घर से काम करने के लिए तैयार हों उचित दिशानिर्देश | इंसानी पहलू | | श्यामल मजूमदार / May 05, 2020 | | | | |
बतौर अवधारणा घर से काम करना (वर्क फ्रॉम होम) बहुत लंबे समय से प्रचलन में रहा है लेकिन अब अचानक कंपनियों को लगने लगा है मानो उन्होंने इसमें कोई जादुई शक्ति खोज ली हो। सच तो यह है कि कोविड-19 के कारण कंपनियों के पास कर्मचारियों से घर से काम कराने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं है। वे बस इस अनिवार्यता का लाभ ले रही हैं।
मानव संसाधन सलाहकार कहते हैं कि यह कुछ ऐसा है मानो किसी महिला को शादी के कई वर्ष बाद अचानक पता चले कि उसके पति में कई अच्छाइयां हैं। ऐसी खोज केवल तभी हो सकती है जब उनके जीवन में कोई अप्रत्याशित घटना घटे। सलाहकार का कहना है कि विनिर्माण क्षेत्र के बड़े कारोबारियों समेत उनके तमाम क्लाइंटों के लिए घर से काम करना बस एक कागजी बात है।
सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की एक बड़ी कंपनी ने 25/25 का मंत्र अपनाया है। कंपनी का कहना है उसे केवल 25 प्रतिशत कर्मचारी ही कार्यालय में चाहिए। केवल इतने कर्मचारियों की मदद से वह 100 फीसदी उत्पादकता सुनिश्चित कर सकती है और 2025 तक वह एक ऐसा मॉडल तैयार करना चाहती है जहां इस लक्ष्य को हासिल किया जा सके।
यह सही है कि देश के सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के कर्मचारियों में से 80 फीसदी फिलहाल घर से काम कर रहे हैं। परंतु ऐसा बहुत सीमित समय तक ही हो सकता है। लब्बोलुआब यह कि घर से काम करने को लेकर बहुत उत्साहित होने की आवश्यकता नहीं है। इसे समझने के लिए दुनिया भर के कर्मचारियों के अनुभवों को जानना दिलचस्प रहेगा। इसमें मेरे कुछ सहकर्मी भी शामिल हैं। घर से काम करने को लेकर पनपा शुरुआती उत्साह अब गायब हो रहा है। अब इस सिलसिले को शुरू हुए एक महीने से अधिक वक्त हो गया है और इसका अंत नजर नहीं आ रहा है। काम और निजी जीवन के बीच की सीमा पूरी तरह समाप्त हो गई है।
वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क सेवा प्रदाता नॉर्डवीपीएन टीम्स के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में कर्मचारी मार्च के मध्य की तुलना में रोजाना तीन घंटे तक अतिरिक्त लॉग इन रहते हैं। यूरोप के अधिकांश देशों में यह इजाफा 40 फीसदी तक है। वहां कार्य दिवस औसतन दो घंटे तक बढ़ गया है।
काम के घंटों का विस्तार यकीनन भारत में भी इसी प्रकार हुआ है। एक बात यह भी है कि लोगों ने अपने रहने की जगह को अस्थायी रूप से कार्यालय में तब्दील कर लिया है, ऐसे में उनके लिए इससे अलग हो पाना संभव नहीं है। इसकी वजह से गुणवत्तापूर्ण समय और काम तथा जीवन के बीच का संतुलन लगभग समाप्त हो चुका है। इस बात को एक कार्टून में बखूबी दर्शाया गया है जहां एक पत्नी अपने पति से कह रही है कि उसे शायद किसी और के घर से काम करना चाहिए।
कई कंपनियां जो सार्वजनिक रूप से यह कहती रही हैं कि घर से काम करना दीर्घावधि के लिए एक अच्छा हल है लेकिन निजी बातचीत में उनका कहना है कि कर्मचारियों के घर से काम करने से संवाद में कमी आ रही है और सहकर्मियों के बीच तालमेल भी कमजोर हो रहा है। उनका यह भी कहना है कि कार्यालय में कर्मचारी अनौपचारिक रूप से जो सीखते हैं वह सिलसिला घर से काम करने से टूट रहा है।
इन पूर्वग्रहों के बावजूद इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि घर से काम करना सीमित समय के लिए ही सही लेकिन बरकरार रहने वाला है। ऐसे में कंपनियों को इन्हें कारगर बनाने के तरीके तलाशने होंगे। इसके लिए सबसे पहले मानसिकता में बदलाव लाना होगा। जो नियोक्ता कर्मचारियों से घर से काम कराना चाहते हैं उन्हें कर्मचारियों के काम का सूक्ष्म प्रबंधन करने के बजाय सच्ची स्वायत्तता और काम करने में लचीलापन मुहैया कराना होगा। सबसे बड़ी प्राथमिकता काम की प्रकृति पहचानने की होनी चाहिए। तात्कालिक प्राथमिकता के तहत काम के प्रकार को चिह्नित किया जाना चाहिए। यदि कोई काम बहुत अधिक स्वायत्त है तो कर्मचारी साथी कर्मचारियों के साथ बहुत कम संवाद या कम सहयोग के बिना भी अपना काम कर सकता है। इन हालात में घर से काम करना मुफीद रहेगा। घर से काम करने में वर्चुअल टीम भी शामिल होती हैं। जहां पारंपरिक मानव संसाधन मॉडल अप्रासंगिक होते हैं। वजह एकदम साधारण है: पारंपरिक संगठनात्मक पदानुक्रम ऐसी टीम में निरर्थक होते हैं जहां सदस्य शायद कभी-कभी ही एक दूसरे से मिलते हों। कंपनियों को देखना होगा कि ऐसी टीमें बिना अलगथलग होने के भाव अबाध रूप से कैसे काम करेंगी क्योंकि इसकी वजह से लोगों को यह लग सकता है कि वे पीछे छूट गए हैं, उन्हें पर्याप्त सूचनाएं नहीं मिल पातीं या उन्हें सच नहीं पता चल पा रहा है। यही कारण है कि कई कंपनियों ने नियमित मुलाकात के कार्यक्रम शुरू किए हैं जहां वर्चुअल टीम सदस्य मिलते हैं।
कई अन्य काम करने होते हैं। वर्चुअल टीमों का प्रबंधन करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि कॉर्पोरेट संस्कृति का प्रबंधन दूर से करना होता है। ऐसे में नियमित संवाद आवश्यक है। टीम लीडरों को व्यक्तिगत स्तर पर सदस्यों के साथ अधिक समय बिताना पड़ता है। आखिरकार तकनीक लोगों को जोडऩे का काम बेहतर तरीके से करती है लेकिन केवल मजबूत रिश्ते ही लोगों को आपस में जुड़ा हुआ महसूस कराते हैं।
दूर से काम करने वाले कर्मचारी काम से विमुख भी हो सकते हैं क्योंकि काम और पारिवारिक जीवन के बीच की सीमा रेखा स्पष्ट नहीं होती। घर से काम करने का अर्थ यह नहीं कि काम 24 घंटे चलता रहे।
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