छोटी कार पर कंपनियों का दांव | अरिंदम मजूमदार / नई दिल्ली May 06, 2020 | | | | |
अतुल (32 वर्ष) ने मार्च में अपनी पहली कार खरीदने की योजना बनाई थी। उन्होंने अपनी आय का ध्यान रखते हुए 10 लाख रुपये से कम कीमत वाले कुछ मॉडल चुने थे। इसके बाद कोरोनावायरस महामारी फैली और अतुल के वेतन में कटौती आरंभ हो गई और अब वह अपनी योजना को टालने पर विचार कर रहे हैं। अब तक की सबसे बड़ी बंदी के बाद देश की कार कंपनियां उत्पादन शुरू कर रही हैं तो ऐसे में उनकी नजर अतुल जैसे ग्राहकों पर होगी जो उनकी स्थिति सुधारने में मदद कर सकते हैं।
कंपनियां पहली बार कार खरीदने वाले ग्राहकों को अपने साथ जोडऩे के तमाम जतन कर रही हैं। इनमें वायरस की आशंका के चलते डिजिटल डिलिवरी, शुरुआती कम कीमत वाले मॉडल पर ध्यान और ग्राहकों के लिए विशिष्ट फाइनैंसिंग योजना पेश करना शामिल है।
दक्षिण कोरिया की प्रमुख कार निर्माता कंपनी हुंडई की भारतीय अनुषंगी ने आर्थिक संकट से जूझ रहे ग्राहकों के लिए एक विशेष योजना पेश की है। इसके मुताबिक बेरोजगारी, खराब वित्तीय स्थिति, या कंपनी के विलय अथवा अधिग्रहण की स्थिति में ग्राहक को कार ऋण पर तीन ईएमआई का कवर दिया जा रहा है।
हुंडई ने ग्राहकों को ईएमआई में राहत देने की जो बात कही है वह काफी हद तक वैसा ही है जैसा किया मोटर्स यूरोप में कर रही है। किया कई यूरोपीय बाजारों में बेरोजगारी बीमा योजना भी पेश कर रही है। इसके तहत यदि ग्राहक बेरोजगार हो जाता है तो वह अपनी मासिक किस्त लंबित कर सकता है और दोबारा नौकरी मिलने पर उसे दोबारा शुरू कर सकता है।
हुंडई के बिक्री, विपणन और सेवा कारोबार के निदेशक तरुण गर्ग कहते हैं, 'हमें ग्राहकों की जरूरत को समझना होगा। हमें समझना होगा कि शायद वह अपनी पहली कार खरीदना चाहते हों लेकिन मौजूदा अनिश्चितता भरे दौर में ऐसा करने से बच रहे हों। ऐसे समय में ऐसी योजनाएं ग्राहकों के मन में भरोसा पैदा करेंगी।'
ऑल्टो, क्विड, सेलेरियो, सैंट्रो, वैगन आर, टियागो और तमाम अन्य एंट्री लेवल यानी शुरुआती कार मॉडल यदि दोबारा लोकप्रिय होते हैं तो इसका सबसे अधिक लाभ मारुति सुजूकी को होगा क्योंकि कंपनी के पोर्टफोलियो में सबसे ज्यादा छोटी और कॉम्पैक्ट कारें हैं।
मारुति सुजूकी के अधिकारी मानते हैं कि कार बाजार में 47 फीसदी के हिस्सेदार पहली बार कार खरीदने वाले हैं और ये बाजार की हालत सुधारने में निर्णायक भूमिका निभाएंगे। मारुति सुजूकी के कार्यकारी निदेशक (बिक्री और विपणन) शशांक श्रीवास्तव ने कहा, 'पहली बार कार खरीदने वालों में करीब 80 फीसदी किसी न किसी फाइनैंसिंग योजना की मदद लेते हैं। हम वित्तीय संस्थानों से ऐसी योजनाएं तैयार करने पर चर्चा कर रहे हैं जो कार के डाउन पेमेंट को कम कर सके।'
भारत की दो शीर्ष कार निर्माता कंपनियां पहली बार वाहन खरीदने करने वाले लोगों पर दांव लगा रही और इसका एक कारण है। चीन के वाहन बाजार में इस समय जो रुझान दिख रहा है, उसके अनुसार लोग एक दूसरे से कम से संपर्क रखने के लिए निजी कार वाहन खरीदने को वरीयता दे रहे हैं। हुंडई इंडिया में सहायक उपाध्यक्ष, यूनिट सेल्स हेड, विकास जैन कहते हैं,'जो लोग पहले कैब साझा किया करते थे वे अब सार्वजनिक परिवहन से दूरी बरतेंगे और कार खरीदेंगे। लोगों की नजर में ऐसा करना अब उनके लिए जरूरत बन गई है। हालांकि यह भी दिमाग में रखना होगा कि कार खरीदते समय लोग कीमतों पर जरूर ध्यान रखेंगे।'
विश्लेषकों का कहना है कि व्यावसायिक और महंगे वाहनों पर कोविड-19 का असर लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी लंबे समय तक बना रहेगा। इस बारे में दौलत कैपिटल के विश्लेषकों ने कहा, '2डब्ल्यूज, एंट्री लेवर कार, टायर और बैटरियों की मांग में वित्त वर्ष 2021 की दूसरी छमाही में तेजी आनी चाहिए।
मारुति सुजूकी ने मंगलवार को अपने 3,100 डीलरशिप में 600 की शुरुआत कर दी। कंपनी ने एक सर्वेक्षण में पाया है कि ग्राहक स्वास्थ्य कारणों से शोरूम जाकर और कार खरीदने से परहेज कर रहे हैं। अब कंपनी ग्राहकों को डिजिटल माध्यम से कार खरीदने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। श्रीवास्तव कहते हैं, 'किसी शोरूम में करीब 28 ऐसी जगहें होती हैं, जहां से ग्राहकों को कुछ औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं। हम डिजिटल पहल कर इन्हें समाप्त कर रहे हैं। आगे चलकर कंपनी के कारोबार में डिजिटल माध्यम की हिस्सेदारी भी काफी अहम हो जाएगी।'
पिछले 12 से 18 महीनों में भारत में वाहन क्षेत्र को काफी मुश्किलों से गुजरना पड़ा है। ढांचागत बदलाव और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), कैब साझा करने के चलन, बीएस-4 से बीएस-6 प्रणाली के आगमन और नकदी की किल्लत आदि कारणों से वाहन उद्योग पर दबाव बढ़ा है। डेलॉयट के एक शोध के अनुसार वाहन क्षेत्र में सुधार आने में समय लगेगा और 2021-22 तक यह पटरी पर लौट पाएगा।
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