12 लाख करोड़ उधार लेगी सरकार | अनूप राय और अरूप रायचौधरी / मुंबई/नई दिल्ली May 08, 2020 | | | | |
सरकार ने 2020-21 के अपने उधारी कार्यक्रम को 53.85 फीसदी बढ़ाकर 12 लाख करोड़ रुपये कर दिया, जो पहले 7.8 लाख करोड़ रुपये अनुमानित था। इससे यह संकेत मिलता है कि केंद्र सरकार कोविड-19 की वजह से पैदा होने वाली मंदी पर काबू पाने के लिए जल्द बड़ा वित्तीय पैकेज देने की योजना बना रही है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी वेबसाइट पर एक बयान में कहा, 'उधारी में यह बढ़ोतरी कोविड-19 की वजह से जरूरी हो गई है।'
सरकार 11 मई से 30 सितंबर के बीच बाजार से छह लाख करोड़ रुपये की उधारी जुटाएगी। इस साल 31 मार्च को घोषित मूल योजना के तहत पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर के बीच) 4.88 लाख करोड़ रुपये की उधारी जुटाई जानी थी। इसमें से सरकार 98,000 करोड़ रुपये पहले ही बाजार से उधार ले चुकी है।
एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस के प्रमुख (निश्चित आय) बद्रीश कुलहल्ली ने कहा, 'इससे संकेत मिलता है कि प्रोत्साहन उपायों की जल्द घोषणा हो सकती है। सरकार को ईंधन उत्पाद शुल्क और अब अतिरिक्त उधारी से संसाधन मिल गए हैं।'
वरिष्ठ सरकारी सूत्रों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि आरबीआई को द्वितीयक बाजारों में खुले बाजार के परिचालन में विस्तार के जरिये प्रतिफल नियंत्रित रखने के लिए पूरी छूट दी गई है।
उधारी बढ़ाने की चर्चा से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, 'आरबीआई को किसी तरह खुले बाजार की क्रियाओं में हिस्सा लेना होगा और प्रतिफल को बढऩे से रोकना होगा। निश्चित रूप से प्रतिफल पर दबाव होगा और आरबीआई को इसे संभालना होगा। इसमें से एक कदम खुले बाजार की क्रियाओं को बढ़ाना है।'
जब उनसे यह पूछा गया कि क्या उधारी के लक्ष्य को बढ़ाने का यह मतलब है कि आरबीआई सरकार से सीधे बॉन्ड खरीदकर घाटे की भरपाई करेगा। इस पर अधिकारी ने कहा, 'आरबीआई अब तक प्राइवेट प्लेसमेंट का इच्छुक नहीं है।'
अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की कि उधारी लक्ष्य को बढ़ाने को लेकर वित्त मंत्रालय और केंद्रीय बैंक के बीच बातचीत पिछले 7-8 दिन में हुई है। यह बातचीत आर्थिक मामलों के नए सचिव तरुण बजाज के कार्यभार संभालने के बाद हुई है। इस बैठक में इस बारे में व्यापक चर्चा हुई कि उधारी में बढ़ोतरी की घोषणा अब की जाए या सितंबर में अक्टूबर-जनवरी के उधारी कैलेंडर के साथ की जाए।
एक दूसरे अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की कि उधारी में बढ़ोतरी का मतलब है कि वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी के 3.5 फीसदी राजकोषीय घाटे का लक्ष्य पीछे छूट गया है क्योंकि उधारी घाटे की भरपाई का एक साधन है। एक त्वरित आकलन दर्शाता है कि अगर अन्य सभी मापदंड समान रहते हैं तो इस साल राजकोषीय घाटा जीडीपी के करीब 5.3 फीसदी पर पहुंच जाएगा। हालांकि 10 फीसदी नॉमिनल जीडीपी वृद्धि जैसे बजट के अनुमान साफ तौर पर कोविड-19 महामारी की वजह से हासिल नहीं हो पाएंगे। दूसरे अधिकारी ने कहा, 'राजकोषीय घाटा बढ़ेगा। मगर हम इसका कोई आंकड़ा नहीं दे सकते क्योंकि हालात बहुत तेजी से बदल रहे हैं।'
संशोधित कैलेंडर से पता चलता है कि प्रत्येक महीने 1.2 लाख करोड़ रुपये की उधारी ली जाएगी। स्पष्ट तौर पर यह बाजार के वहन करने से अधिक है। दो साल और इससे अधिक परिपक्वता अवधि वाले सभ्भी डेट प्रतिभूतियों का उपयोग किया जाएगा।
शुक्रवार को बॉन्ड का प्रतिफल काफी घट गया। सरकार ने नए 10 वर्षीय बॉन्ड को 5.79 फीसदी प्रतिफल पर पेश किया। फरवरी 2009 के बाद पहली बार इस तरह के बॉन्ड का प्रतिफल 6 फीसदी से नीचे आया है। 10 वर्षीय बॉन्ड 5.97 फीसदी पर बंद हुआ, जबकि गुरुवार को यह 6.05 फीसदी पर बंद हुआ था।
फस्र्ट रैंड बैंक के ट्रेजरी प्रमुख हरिहर कृष्णमूर्ति ने कहा कि उधारी कैलेंडर की घोषणा से पहले बॉन्ड बाजार ब्याज दरों में आगे और कटौती को लेकर उत्साहित था। लेकिन कैलेंडर से संकेत मिलता है कि जल्द ही भारी भरकम पैकेज आने वाला है।
विशेषज्ञोंं ने कहा कि सरकार सस्ती दर पर उधारी जुटाना चाह रही है लेकिन आरबीआई द्वारा दरों में ज्यादा कटौती नहीं करने से प्रतिफल बढ़ सकता है। इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च मेंं एसोसिएट निदेशक सौम्यजित नियोगी ने कहा, 'हमें आरबीआई से सहयोग की जरूरत होगी। अगर दरोंं में कटौती नहीं होती है तो उधार लेने वालों को चुनौतियोंं का सामना करना होगा।'
भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष के अनुसार केंद्रीय बैंक को बिना किसी जमानत के रिवर्स रीपो और टर्म रिवर्स रीपो परिचालन करना चाहिए। तरलता परिचालन में प्रतिभूतियों की अनुपलब्धता से सरकार की प्रतिभूतियोंं की मांग बढ़ेगी।
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