लाइसेंस-राज की तरफ बढऩे का जोखिम | नम्रता आचार्य / May 13, 2020 | | | | |
कोविड-19 संकट से निपटने के लिए अपनाई जा रही भारत की नीति का समर्थन करने के साथ ही विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने चेतावनी दी है कि हमें लाइसेंस-राज के दौर में वापस लौटने को लेकर सजग रहना होगा।
बसु ने बुधवार को बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री के एक वेबिनार में शामिल होते हुए कहा कि मौजूदा संकट के समय लाइसेंस-राज की तरफ लौटने का जोखिम बना हुआ है। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि नीति-निर्माता पुरानी गलती को नहीं दोहराएंगे। उन्होंने कहा, 'हमें एक ऐसी व्यवस्था नहीं बनना है जिसमें हरेक चीज के लिए मंजूरी लेनी पड़े। हमें जल्द ही दखल को दूर करना होगा ताकि लोग अपने फैसले खुद ले सकें।'
उन्होंने सरकार की तरफ से राहत पैकेज देने की घोषणा को सही दिशा में उठाया गया कदम बताते हुए कहा, 'हमें इसकी सख्त जरूरत है। कुछ समय के लिए हमें राजकोषीय घाटे की फिक्र को किनारे रख देना चाहिए। अगर इससे थोड़ा मुद्रीकरण होता है तो भी राहत पैकेज जरूरी है।' उन्होंने कहा कि भारत ने कोविड संकट के समय शुरुआती कदम सही तरह से उठाए लेकिन लॉकडाउन से बाहर आने के तरीके पर काफी कुछ निर्भर करेगा।
उन्होंने कहा कि मार्च में हुई रिकॉर्ड 16 अरब डॉलर की पूंजी निकासी एक महीने का उच्चतम स्तर है। सरकार को इस पर काफी ध्यान रखना होगा। उन्होंने कहा, 'वैश्विक फर्में भारत को लेकर चिंतित हैं जबकि संकट के इस समय भी वियतनाम, दक्षिण कोरिया और ताइवान जैसे देश अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। हमें सुधारों का सिलसिला जारी रखना होगा ताकि इस संकट से निपटने के साथ ही हमारा भविष्य भी बेहतर हो।' मशहूर अर्थशास्त्री बसु ने कहा कि भारत को अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने के दौरान बाजारवादी ताकतों को दबाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
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