मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोनावायरस के कारण ठप पड़ी आर्थिक गतिविधियों में नई जान फूंकने के लिए श्रम कानून सुधारों की आज घोषणा की। उन्होंने कहा कि प्रदेश मेंं हर प्रकार के निवेश को बढ़ावा देने के लिए कानूनी प्रक्रिया को आसान बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि श्रम कानूनों में बदलाव से नया निवेश आएगा, रोजगार के नए अवसर तैयार होंगे, प्रदेश में औद्योगिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलेगा, श्रमिकों के हितों की रक्षा होगी और कोविड प्रभावित उद्योगों को पटरी पर लाने में मदद मिलेगी।
चौहान ने कहा कि अब प्रदेश में उद्योग या निवेश के लिए पंजीयन या लाइसेंस केवल एक दिन में जारी होगा। पहले विभिन्न कानूनों के तहत इसमें करीब 30 दिन का समय लगता था। कारखाना लाइसेंस नवीनीकरण अब एक वर्ष के बजाय 10 साल में कराना होगा। ठेका श्रम अधिनियम के तहत कैलेंडर वर्ष के बजाय अब संपूर्ण ठेका अवधि के लिए लाइसेंस जारी होगा।
कानूनों में बदलाव के बाद कोविड महामारी के दौरान कारखानों में काम करने की पाली की अवधि 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे कर दी गई है बशर्ते कि श्रमिक काम करना चाहें। सुधारों के बाद 50 से कम श्रमिकों वाली संस्थाओं को विभिन्न श्रम कानूनों में निरीक्षण की परिधि से बाहर कर दिया गया है। मप्र औद्योगिक संबंध अधिनियम के प्रावधानों को भी आगामी आदेश तक शिथिल कर दिया गया है। अब श्रम संगठन और कारखाना प्रबंधक अपनी सुविधानुसार विवादों का निराकरण कर सकेंगे।
औद्योगिक विवाद अधिनियम भी अब 100 के बजाय 300 कर्मचारियों वाले संस्थानों पर ही लागू होगा। प्रदेश सरकार ने कारखाना अधिनियम में श्रमिक सुरक्षा के अलावा सभी अन्य प्रावधानों को तीन महीने के लिए स्थगित कर दिया है। इन्हें 1,000 दिन के लिए शिथिल करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया है।