मारुति का मानेसर संयंत्र चालू, कर्मचारी बरत रहे सतर्कता | अर्णव दत्ता / मानेसर (हरियाणा) May 12, 2020 | | | | |
अजित सिंह (बदला हुआ नाम) मारुति सुजूकी के मानेसर संयंत्र के स्थायी कर्मचारी हैं। सोमवार को वह जब लंबे अंतराल के बाद संयंत्र पहुंचे तो उन्हें बेहद खुशी का अहसास हो रहा था। हालांकि सिंह की खुशी कुछ ही देर में काफूर हो गई क्योंकि इस बार उनके संयंत्र का नजारा और वहां का माहौल बिल्कुल अलग था। पिछले एक दशक में उन्होंने जिस सहजता के साथ काम किया था वह अहसास गायब था। संयंत्र में कर्मचारियों के काम करने की समय-सारणी में बदलाव हुआ था, वहीं उन्हें वहां कुछ अजनबी चेहरे भी दिखे।
कोविड-19 संकट के बाद संयंत्र बिल्कुल अलग दिख रहा था। कर्मचारी संयंत्र में दूरी बरत रहे थे और यह सुनिश्चित करने के लिए उन्हें छोटे-छोटे समूहों में बांटा गया था। संयंत्र के प्रवेश द्वार का भी नजारा बदला हुआ था। लॉकडाउन से पहले एक किलोमीटर दूर से नई चमचमाती गाडिय़ों की चकाचौंध दिख जाती थी, लेकिन अब सब कुछ बदला लग रहा था। संयंत्र के नजदीक पहुंचने पर दर्जनों परिवहन कर्मी और संयंत्र के कर्मचारी दिखे, जो नई वैगन आर, अर्टिगा और डिजायर जैसे वाहनों पर काम कर रहे थे। कुछ सुरक्षाकर्मी लाउडस्पीकर की मदद से बार-बार वहां लोगों को एक दूसरे से पर्याप्त दूरी बरतने की घोषणा कर रहे थे।
मारुति सुजूकी इंडिया के कारों का आपूर्ति ढांचा संभालने वाली एपीएल लॉजिस्टिक के कर्मचारी सैकड़ों नई कारें चमका रहे थे। लॉकडाउन की घोषणा के बाद ये कारें संयंत्र में ही फंसी रह गई थीं। कुल मिलाकर 2,8000 नई कारें बेंगलूरु, हैदराबाद और कोलकाता भेजी जाएंगी। चूंकि, लॉकडाउन अभी भी जारी हैं, इसलिए कर्मचारियों को भोजन एवं पानी जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए भी मशक्कत करनी पड़ रही है।
लॉकडाउन की घोषणा से पहले करीब 20,000 वाहन मानेसर संयंत्र से बाहर भेजे जाने वाले थे लेकिन क्षमता सीमित होने के बाद 650 वाहन ही भेजना मुमकिन हो पाया। मारुति सुजूकी कर्मचारी संघ के उपाध्यक्ष नवीन कुमार ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा सामाजिक दूरी बरतने के दिशानिर्देश जारी होने के बाद कई बदलाव अमल में लाए गए हैं। कुमार ने कहा कि चाय मशीन से लेकर वाटर डिस्पेंसर तक सभी के लिए बटन पैर से दबाना होता है। उन्होंने कहा, 'भारत में लोग ऐसी पाबंदियों में जीने के आदि नहीं रहे हैं। अब तो कोई किसी से खुलकर बात भी नहीं कर पा रहा है। ऐसे माहौल में रच-बस जाना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन इसके अलावा दूसरा कोई विकल्प भी नहीं है।' संयंत्र के अंदर छह छोटे-छोटे हिस्से बांटे गए हैं और उन्हें 6 फुट ऊंची दीवारों से विभाजित किया गया है। संयंत्र में कुल 6,000 कर्मचारी काम करते हैं, जिनमें 1,650 स्थायी हैं और विनिर्माण कार्यों से जुड़े हैं। करीब 1,300 लोग अकाउंट एवं मानव संसाधन संभालते हैं।
कामगारों और कर्मचारियों पर नजर रखने के लिए एमएसआईएल ने आरोग्य सेतु की ही तर्ज पर एक ऐप तैार किया है। इस ऐप में कर्मचारियों के स्वास्थ्य से जुड़ी और अन्य सभी जानकारियां रखी गई हैं।
|