 20 प्रतिशत नुकसान का वहन करेगी। इससे बैंकिंग उद्योग की सहायता के लिए अन्य 45,000 करोड़ रुपये की नकदी हासिल करने में मदद मिलेगी। एए और इससे कम की क्रेडिट रेटिंग वाले ऋणदाताओं के पत्र इस योजना के तहत निवेश के लिए योग्य होंगे।
हालांकि ये उपाय फिलहाल कॉरपोरेट बॉन्ड प्रतिफल को नीचे लाने में विफल रहे हैं, क्योंकि सरकारी बॉन्ड प्रतिफल भी अपने पूर्ववर्ती बंद स्तर से लगभग सपाट बना हुआ है।
एक बैंक के ट्रेजरी प्रमुख ने कहा, 'एनबीएफसी पत्रों से अभी भी बड़ा जोखिम जुड़ा हुआ है, और निवेश का विवरण अभी सामने नहीं आया है। इसमें कुछ वक्त लगेगा, लेकिन प्रतिफल अंतर में कमी आएगी।'
कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में अच्छी रेटिंग वाले कई पत्रों और सरकारी प्रतिभूतियों में कारोबार हुआ, हालांकि कम रेटिंग के बॉन्डों में भी कुछ कारोबार हुआ। नाबार्ड के 10 वर्षीय बॉन्ड में 6.88 प्रतिशत पर कारोबार हुआ, आरईसी में 7.56 प्रतिशत, जबकि एएए रेटिंग वाले एचडीएफसी के तीन वर्षीय बॉन्ड में 6.94 प्रतिशत की दर पर कारोबार हुआ। ये प्रतिफल सामान्य के मुकाबले कुछ कम थे।
एनबीएफसी अक्सर कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार से 3 से 7 साल के बीच की परिपक्वता वाले बॉन्ड लेते हैं। सामान्य तौर पर 5 वर्षीय जी-सेक और समान परिपक्वता के एएए पत्रों के बीच प्रतिफल अंतर लगभग 60-70 आधार अंक के बीच होता है। दबाव की स्थिति में, यह अंतर बढ़कर 90-100 आधार अंक तक भी पहुंच जाता है। फिक्स्ड इनकम मनी मार्केट ऐंड डेरिवेटिव्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के आंकड़े के अनुसार एए पत्रों के लिए यह अंतर अभी 185 आधार अंक और ए-रेटिंग पत्रों के लिए 290 आधार अंक है।
सरकार के कर्ज संबंधित उपायों और गारंटी स्कीम ने एनबीएफसी के लिए राह काफी हद तक आसान की है।
लक्ष्मी विलास बैंक में टे्रजरी प्रमुख आर के गुरुमूर्ति ने कहा, 'अब गैर-रेटिंग वाले बॉन्डों को भी क्रेडिट गारंटी मिल सकती है और यह एक बड़ा सकारात्मक बदलाव है। हमें प्रतिफल अंतर पर दबाव पैदा होने का अनुमान है। हालांकि दीर्घावधि रीपो ऑपरेशन (टीएलटीआरओ) के पिछले चरण को मिली कमजोर प्रतिक्रिया यह याद दिलाएगी कि इसका क्रियान्वयन पहले जितना ही जरूरी है।'
अरका फिनकैप में कॉरपोरेट उधारी के प्रमुख नचिकेत नाइक ने कहा, 'बुधवार को वित्त मंत्री द्वारा घोषित पैकेज से गैर-प्रमुख निवेश ग्रेड एनबीएफसी के लिए फंडिंग तक पहुंच आसान हुई है।'
|