दो साल में 15 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर अमल मुश्किल | दिल्ली डायरी | | ए के भट्टाचार्य / May 13, 2020 | | | | |
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले सप्ताह वीडियो-कॉन्फ्रेंस के दौरान उद्योग के प्रतिनिधियों को बताया कि उनके मंत्रालय ने अगले दो साल में 15 लाख करोड़ रुपये की सड़क परियोजनाओं को अमलीजामा पहनाने की योजना बनाई है। सड़क निर्माण क्षेत्र में इतने बड़े निवेश की घोषणा का अर्थव्यवस्था को उबारने की सरकार की पहल के रूप में उम्मीद के मुताबिक स्वागत किया गया, जिसे कोविड-19 और लॉकडाउन की वजह से नुकसान पहुंचा है।
सड़क निर्माण रोजगार पैदा करता है और मांग सुधारने में मदद करता है। यह बुनियादी ढांचे को मजबूत करता है, शहरों के बीच सड़क संपर्क को सुधारता है और उत्पादकता एवं कारोबारी सुगमता को बढ़ाता है। मगर यह निवेश योजना कितनी बड़ी और कितनी व्यावहारिक थी?
रिपोर्टों के मुताबिक सड़क निर्माण के लिए 15 लाख करोड़ रुपये का यह निवेश राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा योजना (एनआईपी) का हिस्सा था। एनआईपी के तहत विभिन्न बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में परियोजनाओं की एक सूची बनाई गई है, जिन्हें मार्च 2025 तक पूरा किया जाना है। मूल रूप से एनआईपी का कुल आकार दिसंबर 2019 में 102 लाख करोड़ रुपये अनुमानित था, जिसे अप्रैल 2020 के अंत तक बढ़ाकर 111 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। एनआईपी में सड़क क्षेत्र का हिस्सा करीब 20 लाख करोड़ रुपये या कुल एनआईपी मूल्य का करीब 18 फीसदी है।
इस तरह गडकरी ने जो प्रस्ताव रखा, वह बड़े पैमाने पर सड़क निर्माण को तेज करना था। जिन परियोजनाओं को अगले पांच साल में शुरू किया जाना था, उनमें से तीन-चौथाई को महज दो साल में ही शुरू कर दिया जाएगा। यह मुश्किल काम होगा, भले ही पिछले कुछ वर्षों के दौरान सड़क निर्माण की रफ्तार में काफी तेजी आई हो और रोजाना औसतन 30 किलोमीटर सड़क का निर्माण सराहनीय है।
इसके बावजूद पिछले कुछ वर्षों के दौरान निवेश की दर उसके कहीं नजदीक भी नहीं ठहरती है, जिसका अब प्रस्ताव रखा गया है। वर्ष 2018-19 में केंद्र और राज्यों का सड़क क्षेत्र में कुल निवेश 1.9 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान था। दो साल में 15 लाख करोड़ रुपये के निवेश का मतलब है कि हर साल औसतन 7.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। यह अंतर बहुत बड़ा है।
इसे दूसरे तरीके से देखते हैं। सरकार के एनआईपी ने आगामी वर्षों में अपने सालाना निवेश को बांटा था। इस तरह इसने चालू वर्ष और अगले वर्ष में 7.4 लाख करोड़ रुपये के निवेश यानी 2020-21 में 3.83 लाख करोड़ रुपये और 2021-22 में 3.57 लाख करोड़ रुपये के निवेश का अनुमान लगाया था। दूसरे शब्दों में कहें तो अगले दो साल में 15 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की गडकरी की योजना एनआईपी के प्रस्ताव की तुलना में दोगुने से भी अधिक है।
गौरतलब है कि एनआईपी में अगले दो साल में 7.4 लाख करोड़ रुपये के निवेश में 5.12 लाख करोड़ रुपये केंद्र और शेष राज्यों द्वारा खर्च किए जाने थे। पिछले कुछ वर्षों के दौरान न केंद्र और न ही राज्य सड़क क्षेत्र में दो लाख करोड़ रुपये का भी आंकड़ा पार कर पाए हैं। ऐसे में अगले दो साल में 15 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य हासिल करने को लेकर संदेह है।
अब अगर आप 2020-21 के केंद्रीय बजट में सड़क क्षेत्र पर खर्च के प्रावधान के बारे में विचार करते हैं तो यह साफ हो जाता है कि चुनौती कितनी बड़ी है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के तहत आने वाली केंद्रीय योजनाओं के लिए 2020-21 के केंद्रीय बजट में कुल 91,600 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो पिछले साल से 11 फीसदी अधिक है। राजमार्ग निर्माण परियोजनाओं को देखने वाली केंद्र सरकार की मुख्य एजेंसी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के लिए चालू वर्ष में कुल पूंजी आवंटन चार फीसदी घटाकर 1.07 लाख करोड़ रुपये किया गया है।
यह आवंटन मुश्किल से ही गडकरी को सड़क निर्माण क्षेत्र में निवेश में भारी बढ़ोतरी हासिल करने का भरोसा दे पाएगा। बीते वर्षों में गडकरी को अपनी इस सोच का श्रेय दिया गया है कि सड़क क्षेत्र के लिए नाकाफी आवंटन भी उन्हें बड़ी योजना बनाने से नहीं रोक पाया क्योंकि वह सड़क निर्माण परियोजनाओं के लिए बाजार से संसाधन जुटा सकते हैं। बड़ा सवाल यह है कि क्या गडकरी अब भी कोरोना के बाद के हालात में सड़क निर्माण क्षेत्र में निवेश करीब तिगुना करने के लिए और संसाधन जुटाने का आत्मविश्वास रखते हैं।
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