बैंक चाहते हैं नियामकीय राहत | हंसिनी कार्तिक और अभिजित लेले / मुंबई May 08, 2020 | | | | |
देशबंदी बढ़ाकर 17 मई तक कर दी गई है, जिसे देखते हुए बैंक एक बार फिर कुछ नियामकीय व्यवस्था और संपत्ति मान्यता मानदंडों में राहत की मांग कर रहे हैं। सभी मांगों में सबसे लोकप्रिय मांग कर्ज का भुगतान टालने (मोरेटोरियम) को लेकर है, जिसकी अवधि 31 मई को खत्म होनी है।
निजी क्षेत्र के एक बैंक के शीर्ष अधिकारी ने कहा, 'जब 27 मार्च को कर्ज का भुगतान टालने की योजना की घोषणा की गई थी तो यह अनुमान लगाया गया था कि लॉकडाउन 15 अप्रैल तक खत्म हो जाएगा और कारोबार करीब सामान्य हो जाएगा। अब यह सब पीछे छूट गया।' उनका मानना है कि भारतीय रिवर्ज बैंक (आरबीआई) के लिए यह तार्किक है कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए भुगतान में दी गई छूट की अवधि और बढ़ाई जाए।
पिछले शनिवार को बैंक अधिकारियों के साथ रिजर्व बैंक के गवर्नर की बैठक के बाद खबरों में भी यह आया है कि इस तरह का कदम उठाया जा सकता है।
निजी क्षेत्र के एक बैंक के मुख्य कार्याधिकारी ने कहा, 'यह समझना बहुत कठिन है कि आर्थिक पैकेज में देरी क्यों की जा रही है। सरकार जितनी जल्दी फैसला करती है, वह बेहतर होगा। न सिर्फ सरकार को फैसला करने की जरूरत है बल्कि रिजर्व बैंक को कर्ज टालने की अवधि (जो 31 मई को खत्म हो रहा है) बढ़ाने को लेकर स्थिति साफ करनी चाहिए।'
उन्होंने कहा, '3 महीने की इस अवधि से किसी को भी मदद नहीं मिलने जा रही है। हमें यह समझने की जरूरत है कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद आर्थिक गतिविधियां बहाल करने में भी वक्त लगेगा।'
बैंक इस समय वित्त वर्ष 21 की जून तिमाही के मध्य में पहुंच चुके हैं और नया कर्ज बहुत मामूली दिया गया है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि कर्ज टालने की छूट 3 महीने यानी अगस्त 2020 तक के लिए और बढ़ाई जाएगी। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता पर बहुत बुरा असर पड़ेगा और यह बहुत दुखदायी साबित हो सकता है।
बैंकों का कहना है कि अप्रैल के आखिर से कर्ज टालने की छूट को लेकर पूछताछ शुरू हुई, उसके पहले इस महीने की 65 से 70 प्रतिशत किस्तें ली जा चुकी थीं। एक अन्य बैंकर ने कहा, 'अगर किस्त टालने की छूट बढ़ाई नहीं जाती है तो पहली तिमाही में गैर निष्पादित संपत्तियां (एनपीए) बहुत ज्यादा हो सकती हैं।'
जेफरीज के विश्लेषकों ने पाया कि अगर रिजर्व बैंक कर्ज टालने की छूट सीमित करता है और सिर्फ प्रभावित तबके को विशेष पैकेज मिलता है तो संपत्ति की गुणवत्ता नीचे जाने और व्यापक अर्थव्यवस्था को नुकसान की संभावना है। माइक्रोफाइनैंस, वाहन ऋण, असुरक्षित खुदरा कर्ज और छोटे और मझोले उद्यमों को दिया गया कर्ज को इस समय संकट वाले क्षेत्र के रूप में देखा जा रहा है।
क्रिसिल में फाइनैंशियल सेक्टर और स्ट्रक्चर्ड फाइनैंस रेटिंग के वरिष्ठ निदेशक कृष्ण सीतारमण का मानना है कि एनपीए मौजूदा 9.5 प्रतिशत से बढ़कर 11 से 11.5 प्रतिशत तक पहुंच सकता है, जैसा कि वित्त वर्ष 18 में देखा गया था। उन्होंने कहा, 'इसके साथ ही आर्थिक चुनौतियों और कर्ज की वृद्धि कमजोर रहने से एनपीए का अनुपात और बढ़ेगा।'
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