लॉकडाउन और श्रमिकों के पलायन से आम पर असर | वीरेंद्र सिंह रावत और विनय उमरजी / लखनऊ/मुंबई May 13, 2020 | | | | |
कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन और श्रमिकों द्वारा अपने मूल राज्यों में पलायन करने की दोहरी मार से महाराष्ट्र्र और गुजरात में आम की फसल की बाजार संभावनाओं को बड़ा झटका लगा है, जो पहले से ही कमजोर बनी हुई है। हालांकि उत्तर प्रदेश, बिहार या दक्षिणी राज्यों की तरह महाराष्ट्र आम का बड़ा उत्पादक नहीं है, लेकिन राज्य के रत्नागिरि जिले की अल्फांसो किस्म का आम बेहतरीन होता है। इन दोनों पश्चिमी राज्यों में आम का शीर्ष सत्र होने के कारण वस्तुओं के अंतरराज्यीय आवागमन पर लॉकडाउन की पाबंदियों के साथ-साथ आम के बागों और पैकिंग हाउसों में काम करने वाले मजदूरों के बड़े पैमाने पर पलायन करने से किसानों और व्यापारियों के चेहरों पर चिंता झलक रही है।
महाराष्ट्र की प्रमुख आम किस्म अल्फांसो सत्र के दौरान इस समय आम तौर पर 700 से 800 रुपये प्रति दर्जन की दर पर बिकती है, लेकिन इस साल मुंबई के खुदरा बाजार में यह आम 400 से 500 रुपये की दर पर बेचा गया है। घरेलू और निर्यात मांग में गिरावट के कारण व्यापारियों को फल को दिल्ली की आजादपुर मंडी जैसे प्रमुख बाजारों में ले-जाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। मुंबई स्थित आम व्यापारी इकराम ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि मौजूदा आम सत्र में हमें किसानों, व्यापारियों और निर्यातकों सहित विभिन्न हितधारकों को तकरीबन 40 प्रतिशत नुकसान होने के आसार नजर आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस सत्र में महाराष्ट्र से यूरोपीय देशों में विशेषकर अल्फांसो आम का निर्यात काफी कम रहा है, जबकि खाड़ी देशों को किए जाने वाले निर्यात में 40-50 प्रतिशत तक की गिरावट आई है।
उन्होंने कहा कि मजदूरों काउत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में अपने मूल राज्यों में जाना अब हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है, इसके अलावा मुंबई अब भी कोविड-19 के रेड जोन में है। गुजरात में आम की केसर और अल्फांसो किस्म की फसल को भी मौजूदा सत्र में इसी तरह की विपरीत परिस्थिति की सामना करना पड़ा है।
गुजरात के सौराष्ट्र में खास तौर पर जूनागढ़ में केसर किस्म के आम की आवक में भारी गिरावट देखी गई है। पिछले साल नीलामी शुरू होने के पहले दो दिन 10 किलोग्राम वाली 22,000 पेटियों की आवक के मुकाबले इस साल बाजार में इस केवल 8,500 पेटियों की ही आवक हुई है। अपने केसर आम के लिए प्रसिद्ध जूनागढ़ क्षेत्र में तलाला के रमणिकभाई सावलिया ने कहा कि उत्पादन पर असर पड़ता दिख रहा है।
दामों में नरमी रही है। दाम गुणवत्ता के आधार पर 250 रुपये प्रति पेटी से लेकर 750 रुपये प्रति पेटी के बीच रहे हैं। अलबत्ता लॉकडाउन के कारण आवक को झटका लगा है।
सावलिया के अनुसार हालांकि उत्पादन में कमी आ सकती है, लेकिन परिवहन के संबंध में कोई समस्या नहीं है क्योंकि जिला प्रशासन ने यह विश्वास दिलाया है कि किसान लॉकडाउन के बीच अपनी उपज बाजार तक आसानी से ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसी तरह निर्यात भी सुचारू हो रहा है।
इस बीच दशहरी किस्म के वर्चस्व वाले उत्तर प्रदेश में आम उत्पादन 35 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल के 40 लाखटन की तुलना में 12.5 प्रतिशत कम है। उत्पाद में 15 प्रतिशत तक और गिरावट आने की आशंका है। रविवार की शाम उत्तर प्रदेश के बड़े हिस्से में आंधी की वजह से फसल को हुए नुकसान के कारण ऐसा हो सकता है।
शहनाज एक्सपोट्र्स के नदीम सिद्दीकी दावा करते हैं, हमें तकरीबन 500 टन आम निर्यात के लिए खाड़ी देशों से कारोबारी पूछताछ हासिल हुई है। हालांकि जब तक सरकार सब्सिडी का हिस्सा नहीं बढ़ाती है, तब तक हमारे लिए यह मुमकिन नहीं होगा, क्योंकि पिछले साल के मुकाबले कंटेनर और खेपों की लागत कई गुना बढ़ चुकी है।
हाल ही में मैंगो ग्रोअर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष इन्सराम अली ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर राज्य के आम किसानों को आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए तत्काल उपाय करने की मांग की है।
पिछले साल घरेलू आम उत्पादन लगभग 2.138 करोड़ टन रहा था। हालांकि वर्ष 2019-20 के अग्रिम अनुमान हल्की-सी गिरावट के साथ 2.129 टन उत्पादन की संभावना जताते हैं, लेकिन इस अवधि में रकबे में भी इजाफा हुआ है।
हालांकि भारत वैश्विक उत्पादन में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ शीर्ष आम उत्पादकों में से एक है, लेकिन इसके बावजूद उत्पादन का एक बड़ा भाग घरेलू रूप से उपभोग किया जाता है और छोटी-सी मात्रा का ही निर्यात किया जाता है। भारत के बाद चीन, थाईलैंड और पाकिस्तान का स्थान आता है। जहां तक आम निर्यात की बात है,तो खाड़ी क्षेत्र के नजदीक होने की वजह से पाकिस्तान भारत के सामने अब तक कड़ी प्रतिस्पर्धा पेश करता आया है।
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