जियो फोन पर भी आरोग्य सेतु ऐप | बीएस संवाददाता / May 11, 2020 | | | | |
इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव अजय साहनी ने सोमवार को कहा कि आरोग्य सेतु ऐप के सबस्क्राइबरों की तादाद 9.8 करोड़ से ज्यादा हो गई है और यह जियो फीचर फोन पर भी लॉन्च किए जाने के लिए तैयार है। आरोग्य सेतु ऐप कोविड-19 के लिए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग ऐप है जिसका इस्तेमाल संदिग्ध संक्रमितों का पता लगाने के लिए किया जाता है।
आरोग्य सेतु को ऐंड्रॉयड और आईओएस फोन के लिए 2 अप्रैल को लॉन्च किया गया था। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण के आंकड़ों के मुताबिक रिलायंस जियो से जनवरी के अंत तक करीब 37.65 करोड़ उपयोगकर्ता जुड़े हैं। जियो और दूसरे 'स्मार्ट फीचर फोन' एक अलग प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं जिसे काईओएस कहा जाता है। इस ऐप को लेकर विवाद तब बढ़ गया जब गोपनीयता मामले से जुड़े विशेषज्ञों ने इसके इस्तेमाल को अनिवार्य बनाने और इससे उपयोगकर्ता की निजता में सेंध लगाए जाने पर सवाल उठाए। इसमें डेटा में सेंध लगने पर जिम्मेदारी पर स्पष्टता में कमी और पर्याप्त परीक्षण के बिना विभिन्न सरकारी विभागों के बीच समन्वय पर भी सवाल उठे।
साहनी प्रौद्योगिकी और डेटा प्रबंधन पर अधिकारप्राप्त समूह 9 का नेतृत्व कर रहे हैं। साहनी ने आरोग्य सेतु ऐप के निजता नियंत्रण पर जोर देते हुए कहा कि यह अब तक बनाए गए सबसे सुरक्षित ऐप में से एक है। आईटी मंत्रालय ने सोमवार को 'आरोग्य सेतु डेटा एक्सेस ऐंड नॉलेज शेयरिंग प्रोटोकॉल, 2020' भी जारी किया।
साहनी ने कहा कि जितने लोग 12 भाषाओं में इस ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं उनमें '13,000 से कम' लोग कोविड-19 पॉजिटिव हैं। हालांकि, करीब 1.40 लाख लोग जिनके फोन पर यह ऐप था वे संक्रमित लोगों के संपर्क में आए और सजग हो गए। इसके बाद उन्हें अपनी स्वास्थ्य स्थिति का खुद ही आकलन करने को कहा गया।
साहनी ने कहा, 'हम ऐसी जगहों की पहचान करने में सक्षम हैं जो संभवत: संक्रमण के प्रमुख केंद्रों में तब्दील हो सकते हैं और हम तत्काल रोकथाम के उपाय कर सकते हैं। अब तक समग्र स्वास्थ्य निगरानी प्रणाली के इस्तेमाल के जरिये ऐसे 697 संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान की गई है जिनमें से आरोग्य सेतु भी इसी प्रणाली का एक हिस्सा है। यदि किसी संवेदनशील क्षेत्र की पहचान की जाती है तो राज्यों और जिले को इसकी सूचना दी जाती है।'
भारत ने एक ही दिन में संक्रमण के 4,213 नए मामले की पुष्टि हुई है और कुल संक्रमितों की तादाद 67,000 से अधिक हो गई है। हालांकि सरकार का कहना है कि भारत संक्रमण के सामुदायिक प्रसार वाले चरण में नहीं आया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल का कहना है, 'हमने कई समूहों और कुछ जगहों पर ज्यादा संक्रमण का प्रसार देखा है। हम सामुदायिक प्रसार तक की स्थिति नहीं बनने देने के लिए रोकथाम के प्रयासों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।'
सरकार ने लैंडलाइन फोन और फीचर फोन उपयोगकर्ताओं के लिए एक इंटरैक्टिव वॉयस रिस्पॉन्स सिस्टम बनाया है ताकि 1921 पर कॉल करके अपनी सेहत की स्थिति की जांच फोन पर ही कराई जा सके। उनका कहना है कि इस ऐप के जरिये जुटाई गई सूचनाओं का इस्तेमाल केवल कोविड संबंधित स्वास्थ्य मामलों के लिए ही किया जाता है और 30 दिन बाद उपकरण से सभी सूचनाएं डिलीट कर दी जाती हैं। जिन उपयोगकर्ताओं के साथ कोई जोखिम वाली स्थिति नहीं है उनके सर्वर के डेटा को 45 दिन बाद डिलीट कर दिया जाता है जबकि जो मरीज ठीक हो जाते हैं उनसे जुड़ा डेटा 60 दिन में डिलीट कर दिया जाता है।
इसके अलावा, सरकार ने एक कोविड-19 सावधान प्रणाली भी बनाई है, जिसने राज्य सरकारों द्वारा चिह्नित किए गए लक्षित क्षेत्र में 16.5 करोड़ एसएमएस भेजे हैं। जिन लोगों को क्वारंटीन होने की सलाह दी गई है, उनकी बेहतर निगरानी के लिए एक कोविड क्वारंटीन अलर्ट सिस्टम भी बनाया गया है। अब तक 3.45 लाख लोगों को क्वारंटीन के अलर्ट भेजे जा चुके हैं। सरकार प्रवासी मजदूरों की आवाजाही का ब्योरा हासिल करने के लिए लॉकडाउन से पहले और बाद के स्थानों के मोबाइल फोन टावर डंप डेटा का भी इस्तेमाल कर रही है। साहनी ने कहा, मोबाइल सबस्क्राइबर के पलायन की निगरानी का उद्देश्य यह है कि राज्य को सूचित किया जा सके कि कितने लोग किसी राज्य में कहां से आए हैं ताकि उसके मुताबिक ही उनका प्रबंधन किया जा सके।
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