प्रमुख योजनाओं पर खर्च नहीं घटाएगा केंद्र | अरूप रॉयचौधरी / नई दिल्ली May 12, 2020 | | | | |
राजस्व की कमी की वजह से राज्य सरकारों ने विकास पर अपने खर्च में कटौती कर दी है, वहीं केंद्र सरकार प्रमुख योजनाओं पर होने वाले किसी भी व्यय में कोई कटौती नहीं करेगी। एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार केंद्र की ओर से प्रायोजित परियोजनाओं में राज्यों के हिस्से के बोझ का वहन नहीं करेगी।
यह बयान ऐसे समय में सामने आया है, जब वित्त मंत्रालय ने केंद्रीय विभागों से कहा है कि वे फंड जारी करने में सावधानी बरतें और नया धन जारी करने के पहले यह देखें कि पहले दी गई राशि राज्यों ने पूरी तरह खर्च कर दिया है। अधिकारी ने कहा, 'प्रमुख योजनाओं पर होने वाले व्यय में कोई कटौती नहीं होगी। राज्यों को अपने फैसले करने हैं। केंद्र की प्रायोजित योजनाओं में राज्यों का भी व्यय में हिस्सा होता है। अगर वे केंद्र की ओर से जारी राशि खर्च नहीं कर पाती हैं तो उस हिस्से का वित्तपोषण नहीं होगा। हम अपनी ओर से बजट में कोई कटौती नहीं करने जा रहे हैं।'
इस माह की शुरुआत में कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र ने विकास योजनाओं पर होने वाले व्यय में करीब 70 प्रतिशत की कटौती कर दी और नया पूंजीगत व्यय रोक दिया। अन्य राज्यों के अधिकारियों का भी कहना है कि खजाने में पैसे नहीं बचे हैं और उनकी खुद की विकास योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं।
केंद्र की ओर से प्रायोजित योजनाओं में केंद्र व राज्य दोनों की वित्तीय हिस्सेदारी होती है। प्रतिशत में यह अनुपात 50:50, 60:40, 70:30, या 90:10 की हो सकती है, जो योजना के हिसाब से अलग अलग है। केंद्र सरकार उन योजनाओं के लिए धन देती है और राज्यों को उस पर काम करना होता है। इसके अलावा कुछ योजनाएं पूरी तरह केंद्र द्वारा वित्तपोषित होती हैं। पीएम किसान केंद्र की योजना है।
केंद्र की ज्यादातर प्रमुख योजनाएं केंद्र प्रायोजित होती हैं, जिनमें राज्यों को भी अंशदान करना होता है। अधिकारी ने कहा, 'केंद्र प्रायोजित योजनाओं में केंद्र सरकार राज्यों के हिस्से का बोझ नहीं उठाएगी। हम राज्यों की जिम्मेदारी नहीं लेने जा रहे हैं। हम अच्छे वर्षों में भी ऐसा नहीं ककरते और खराब वर्षों में भी ऐसा नहीं कर सकते।'
अधिकारी ने कहा कि कुछ बचत की उम्मीद है क्योंकि केंद्र सरकार कम प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में खर्च और गैर योजना व्यय घटा रही है। व्यय सचिव टीवी सोमनाथन ने विभिन्न मंत्रालयों को पत्र लिखकर कहा है कि वह धन जारी करते समय व्यय पर नियंत्रण रखें और यह देखें कि अगर राज्यों ने पहले आवंटित राशि खर्च कर दिया है, तभी नया धन जारी करें क्योंकि बंदी की वजह से आर्थिक गतिविधियां थम गई हैं और कर और गैर कर राजस्व नहीं आ रहा है।
अप्रैल में व्यय विभाग ने अप्रैल जून तिमाही में मंत्रालयों के खर्च सीमित कर दिए थे। सामान्य वर्षों में मंत्रालय और विभाग अपने कुछ खर्च में 25 प्रतिशत खर्च पहली तिमाही में करते हैं। कई मंत्रालयों के लिए यह घटाकर 20 प्रतिशत या 15 प्रतिशत कर दिया है।
अधिकारी ने कहा, 'अगर केंद्र का राजस्व पूरी तरह से अप्रभावित रहता है तो ऐसा नहीं होता है। राज्य के वस्तु एवं सेवाकर में हर रुपये की गिरावट में केंद्रीय जीएसटी भी कम होता है। केंद्र का राजस्व रुक गया है, उसके बावजूद हम अप्रैल में 100 प्रतिशत राजस्व की कल्पना के आधार पर राज्यों का हिस्सा जारी कर रहे हैं, हालांकि हमें पता है कि 100 प्रतिशत के आसपास भी हम नहीं पहुंचेंगे।'
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