सीबीडीटी ने अधिकारियों से कहा कि न जारी करें करदाताओं को नोटिस | श्रीमी चौधरी / नई दिल्ली May 09, 2020 | | | | |
भारतीय राजस्व अधिकारियों के एक समूह के 'खराब परिकल्पित' सुझावों को खारिज करने के बाद केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे बोर्ड की मंजूरी के बगैर करदाताओं को न तो नोटिस जारी करें और न ही उन्हें कोई जांच नोटिस भेजें। इसके मुताबिक इस तरह का कोई भी नोटिस महामारी के इस दौर में करदाताओं पर बुरा असर डालेगा।
प्रत्यक्ष कर बोर्ड की ओर से तैयार किए गए ये दिशानिर्देश पहली तिमाही (अप्रैल-जून) की अंतरिम कार्ययोजना का हिस्सा हैं, जिसमें कुछ प्रमुख क्षेत्रों का उल्लेख किया गया है, जिस पर तत्काल ध्यान देने और स्थिति सामान्य होने तक तैयारियां करने की जरूरत है।
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब कर विभाग आईआरएस अधिकारियों के एक समूह द्वारा तैयार गई एक रिपोर्ट को लेकर व्यापक आलोचना का सामना कर रहा है, जिसने घबराहट और कर नीति को लेकर ऐसे समय में अनिश्चितता पैदा कर दी थी, जब भारत कठिन आर्थिक स्थिति के दौर से गुजर रहा है।
सीबीडीटी ने एक नोट में कहा है, 'धारा 148 के तहत नोटिस जारी करने के लिए पहचान और तैयारियों, आय छिपाने के मामले से निपटने और रिटर्न फाइलिंग संबंधी सभी पात्र मामलों का काम 30 जून तक किया जाना चाहिए। बहरहाल ये नोटिस बोर्ड की तरफ से नई सूचना के बाद ही भेजे जाने चाहिए।'
सीबीडीटी के एक अधिकारी ने कहा, 'मौजूदा स्थिति पर विचार करते हुए हम कर राहत के कुछ कदम उठाने जा रहे हैं, जिससे कारोबार और परिवारों पर पडऩे वाले असर को कम किया जा सके। इस तरह के किसी कम्युनिकेशन से करदाता पर दबाव पड़ सकता है और इससे अनावश्यक घबराहट हो सकती है। नई व्यवस्था में पहले ही अधिकारियों को करदाता के साथ कम्युनिकेशन के लिए जवाबदेह बनाया गया है, लेकिन लॉकडाउन के दौरान इस तर का कम्युनिकेशन बोर्ड की सहमति के बगैर नहीं किया जा सकता है।'
करदाताओं के साथ कोई कम्युनिकेशन न करने के अलावा कर अधिकारियों से कहा गया है कि वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान जिन मामलों में तलाशी हुई है, उन मामलों को एक जगह जुटाया जाए, जिससे लॉकडाउन खत्म होते ही अधिकारी इन मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निपटाने का काम कर सकें।
आगे सीबीडीटी ने अधिकारियों से कहा है कि वे अंतरराष्ट्रीय कराधान, स्रोत पर कर और छूट से जुड़े शुल्कों के मामलों में कर मांग की तैयारी करें। बोर्ड चाहता है कि विभाग सभी लंबित मागों की जांच स्थायी खाता संख्या (पीएएन) और साल के हिसाब से करे और उन मांगों को हटाए, जहां दोहराव हो रहा है और सिस्टम में मामला पड़ा हुआ है। इसके अलावा अधिकारियों से कहा गया है कि ट्रेस पोर्टल फॉर टीडीएस यूनिट पर उपलब्ध सूचनाओं के आधार पर टीडीएस से जुड़े मामलों की मिलान करें।
अंतरिम कार्ययोजना के बारे में भी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे 31 मार्च तक प्राप्त चैरिटेबल ट्रस्टों के पंजीकरण से संबंधित आवेदनों का निपटारा करें। प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने अपने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह मैनुअल ऑर्डर सिस्टम पर अपलोड करें।
|