आईडीएफसी फर्स्ट बैंक ने हाल में 2,000 करोड़ रुपये की इक्विटी पूंजी जुटाने की घोषणा की है। बैंक के एमडी एवं सीईओ वी वैद्यनाथन ने हंसिनी कार्तिक से बातचीत में कहा कि बैंक ने वृद्धि के लिए खुद को तैयार रखने और कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण परिसंपत्ति गुणवत्ता में किसी तरह के व्यवधान से निपटने के लिए यह पूंजी जुटाई है। पेश हैं मुख्य अंश:
क्या यह कहना उचित होगा कि जुटाई गई रकम कोविड सुरक्षा फंड के लिए है?
हमारा कारोबारी मॉडल काफी दमदार है। पिछले एक साल के दौरान हमारे खुदरा ऋण खाते में 30 फीसदी की वृद्धि हुई है और हमें लगता है कि यह वृद्धि बरकरार रह सकती है। हमारे सीएएसए में 157 फीसदी की वृद्धि हुई है। ये मजबूत आंकड़े हैं। लेकिन किसी बैंक की वृद्धि के लिए इक्विटी पूंजी उसकी बुनियाद होती है। साथ ही हम कोविड के कारण पैदा हुई अनिश्चितताओं से निपटने के लिए तैयार रहना चाहते थे। जुटाई गई रकम से हमारा सीईटी-1 पूंजी अनुपात 200 आधार अंक बढ़कर 15.3 फीसदी हो गया है।
यह निर्णय लेने में कोविड की कितनी भूमिका थी?
एक बैंकर के तौर पर मेरा पहला काम सुरक्षित रहना है। यदि हवा में मुझे कोई बुखार दिखता है तो मुझे सबसे पहले बीमा सुरक्षा लेना चाहिए। जुटाई गई पूंजी उसी बीमा सुरक्षा की तरह है। प्रति शेयर बुक वैल्यू 31.8 रुपये से करीब 4.5 फीसदी घटकर 30.4 रुपये रह गया है लेकिन आसानी से सांस लेने के लिए यह मामूली कीमत है।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ एवं अन्य बीमा कंपनियां बेहतर स्थिति में क्यों थी क्योंकि कुछ साल पहले आप उन संस्थानों का नेतृत्व कर रहे थे?
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ मेरे कैपिटल फस्र्ट के दिनों से ही संपर्क में रही है। उन्होंने इस बैंक को कैपिटल फस्र्ट 2.0 एचडीएफसी लाइफ के तौर पर देखते थे और बजाज आलियांज लाइफ ने भी निवेश किया है। आईडीएफसी अपनी हिस्सेदारी को 40 फीसदी पर बरकरार रखने के लिए 800 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश कर रही है। वारबर्ग पिंकस के पास एक विकल्प था लेकिन उसने हमारे यहां निवेश करना बेहतर समझा। दीर्घावधि निवेश के लिहाज से लोगों को हमारे बैंक में जबरदस्त अवसर दिखेंगे। हमारा कारोबार बिल्कुल सरल है। हम जमा लेते हैं और अच्छे लोगों को उधारी देते हैं। हमारा कोई जटिल कारोबार नहीं है। हमारा कंपनी प्रशासन भी बेहतरीन है।
लॉकडाउन के दौरान बैंक का कारोबार कैसे बेहतर रहा?
अप्रैल में ऋण वितरण लगभग नहीं के बराबर रहा। सुस्ती कुछ समय के लिए बरकरार रहेगी। हम कुछ भी खर्च नहीं कर रहे हैं, आपके अलावा कोई भी कुछ नहीं कमा रहा है और जब नकदी प्रवाह नहीं दिखेगा तो किसी भी कमाई नहीं हो पाएगी। धीरे-धीरे लॉकडाउन को हटाए जाने से अर्थव्यवस्था रफ्तार में आएगी। हो सकता है कि आपके बाल बढ़ गए होंगे, आपके कपड़े पुराने हो गए होंगे, तो आप सैलून जाएंगे अथवा खुदरा विक्रेताओं के पास खरीदारी करेंगे। उससे स्थिति सुधरेगी।
क्या लॉकडाउन के बढ़ाए जाने से बैंकिंग प्रणाली के सुधार में देरी होगी?
हां, कोविड के कारण बैंकिंग प्रणाली पीछे चली गई है। लेकिन सरकार ने काफी सक्रिया दिखाते हुए लॉकडाउन लागू करने की अच्छी पहल की है। आप अंदाजा नहीं लगा सकते कि लॉकडाउन नहीं होता तो कितने लाख लोग इस बीमारी से संक्रमित हो जाते। लेकिन अब धीरे-धीरे व्यवस्था को सुचारु करना चाहिए क्योंकि लोगों की वित्तीय स्थिति जल्द ही खराब हो सकती है।