एनबीएफसी को राहत से एसबीआई को लाभ | हंसिनी कार्तिक / मुंबई May 15, 2020 | | | | |
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का कर्ज आकार एवं विविधता भी इस खराब समय में इसके निवेशकों को राहत नहीं दे पाई है। पिछले छह महीनों में सार्वजनिक क्षेत्र के इस बैंक की बाजार पूंजी 50 फीसदी से भी अधिक गिर गई है। असल में एसबीआई के कर्ज आवंटन का 18.5 फीसदी हिस्सा दो बदहाल क्षेत्रों- एमएसएमई और एनबीएफसी में होने से शेयर बाजार खासा चौकस बना हुआ है।
ऐसी धारणा है कि छोटे एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) और गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए बुधवार को किए गए राहत पैकेज के ऐलान के बाद एसबीआई की परिसंपत्ति गुणवत्ता रिकवरी को बहुत झटका नहीं लगेगा। जहां एनबीएफसी को तरलता संबंधी इन कदमों से फायदा हो सकता है वहीं एमएसएमई के लिए राहत पैकेज कहीं अधिक सुविधाजनक स्थिति पैदा कर सकता है।
एडलवाइस के विश्लेषकों का मानना है कि एसबीआई बुधवार की इस घोषणा से स्पष्ट विजेता नजर आ रहा है। एमएसएमई को दी गई राहत से अन्य बैंकों की तुलना में एसबीआई का बुक वैल्यू भी सुधरकर 11.5 फीसदी पर पहुंच सकता है और उसके बाद सात फीसदी के साथ ऐक्सिस बैंक दूसरे स्थान पर रहेगा। विश्लेषक सरकार की तरफ से एमएसएमई और एनबीएफसी को दी गई राहत के बाद पहले किए गए कुछ पांरपरिक अनुमानों को पलट रहे हैं।
तनाव आकलन के संदर्भ में भी एसबीआई की स्थिति ऐक्सिस बैंक से कहीं बेहतर नजर आती है। इसके लोन बुक का करीब 17 फीसदी हिस्सा तनावग्रस्त श्रेणी में है जबकि निजी क्षेत्र के तीसरे बड़े बैंक ऐक्सिस बैंक के मामले में यह आंकड़ा 18 फीसदी है।
कुल बैंकिंग ऋण का करीब 5.4 फीसदी हिस्सा एमएसएमई क्षेत्र का होने से यह कुछ महीने पहले तक बैंकों के लिए ऋण आवंटन का एक अहम जरिया हुआ करता था। एडलवाइस के विश्लेषक कहते हैं, अगर कोई नीतिगत मदद नहीं दी गई तो औसत वित्तीय लाभ होने, उच्च परिचालन लागत और प्राप्तियों के जब्त होने से मध्यम आकार के भारतीय कारोबार में 20 फीसदी से भी अधिक चूक के साथ बड़े पैमाने पर विलुप्त होने का दौर शुरू हो जाता।
हालांकि विश्लेषक स्थिति बेहतर होने को लेकर आश्वस्त हैं लेकिन निवेशकों के नजरिये से देखें तो उन्हें परिसंपत्ति गुणवत्ता की स्थिति स्पष्ट होने का इंतजार करना चाहिए। कृषि ऋण पर सरकारी अनुदान देने की आज की घोषणा भी ग्राहकों के ऋण व्यवहार पर नकारात्मक असर डालेगी जिससे एसबीआई के कृषि पोर्टफोलियो पर दबाव और बढ़ेगा।
जनवरी- मार्च 2020 तिमाही के नतीजे अगले कुछ दिनों में आने वाले हैं। उन नतीजों पर बैंक प्रबंधन की तरफ से आने वाली टिप्पणियां बैंक की परिसंपत्ति गुणवत्ता पथ को आंकने के लिए महत्त्वपूर्ण होगी। तब तक यूबीएस की यह राय सही हो सकती है कि बैंकिंग क्षेत्र के लिए राष्ट्रीय सेवा जोखिम बढ़ रहा है और एसबीआई के लिए तो यह जोखिम और अधिक हो सकता है।
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