ट्रक निर्माताओं की राह आगे होगी मुश्किल भरी | शैली सेठ मोहिले / मुंबई May 11, 2020 | | | | |
वित्त वर्ष 2021 ट्रक निर्माताओं के लिए पूरी तरह से मुश्किल भरा होगा क्योंकि आर्थिक गतिविधियां निचले स्तर पर बनी हुई हैं और बेड़े के परिचालकों की बैलेंस शीट पर भारी दबाव बना हुआ है। यह कहना है विश्लेषकों व ट्रांसपोर्टरों का। बिना इस्तेमाल की क्षमता और वित्त पोषण से जुड़े मसले नए ट्रकों की खरीद को अव्यवहारिक बना रहे हैं। इनकी मुश्किल इस वित्त्त वर्ष के बाद भी बनी रह सकती है क्योंकि अर्थव्यवस्था के खुलने के बाद जब भी मालभाड़ा मिलना शुरू होगा तब भी इसमें थोड़ी परेशानी बनी रहेगी। इसलिए नए ट्रकों की खरीद बेड़ा परिचालकों की प्राथमिकता में सबसे नीचे रहेगी, जो पहले ही अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
अशोक लीलैंड के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी विपिन सोढ़ी इससे सहमत हैं और वे आर्थिक पैकेज की अहमियत पर जोर दे रहे हैं। उन्होंने कहा, यह वास्तव में अप्रत्याशित समय है और इसमें कोई संदेह नहीं है कि वित्त वर्ष 2021 चुनौतीपूर्ण रहेगा। इसका अनुमान लगाना मुश्किल है कि कब अर्थव्यवस्था में सुधार होगा और उससे वाणिज्यिक वाहन क्षेत्र को मदद मिलेगी, ऐसे में आर्थिक पैकेज की अहमियत बढ़ जाती है। इसके लिए आपूर्ति शृंखला दोबारा शुरू करने, श्रमिकों की वापसी और उपभोक्ता मांग में सुधार जरूरी है। जब तक वैल्यू चेन के जरिए इको-सिस्टम नहीं खुलता, ट्रकों का उत्पादन व बिक्री नहीं हो सकती।
भारत में ट्रकों की बिक्री अक्टूबर 2018 के बाद से घट रही है, जिसकी कई वजहें हैं। इनमें ऐक्सल लोड के नए नियम, अर्थव्यवस्था में सुस्ती और आईएलऐंडएफएस के कारण पैदा हुआ नकदी संकट शामिल है। कोरोना के प्रसार पर लगाम के लिए 23 मार्च से हुए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन से आर्थिक चिंता में इजाफा ही हुआ है।
वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने शुक्रवार को भारत की जीडीपी की रफ्तार वित्त वर्ष 2020-21 के लिए शून्य कर दी। यह पहले के 2.6 फीसदी के अनुमान के मुकाबले कम है। एजेंसी ने भारत की आर्थिक रफ्तार वित्त वर्ष 2021-22 में 6.6 फीसदी पर पहुंचने की भविष्यवाणी की है। ताजा अनुमान फिच के 0.8 फीसदी, आईएमएफ के 1.9 फीसदी, विश्व बैंक के 1.5-2.8 फीसदी और एडीबी के 4 फीसदी के अनुमान से कम हैं।
इंडियन फाउंडेशन ऑफ रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग के सीनियर फेलो एसपी सिंह ने कहा, पूरा वित्त वर्ष ट्रकों की बिक्री के लिहाज से काफी खराब होगा। हमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए अगर उसका विस्तार अगले वित्त वर्ष में हो जाए। अन्य बातों के अलावा बीएस-6 मॉडलों की ऊंची कीमत और मॉनसून के कारण भी ऑपरेटरों के लिए ट्रकों की खरीद अव्यवहारिक होगी।
वोल्वो आयशर कॉमर्शियल व्हीकल्स के प्रबंध निदेशक और सीईओ विनोद अग्रवाल आशावान बने हुए हैं। उन्होंने कहा, मेरी राय में यह कहना सही नहीं है कि यह साल वाणिज्यिक वाहनों के लिए बेकार जाएगा। यह देखते हुए कि ट्रकों की बिक्री घट रही है, लेकिन ट्रांसपोर्टरों की तरफ से इसकी मांग बढ़ेगी, जो अपना वाहन बदलना चाहेंगे। उन्होंने हालांकि कहा कि काफी कुछ अर्थव्यवस्था की रिकवरी में भरोसा और कुल अवधारणा पर निर्भर करेगा।
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