कोविड के बाद गुजरात पर टिड्डी दल की मार! | विनय उमरजी / अहमदाबाद May 11, 2020 | | | | |
गुजरात को विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के साथ-साथ अब शीघ्र ही टिड्डियों के उस संभावित हमले से निपटने के लिए भी कमर कसनी पड़ रही है जो खेतों में खड़ी गर्मियों की फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। इस संबंध में गुजरात सरकार के कृषि विभाग को कृषि मंत्रालय के टिड्डी नियंत्रण कार्यालय (एलसीओ) की ओर से चेतावनी मिली है।
कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार कीटनाशक की आपूर्ति सुनिश्चित करने के अलावा टिड्डियों की स्थिति पर निगरानी रखने के लिए बनासकांठा में लगभग 33 टीम, पाटन में 15 टीम और मेहसाणा जिले में 10 टीम का गठन किया गया है। पाकिस्तान की सीमा से आने वाले टिड्डी दल का पहले ही राजस्थान में प्रवेश हो चुका है तथा अब इसके पंजाब के कुछ हिस्सों के अलावा गुजरात के उत्तरी हिस्सों जैसे बनासकांठा और पाटन की ओर बढऩे की आशंका है।
बनासकांठा के सरदारकुशीनगर दांतीवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय (एसडीएयू) के अनुसंधान वैज्ञानिक सीके पटेल के अनुसार बाजरे, मूंगफली, शक्करकंद, तरबूज, हरे चारे तथा अन्य फलों और सब्जियों आदि की गर्मियों की फसल को नुकसान हो सकता है। इसके अलावा यह नुकसान ऐसे समय में होने के आसार हैं जब गुजरात के उत्तरी हिस्सों में पानी की बेहतर उपलब्धता के कारण ग्रीष्मकालीन फसल की बुआई पिछले साल के मुकाबले लगभग 110 प्रतिशत रही है। ऐसा लगता है कि यह चेतावनी अगले कुछ दिनों के लिए दी गई है। तब टिड्डी दल के गुजरात में प्रवेश करने के आसार हैं। इसके लिए न केवल टीमों को तैनात किया जा चुका है, बल्कि स्थानीय ग्रामीणों को भी कहा गया है कि कोई भी टिड्डी दल देखे जाने पर शीघ्र ही संबंधित अधिकारियों को सूचित करें।
पिछले साल बनासकांठा, पाटन और मेहसाणा जिलों में जून से लेकर दिसंबर तक हुए टिड्डी दल के हमलों से फसल को भारी नुकसान पहुंचा था। अंतत: गुजरात सरकार ने किसानों को 32 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया था। हालांकि इस साल पहले से ही कीटनाशकों का पर्याप्त स्टॉक रखकर प्रशासन की ओर से बेहतर तैयारी नजर आ रही है।
पालनपुर एलसीओ के सहायक निदेशक केएल मीणा ने कहा कि पिछले साल महीनों तक टिड्डियों का प्रकोप जारी रहा था। लेकिन अब अधिकारी और किसान ज्यादा अनुभवी हैं और वे बेहतर रूप से तैयार हैं। जहां एक ओर किसानों को पता है कि इस टिड्डी दल का सामान्य जीवन चक्र कितना रहता है और मदद के लिए किससे संपर्क करना है, वहीं दूसरी ओर हमने कीटनाशक का स्टॉक तैयार कर लिया है, क्योंकि पिछले साल इसकी खरीद के लिए हमें दिक्कतें आई थीं। टिड्डियों का खतरा रोकने के लिए दो प्रकार के कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। हालांकि हिंदुस्तान इन्सेक्टिसाइड्स लिमिटेड द्वारा निर्मित और आपूर्ति किया जाने वाला मैलाथियान ज्यादा असरदार होता है, लेकिन यह फसलों पर गंभीर असर भी डालता है। मीणा ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि इसी वजह से मैलाथियान का उपयोग शुष्क स्थानों पर किया जाता है जहां पर खड़ी फसलें नहीं होती हैं और टिड्डी दल का प्रभाव होता है। दूसरी तरफ इस खतरे को रोकते हुए फसल की सुरक्षा के लिए इसके स्थान पर क्लोरपायरिफॉस कीटनाशक का इस्तेमाल किया जाता है। आरंभिक जांच से पता चलता है कि टिड्डी दल की शुरुआत पाकिस्तान से हुई है और यह गुलाबी अवस्था में है जिसका अर्थ यह है कि यह अभी तक पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है और इसलिए फसलों के लिए कम खतरनाक है। मीणा ने कहा कि ऐसा नहीं है कि यह फसल को नुकसान नहीं पहुंचा सकता है, लेकिन परिपक्व टिड्डी की तुलना में यह अभी तक कम खतरनाक है क्योंकि ये युग्मन करते हुए अपनी संख्या नहीं बढ़ा सकते हैं और फसल को भी कम ही नुकसान पहुंचा सकते हैं।
हालांकि अधिकारी ईरान, सूडान और अन्य खाड़ी क्षेत्रों की ओर से गुजरात में अधिक परिपक्व और शक्तिशाली टिड्डियों का प्रकोप फैलने की बात से इनकार नहीं कर रहे हैं।
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