आवाजाही सामान्य होने में लगेगा थोड़ा वक्त | मेघा मनचंदा और अमृता पिल्लई / नई दिल्ली May 06, 2020 | | | | |
राज्यों की ओर से देशव्यापी लॉकडाउन के तीसरे चरण में नियमों में ढील दिए जाने के साथ ही देश भर में ट्रैफिक की आवाजाही जोर पकडऩे लगी है और आपूर्ति शृंखला की बाधाएं दूर होने के साथ ही यह और अधिक बढऩे की उम्मीद है।
ट्रांसपोर्टरों ने अनुमान लगाया था कि 20 अप्रैल से 25 फीसदी ट्रैफिक सड़कों पर आ जाएगी, तब लॉकडाउन में पहले दौर की ढील दी गई थी। हालांकि, विभिन्न तरह के आपूर्ति शृंखला बाधाओं के कारण ट्रैफिक 10-15 फीसदी के करीब ही रहा।
इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग के वरिष्ठ फेलो और समन्वयक एसपी सिंह ने कहा, 'फैक्टरियां खुली हैं लेकिन शोरूम बंद हैं, इसलिए डीलर विनिर्माण इकाइयों से माल मंगाने को लेकर उत्सुक नहीं हैं। यही हाल कारों और दोपहिया वाहनों का है।'
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने 20 अप्रैल से टोल संग्रह आरंभ कर दिया है। उसे ट्रैफिक में धीरे धीरे वृद्धि होने की उम्मीद है।
एचएचएआई के चेयरमैन सुखबीर सिंह संधू ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि राजमार्गों पर धीरे धीरे ट्रैफिक में इजाफा हो रहा है और उन्हें उम्मीद है कि इन छूटों के साथ इसमें और वृद्धि होगी।
एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, 'सड़क पर ट्रैफिक कोविड से पहले के मुकाबले 30 से 50 फीसदी तक के बीच में है। टोल संग्रह के संबंध में देखें तो यह अंतर 5 फीसदी का है।'
अधिकारी ने कहा, 'इस ट्रैफिक की प्रकृति राज्यों के हिसाब से अलग अलग है। उदाहरण के लिए पंजाब में अधिकांश कृषि से संबंधित ट्रैफिक है। कुल मिलाकर, इस ट्रैफिक में पहले जिंस और उसके बाद औद्योगिक गतिविधि का योगदान है।'
मार्च के अंतिम हफ्ते से अप्रैल के मध्य तक ट्रैफिक की आवाजाही महज 5 फीसदी थी क्योंकि तब लॉकडाउन में केवल जरूरी सामानों के परिवहन की ही अनुमति दी गई थी।
ऑल इंडियन मोबाइल ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के महासचिव नवीन कुमार गुप्ता ने कहा, 'फिलहाल ट्रैफिक 20 फीसदी के आसपास बना हुआ है लेकिन ड्राइवरों और श्रमिकों के अभाव के कारण हमें इसमें सुधार होने की उम्मीद नजर नहीं आती।'
गुप्ता ने कहा कि ट्रांसपोर्ट का कारोबार नकदी से चलने वाला कारोबार है और छोटे ट्रांसपोर्टर, कुल ट्रकों में जिनकी हिस्सेदारी 85 फीसदी है, नकदी के बिना परिचालन नहीं कर सकते हैं।
बहरहाल बड़े ट्रांसपोर्टरों को कर्ज मिल सकता है, लेकिन उनकी कारोबार में हिस्सेदारी इतनी ज्यादा नहीं है कि उद्योग रफ्तार पकड़ सके।
सरकार ने 25 मार्च को टोल संग्रह अस्थायी रूप से लंबित करने की घोषणा की थी, जिससे आपातकालीन सेवाएं सरल की जा सकें, लेकिन 20 अप्रैल को पहली राहत के बाद इसे फिर लगा दिया गया।
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