मप्र में शिथिल होंगे श्रम कानून | सोमेश झा और संदीप कुमार / नई दिल्ली/भोपाल May 06, 2020 | | | | |
मध्य प्रदेश सरकार कई श्रम कानून सुधारों की योजना बना रही है। इसमें ज्यादा तादाद में फैक्टरियों को बिना सुरक्षा और स्वास्थ्य मानकों के संचालित करना और नई कंपनियों को श्रमिकों से अपनी सुविधा के अनुसार काम लेने की छूट देना शामिल हैं।
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को अधिकारियों के साथ बैठक में कहा कि कोरोनावायरस के कारण उत्पन्न संकट को ध्यान में रखते हुए अगले 1,000 दिनों में उद्योग जगत को ढेर सारी रियायतें दी जाएंगी। जिन रियायतों का प्रस्ताव रखा गया है उनमें प्रतिष्ठानों के निरीक्षण से छूट और इससे संबंधित रिकॉर्ड न रखने जैसी रियायतें शामिल हैं। सरकार का प्रस्ताव है कि बिजली के इस्तेमाल वाले और 40 से कम श्रमिकों वाले प्रतिष्ठानों को फैक्टरी अधिनियम 1948 के दायरे से बाहर किया जाएगा वहीं उन प्रतिष्ठानों को श्रम कानूनों से बाहर रखा जाए जहां 20 से कम कामगार काम करते हैं और जो बिना औद्योगिक बिजली के संचालित होते हैं। अनुबंधित श्रम अधिनियम 1970 में संशोधन किया जाएगा ताकि 50 श्रमिकों से काम लेने वाले ठेकेदारों को इसके दायरे से बाहर किया जा सके। जो कंपनियां अगले 1000 दिन में नई फैक्टरियां लगाएंगी, सरकार उन्हें फैक्टरी अधिनियम के कई प्रमुख प्रावधानों से छूट प्रदान करेगी।
ये प्रावधान कामगारों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और काम करने की परिस्थितियों से संबंधित हैं।
श्रम कानून के जानकारों ने इसे लेकर चिंता जताई है।
एक्सएलआरआई जमशेदपुर में प्रोफेसर और श्रम अर्थशास्त्री के आर श्याम सुंदर कहते हैं, 'कंपनियों को इस कदर रियायतें प्रदान करना कि वे समुचित तापमान, हवादार होने, और कल्याण अधिकारियों की नियुक्ति तक का ध्यान नहीं रखें, श्रमिकों के लिए त्रासद कार्य परिस्थितियां पैदा कर सकता है।'
प्रदेश सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल की लोकप्रिय संबल योजना को दोबारा शुरू करने की भी घोषणा की है। असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को आर्थिक सहायता पहुंचाने वाली यह योजना कांग्रेस सरकार के आगमन के बाद ठंडे बस्ते में डाल दी गई थी। संबल योजना के नए प्रावधान के तहत सरकार ने सुपर 5000 योजना की शुरुआत की है। इसके तहत कक्षा 12 में अधिकतम अंक लाने वाले संबल परिवारों के 5000 बच्चों को 30-30 हजार रुपये की राशि दी जाएगी। योजना के आरंभ के साथ ही 1863 पात्र लोगों के खाते में 41 करोड़ रुपये से अधिक की राशि ई-भुगतान के माध्यम से स्थानांतरित की गई।
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