ऋण प्रवाह में 64 फीसदी की बड़ी गिरावट | अभिजित लेले / मुंबई May 05, 2020 | | | | |
भारत में बैंकों, बॉन्ड, वाणिज्यिक पत्रों से ऋण प्रवाह वित्त वर्ष 2019 के 15.82 लाख करोड़ रुपये से 64 फीसदी तक घटकर वित्त वर्ष 2020 में 6.04 लाख करोड़ रुपये रह गया। रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार आर्थिक मंदी और बैंकों में जोखिम टालने के ऊंचे स्तर की वजह से इस ऋण प्रवाह में भारी गिरावट दर्ज की गई।
रेटिंग एजेंसी ने कोविड-19 महमारी की वजह से पैदा हुए आर्थिक दबाव को ध्यान में रखकर वित्त वर्ष 2021 के दौरान 7.3-9.7 लाख करोड़ रुपये के ऋण प्रवाह का अनुमान जताया है।
वित्त वर्ष 2021 के दौरान वृद्घिशील ऋण प्रवाह में वृद्घि की उम्मीद कोविड-19 की वजह से कर्जदारों के कमजोर नकदी प्रवाह के बीच बढ़ती ऋण मांग पर आधारित है।
इक्रा में फाइनैंशियल सेक्टर रेटिंग्स के समूह प्रमुख कार्तिक श्रीनिवासन का कहना है कि बाह्यï वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) के कम इस्तेमाल के साथ साथ भारतीय रिजर्व बैंक के टारगेटेड लॉन्ग टर्म रीपो ऑपरेशंस (टीएलटीआरओ) की वजह से भी घरेलू ऋण वृद्घि को मदद मिल सकती है।
बैंकों ने चालू वित्त वर्ष में मजबूत ऋण प्रवाह का अनुमान जताया है। उन्होंने कहा, 'ऋण प्रवाह में वृद्घि होगी, लेकिन यह फंसी परिसंपत्तियों के आधार पर केंद्रित होगी।'
वित्त वर्ष 2020 के रुझान का हवाला देते हुए इक्रा ने कहा है कि बैंकों से वृद्घिशील ऋण प्रवाह 2020 के दौरान 5.9 लाख करोड़ रुपये पर रही और वित्त वर्ष 2019 के 11.9 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले कमजोर रहा। आर्थिक वृद्घि में नरमी की वजह से ताजा ऋण मांग प्रभावित हुई और साथ ही बैंकों में जोखिम से बचने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिला।
घरेलू ऋणदाताओं में जोखिम से बचने की कोशिश के बीच कई कंपनियों और गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने वैश्विक उधारी के लिए आरबरीआई से मंजूरी ली है, जिससे घरेलू स्रोतों से मांग घट रही है।
फरवरी 2020 के पिछले 12 महीनो के दौरान ईसीबी मंजूरियों में सालाना आधार पर 70 फीसदी का इजाफा हुआ और इससे संबंधित रकम 58.2 अरब डॉलर पर रही जो फरवरी 2019 की समान अवधि के दौरान 34.2 अरब डॉलर थी।
हालांकि कांविड-19 महामारी की वजह से उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच विदेशी निवेशको की चिंता बढ़ेगी, और वित्त वर्ष 2021 में ईसीबी की मंजूरियों में 15-20 अरब डॉलर तक की कमी आ सकती है, जिससे घरेलू स्रोतों से अतिरिक्त मांग पैदा होगी।
कॉरपोरेट बॉन्डों से ऋण प्रवाह वित्त वर्ष 2020 के दौरान 1.5 लाख करोड़ रुपये तक बढऩे का अनुमान है जिससे वित्त वर्ष 2019 की 3.3 लाख करोड़ रुपये की वïïृद्घि के मुकाबले 5 फीसदी की सालाना धीमी वृद्घि का पता चलता है। वित्त वर्ष 2021 में बॉन्ड कारोबार 1.5-2.5 लाख करोड़ रुपये तक बढने का अनुमान है।
वत्त वर्ष 2020 में कॉरपोरेट बॉन्ड वृद्घि में नरमी की वजह एनबीएफसी में जोखिम से बचने की प्रवृत्ति रही। इसके अलावा लिक्विड म्युचुअल फंडों के नियमों में बदलाव से भी हालात में परिवर्तन दिखा। ये बदलाव मुख्य रुप से प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियों (एयूएम) में लिक्विड निवेश की बड़ी भगीदारी की शर्तां से संबंधित थे।
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