राज्य सरकारों ने 5 मई तक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत अप्रैल महीने में मिले खाद्यान्न का करीब 61 प्रतिशत ही वितरण किया है। इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट आफ सेल (ई-पीओएस) उपकरण के आंकड़ों से यह जानकारी मिलती है। कुछ राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, बिहार, केरल और उत्तर प्रदेश ने ज्यादा तत्परता दिखाई है और उन्होंने अप्रैल महीने के मुफ्त मिलने वाले राशन का 90 प्रतिशत वितरण कर दिया है। वहीं दिल्ली, मध्य प्रदेश, ओडिशा और झारखंड जैसे राज्य सुस्त रहे हैं। गरीब कल्याण योजना के तहत राज्यों को 40.4 लाख टन खाद्यान्न हर महीने मुफ्त में अप्रैल, मई और जून में दिया जाना है, जो कुल करीब 121 लाख टन होगा। यह सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत हुए आवंटन के अतिरिक्त है। इसमें से आधिकारिक बयान के मुताबिक अब तक (5 मई तक) करीब 67.6 लाख टन अनाज भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों से राज्यों ने उठाए हैं। इसमें से आज तक के आंकड़ों के मुताबिक करीब 24.8 लाख टन का वितरण अप्रैल महीने के कोटे का मुफ्त अनाज, जबकि 8 लाख टन मई महीने के कोटे के तहत वितरित किया गया है। वहीं जून महीने के कोटे का 66,633 टन अनाज उठाया गया है। इस तरह से ई-पीओएस मशीन के आंकड़ों के मुताबिक कुल 33.5 लाख टन अनाज वितरित किया गया है। अप्रैल महीने में कुल अनाज में से 94 प्रतिशत से ज्यादा ई-पीओएस के माध्यम से गया है। गरीब कल्याण योजना के तहत केंद्र सरकार अप्रैल 2020 से 3 महीने तक प्रति व्यक्ति 5 किलो अतिरिक्त गेहूूं या चावल दे रही है, जो खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत आने वाले 80 करोड़ लाभार्थियों को मिलेगा। यह अतिरिक्त आवंटन 5 किलो प्रति व्यक्ति नियमित आवंटन से इतर है। गरीब कल्याण योजना के तहत 3 महीने के लिए 121 लाख टन मुफ्त अनाज में 104.4 लाख टन चावल और 15.6 लाख टन गेहूं है। गेहूं का आवंटन पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, चंडीगढ़, दिल्ली और गुजरात को किया गया है, जबकि शेष राज्यों को चावल दिया जाएगा। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत केंद्र सरकार और एफसीआई की जिम्मेदारी राज्य के गोदामों में राशन देने की है और राज्यों का दायित्व है कि वे राशन दुकान तक अनाज पहुंचाएं, जहां अंतिम लाभार्थी तक अनाज की डिलिवरी सुनिश्चित हो सके। दिल्ली रोजी रोटी अधिकार अभियान नाम के एक सोशल ग्रुप ने 1 से 4 मई केे बीच दिल्ली की 2000 से ज्यादा राशन की दुकानों में से 61 का दौरा किया, जिनमें 34 प्रतिशत दुकानें बंद मिलीं, जबकि कुछ दुकानें खुली थीं, लेकिन राशन कार्ड धारकों को पात्रता के मुताबिक अनाज नहीं मिल रहा था।
