कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण वृद्धि की रफ्तार में सुस्ती और मांग परिदृश्य में अनिश्चितता को देखते हुए प्रमुख भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवा कंपनियां अपने मुनाफे को बरकरार रखने के लिए कोई कसर नहीं छोडऩा चाह रही है। आईटी कंपनियां तमाम उपायों पर जोर दे रही हैं ताकि लघु से मध्यावधि के दौरान उनके मुनाफे पर कोरोनावायरस का कम से कम प्रभाव दिखे। हाल में समाप्त तिमाही के दौरान टाटा कंसल्टैंसी सर्विसेज (टीसीएस), इन्फोसिस और विप्रो जैसी शीर्ष भारतीय आईटी कंपनियों ने लागत में कटौती के लिए आक्रामक उपाय करने के संकेत दिए हैं। इनमें सब-कॉन्ट्रैक्टिंग लागत घटाने, यात्रा खर्च में कटौती, वेतन वृद्धि पर रोक लगाने और वेरिएबल भुगतान टालने जैसे उपाय शामिल हैं। विप्रो के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) जतिन दलाल ने कहा, 'हमारी नजर लागत पर है क्योंकि हमारी जिंदगी उसी पर निर्भर करती है। यदि आपको राजस्व में गिरावट दिख रही है तो इससे निपटने के लिए आपके लिए एकमात्र विकल्प है लागत में कटौती करना।' टीसीएस के सीएफओ वी रामकृष्णन ने भी कहा कि उनकी कंपनी लागत को युक्तिसंगत बनाने के हर संभव उपायों पर विचार कर रही है। फिलहाल कुछ भी स्पष्टï न दिखने और कारोबारी माहौल में अनिश्चितता के मद्देनजर इन्फोसिस और विप्रो जैसी आईटी सेवा कंपनियां वृद्धि अनुमान जारी करने से परहेज कर रही हैं। यहां तक कि टीसीएस ने भी वृद्धि अनुमान संबंधी आंकड़े जारी नहीं किए हैं और कंपनी ने मौजूदा परिस्थिति की तुलना 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी से की है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने एक रिपोर्ट में कहा है कि 97 अरब डॉलर के आईटी सेवा उद्योग में राजस्व पर दबाव इस साल कहीं अधिक बढ़ेगा और वृद्धि सिकुड़कर दशक के सर्वाधिक निचले स्तर 0 से 2 फीसदी के स्तर तक लुढ़क जाएगी। आईटी उद्योग की अब तक की सबसे कमजोर वृद्धि 4 फीसदी की रही है। लागत को नियंत्रित करने के क्रम में आईटी सेवा कंपनियों ने कई उपाय किए हैं। उदाहरण के लिए, टेक महिंद्रा ने सब-कॉन्ट्रैक्टिंग लागत, थर्ड-पार्टी लागत और यहां तक कि यात्रा खर्च घटाने के लिए बहुआयामी रणनीति की घोषणा की है। कंपनी की कुल लागत में यात्रा खर्च की हिस्सेदारी 2 से 3 फीसदी होती है। पुणे की आईटी कंपनी ने भी कहा है कि वह अपनी सहायक इकाइयों के तालमेल में सख्ती लाने के अलावा वेतन वृद्धि और वेरिएबल पे को तत्काल रोकने की पहल कर रही है। देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी सेवा कंपनी इन्फोसिस ने कहा है कि वर्ष 2019-20 के लिए लागत को युक्तिसंगत बनाने के उपायों का लक्ष्य 15 करोड़ डॉलर के पार पहुंच गया। उन्हीं उपायों को इस साल भी लागू किया जाएगा जिनमें स्वचालन, कर्मचारी पिरामिड को युक्तिसंगत बनाना और सब-कॉन्ट्रैक्टिंग लागत घटाना शामिल हैं। शेयरखान के उपाध्यक्ष (अनुसंधान प्रमुख) संजीव होता ने कहा कि राजस्व में गिरावट के अलावा कम उपयोगिता, ग्राहकों द्वारा कीमत घटाने पर जोर दिए जाने और तगड़ी प्रतिस्पर्धा जैसे अन्य चुनौतियों के मद्देनजर कंपनियां इस प्रकार के उपाय कर रही हैं। उन्होंने कहा कि तत्काल वेतन वृद्धि पर रोक लगाने और वेरिएबल पे को टालने जैसे उपाय दुनिया भर में देखे जा रहे हैं। उन्होंने कहा, 'हमारा मानना है कि अगले छह महीनों के दौरान मांग में कमी आएगी। इससे लागत पर असर पड़ेगा और 2021-22 तक वृद्धि सामान्य हो पाएगी।'
