विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 (नोवेल कोरोनावायरस) के कारण हुए लॉकडाउन के बीच देश में आयातित अधिकांश हीरों का प्रसंस्करण करने वाले हीरा उद्योग केंद्र सूरत ने निर्यात की दोबारा शुरुआत होने से राहत की सांस ली है, अलबत्ता फिलहाल इसकी मात्रा कम है। हालांकि सूरत से हॉन्गकॉन्ग को किया जाने वाला निर्यात शुरू हो चुका है, लेकिन उद्योग में अब भी लगभग 2.3 अरब डॉलर का स्टॉक इकट्ठा है, जिसके खत्म होने में समय लगेगा। अनुमान है कि अब तक किया गया शुरुआती निर्यात 600 करोड़ रुपये का है जो तराशे हीरों के स्टॉक की तुलना में काफी कम है। रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के क्षेत्रीय अध्यक्ष दिनेश नवाडिया ने कहा कि जब तक उत्पादन लागत व्यावहारिक नहीं हो जाती, तब तक उद्योग, (विशेष रूप से सूरत), फिर से उत्पादन शुरू करने की हालत में नहीं है। हालांकि निर्यात शुरू हो चुका है, लेकिन देश में 2.3 अरब डॉलर के हीरा स्टॉक की तुलना में यह कुछ भी नहीं है। सूरत से हीरा निर्यात की दोबारा शुरुआत करने के लिए सीमा शुल्क अधिकारियों के साथ जीजेईपीसी की हुई बैठक के बाद अधिकारियों ने परिषद को सूचित किया था कि सूरत डायमंड बोर्स (एसडीबी) से मुंबई के लिए हवाई जहाज द्वारा पहली 10 खेप भेजी जा रही हैं। नवाडिया ने कहा कि जीजेईपीसी हॉन्गकॉन्ग के लिए जाने वाली उड़ानों के अनुरूप सप्ताह में एक या दो बार सूरत से मुंबई ढुलाई के लिए कम कीमत की पेशकश करने वाली एजेंसियों के साथ संपर्क में है ताकि इसके सदस्य निर्यात शुरू कर सकें। जीजेईपीसी निर्यात के उद्देश्य से सूरत से मुंबई तक सड़क मार्ग के जरिये खेप भेजने के वास्ते अंतरराज्यीय परिवहन की अनुमति के लिए जिला अधिकारियों के साथ भी व्यवस्था कर रही है। मुंबई भेजने के लिए एसडीबी द्वारा अब तक लगभग 17 निर्यात खेपों का प्रसंस्करण किया जा चुका है। सूरत कलेक्टरेट ने स्टॉक एकत्रित करने के लिए आठ कंपनियों को अंतरराज्यीय यात्रा के लिए अनुमति प्रदान की है। हालांकि लॉकडाउन और आर्थिक परिदृश्य के बीच हीरा निर्यात की फिर से शुरुआत खुशी की बात है, लेकिन उद्योग के सूत्रों का मानना है कि स्थिति सामान्य होने में कई महीने लगेंगे। सूरत स्थित हीरा तराश कीर्ति शाह ने कहा कि मोटे तौर पर उद्योग के पास दो महीने का स्टॉक है। चूंकि हीरा उद्योग में सामाजिक दूरी संभव नहीं है क्योंकि एक ही हीरे पर एक साथ कम से कम तीन-चार श्रमिक काम करते हैं, इसलिए सामान्य उत्पादन की बहाली में कुछ महीने लगेंगे। इसके अलावा हॉन्गकॉन्ग भले ही खुल गया हो, लेकिन उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति और वैश्विक स्तर पर हीरे की मांग को लेकर चिंताएं हैं। इसलिए पता नही है कि मौजूदा स्टॉक कितनी जल्दी खत्म होगा। कच्चे हीरों का आयात करने वाली हीरा तराश इकाइयां और व्यापारी भी रुपये में गिरावट के लिहाज से भुगतान की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। शाह ने कहा कि जनवरी में कच्चे हीरों के दाम 15 से 20 फीसदी तक बढ़ गए थे, जबकि इस वैश्विक महामारी के तुरंत बाद तराशे हीरों के दामों में 15 से 20 फीसदी तक की गिरावट आई है। इससे कारोबारी और निर्यातकों को झटका लगा है। कारोबार दोबारा कब शुरू होगा और निर्यात के लिए कब भुगतान किया जाएगा, यह पक्का नहीं है। कच्चे हीरों के आयात मूल्य में भले ही गिरावट आ गई हो, लेकिन रुपये में गिरावट से इसकी भरपाई हो गई है। इस कारण डॉलर के लिहाज से ज्यादा भुगतान किया जा रहा है। शाह ने कहा कि इस बीच मूल्य निर्धारण का दबाव कम करने के लिए अन्य उपायों के बीच हीरा तराशों ने डायमंड ग्रेडिंग सर्टिफिकेट की फीस कम करने के लिए जीआईए, एचआरडी और आईजीआई जैसी ग्रेडिंग प्रयोगशालाओं से संपर्क किया है।
