पेट्रोल-डीजल पर शुल्क वृद्घि से भरेगा खजाना! | दिलाशा सेठ और शाइन जैकब / नई दिल्ली May 06, 2020 | | | | |
पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में भारी बढ़ातरी करने के केंद्र सरकार के कदम से करीब 1 लाख करोड़ से 1.6 लाख करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हो सकता है। हालांकि यह पेट्रोल-डीजल की खपत पर निर्भर करेगा क्योंकि लॉकडाउन के कारण तेल की खपत घट रही है।
अनुमान के मुताबिक 2020-21 में तेल की खपत में 10 से 20 फीसदी की कमी आ सकती है। भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष के अनुमान के मुताबिक बगर तेल की खपत 20 फीसदी कम होती है तब भी केंद्र सरकार को करीब 1 लाख करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा। घोष ने कहा, 'शुल्क वृद्घि से अप्रैल और मई में तेल मद में हुए नुकसान की भरपाई हो जाएगी, जो करीब 80 हजार से 90 हजार करोड़ रुपये है।' बार्कलेज का अनुमान है कि पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुुल्क बढ़ाए जाने सेे सरकारी खजाने में करीब 1ï.4 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त आय होगी। हालांकि 2020-21 में ईंधन की मांग में 12 फीसदी की कमी आ सकती है।
उत्पाद शुल्क में ताजा बढ़ोतरी के बाद पेट्रोल पर यह 22.98 रुपये से बढ़कर 32.98 रुपयेे प्रति लीटर और डीजल पर 18.83 रुपये से बढ़कर 32.83 रुपये प्रति लीटर हो गया है।
केंद्र सरकार ने मार्च में भी पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में इजाफा किया था। राज्य सरकारें भी राजस्व में कमी का सामना कर रही हैं, जिसकी वजह से उन्होंने से इस पर मूल्य वर्धित कर (वैट) बढ़ाया है। उत्तर प्रदेश ने बुधवार को पेट्रोल पर 2 रुपये लीटर और डीजल पर 1 रुपये लीटर वैट बढ़ाया है। इसके अलावा, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक और हरियाणा आदि ने भी वैट में इजाफा किया है। संशोधित अनुमान के मुताबिक 2019-20 में कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह में पेट्रोल और डीजल की हिस्सेदारी करीब 12.18 फीसदी रही। सरकार ने 2019-20 के लिए पेट्रोल-डीजल से होने वाले कर संग्रह के लक्ष्य को संशोधित कर 1.2 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1.68 लाख करोड़ रुपये कर दिया था।
मंगलवार रात जारी अधिसूचना के अनुसार केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर प्रति लीटर 10 रुपये और डीजल पर 13 रुपये का शुल्क बढ़ाया है। इसके अलाव सड़क एवं बुनियादी ढांचा उपकर को भी 8 रुपये प्रति लीटर बढ़ाया गया है।
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