सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को व्हाट्सऐप पे पर प्रतिबंध की मांग से जुड़ी जनहित याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया। व्हाट्सऐप पे फेसबुक के स्वामित्व वाले मैसेजिंग ऐप व्हाट्सऐप की यूपीआई-आधारित भुगतान प्रणाली है। इस मामले में याचिकाकर्ता गुड गवर्नेंस चैम्बर्स नामक एनजीओ है।
इस याचिका की एक प्रति बिजनेस स्टैंडर्ड ने देखी है। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि व्हाट्सऐप को आरबीआई और नैशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) द्वारा जारी निर्देशों के तहत लगातार चूक का सामना करना पड़ा है।
याची ने कहा है कि व्हाट्सऐप पे के मौजूदा मॉडल में दो सेवाएं एक ऐप में शामिल हैं जो ज्यादा जोखिम की स्थिति है। व्हाट्सऐप पे उन दूसरे ऐप से अलग है जो इस तरह की भुगतान सेवा में सक्षम हैं, क्योंकि इसमें अन्य ऐप की तरह प्रमाणन के दो लेवल की जरूरत नहीं होती है। यह भारत में ट्रायल रन के तौर पर व्हाट्सऐप के 40 करोड़ उपयोगकर्ताओं में से लगभग 10 लाख के लिए चैट विंडो में उपलब्ध है। एनपीसीआई द्वारा विकसित यूपीआई बैंक खाताधारकों को अपने नेटबैंकिंग यूजर आईडी या पासवर्ड डाले बगैर इलेक्टॉनिक तौर पर रकम भेजने या प्राप्त करने की अनुमति प्रदान करता है।
सर्वोच्च न्यायालय ने इस संबंध में व्हाट्सऐप, उसकी पैतृक फेसबुक, आरबीआई, एनपीसीआई और केंद्र सरकार से तीन सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है। न्यायालय ने कहा है कि सरकार सही समय पर व्हाट्सऐप के जरिये आवेदन की प्रक्रिया पूरी सकती है और इस तरह के कार्य पर कोई रोक नहीं है।
याची ने यह भी कहा है कि व्हाट्सऐप ने कई अन्य नियामकीय मानकों का भी उल्लंघन किया है जिनमें वित्तीय डेटा हासिल करना, डेटा का स्थानीयकरण, टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन एवं शिकायत दर्ज करने के लिए सिस्टम शामिल है।
व्हाट्सऐप ने न्यायालय को आश्वस्त किया है कि वह तब तक परिचालन शुरू नहीं करेगा जब तक कि उसे आरबीआई से हरी झंडी नहीं मिल जाती।