रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा है कि अगर देशबंदी एक पखवाड़े और बढ़ती है तो राजमार्गों पर टोल संग्रह 17 प्रतिशत और कम होने की संभावना है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने 20 अप्रैल 2020 तक के लिए टोल संग्रह रोक दिया था, जब केंद्र ने कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए 25 मार्च को देशबंदी की घोषणा की थी। उसके बाद टोल संग्रह शुरू हुआ, लेकिन इसमें अचानक तेजी आने की संभावना नहीं है क्योंकि संभवत: 17 मई को लॉकडाउन खत्म होने के बाद ही आवाजाही बढ़ेगी और उसके बाद धीरे धीरे स्थिति सामान्य होगी। अगर सिर्फ 57 दिन के लॉकडाउन (22 मार्च से 17 मई) के हिसाब से देखें तो टोल संग्रह और मौजूदा सड़कों से वसूली में 13 प्रतिशत की तेज गिरावट की संभावना है। अगर लॉकडाउन 2 सप्ताह और बढ़ता है तो टोल संग्रह 17 प्रतिशत कम रह सकता है। नए राजमार्गों का निर्माण भी प्रभावित हुआ है, ऐसे में जो सड़कें बन चुकी हैं और पिछले एक साल से चालू हैं, वे टोल संग्रह में आधे से ज्यादा की गिरावट की दर में कमी लाने में मददगार होंगी। दीर्घावधि के हिसाब से (वित्त वर्ष 2024 तक) क्रिसिल रिसर्च को उम्मीद है कि टोल संग्रह में तेजी आएगी और नई सड़कें बनने की वजह से इसकी सालाना वृद्धि दर (सीएजीआर) 11 से 12 प्रतिशत रह सकती है। बहरहाल यह इसके पहले के वित्त वर्षों की 14.6 प्रतिशत तेजी की तुलना में कम है। नई सड़कें चालू होने से तात्कालिक हिसाब से लॉकडाउन का असर कम होगा, वहीं इससे दीर्घावधि के हिसाब से वृद्धि दर में तेजी आएगी।
