'केंद्र पर 3 लाख करोड़ रुपये बकाया' | बीएस संवाददाता / नई दिल्ली May 05, 2020 | | | | |
कोरोनावायरस की महामारी से चोट खाए और देशबंदी की तपिश झेल रहे उद्योग जब जोर शोर से प्रोत्साहन पैकेज की मांग कर रहे हैं, उस समय केंद्र सरकार और उसकी एजेसियों के पास कंपनियों और राज्य सरकारों का करीब 3 लाख करोड़ रुपये का बकाया है।
एसोचैम के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि विभिन्न सरकारी अधिकारियों के साथ उनकी बातचीत होने पर पता चला कि उद्योग और राज्य सरकारों के विभिन्न लंबित बकायों में आयकर, मूल्यवर्धित कर, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के रिफंड और क्षतिपूर्ति, विद्युत क्षेत्र में वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) का भुगतान और उर्वरक सब्सिडी आदि शामिल हैं।
उनका अनुमान है कि यह कुल मिलाकर 3 लाख करोड़ रुपये है।
हीरानंदानी ने कहा कि चैंबर ने 13 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेजों की मांग की है। प्रोत्साहन के अन्य हिस्सों में बैंकों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड होना चाहिए ताकि उद्योग को ऋण दिया जाए और छह महीने के लिए जीएसटी दर में 50 फीसदी की कटौती हो।
उद्योग के विशेषज्ञ कहते हैं कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को परियोजनाएं पूरी करने वाले ठेकेदारों सहित विभिन्न एजेंसियों को अभी भी 18,000 से 20,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना है।
हालांकि इस क्षेत्र के एक विशेषज्ञ ने कहा कि बकाये के भुगतान को प्रोत्साहन पैकेज नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने कहा, 'जब सरकार कुछ अतिरिक्त रकम देती है तभी उसे प्रोत्साहन कहा जाता है।'
इधर दूरसंचार विभाग ने जीएसटी रिफंड सहित करीब 35,000 करोड़ रुपये बकाया बताया है। फिर राज्य सरकारों का बकाया है। केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के नवंबर तक के मुआवजे का भुगतान किया है। केंद्र ने पूरे वर्ष के महज 95,000 करोड़ रुपये के संग्रह के बदले राज्यों को 1.2 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया है। यह भुगतान क्षतिपूर्ति उपकर के माध्यम से किया गया है। उपकर संग्रह 98,327 करोड़ के संशोधित अनुमान से 3,000 करोड़ रुपये कम रह गया।
राज्य सरकारों के कई और बकायों का भुगतान केंद्र को करना है। उदाहरण के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा था कि केंद्र 36,000 करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान करे और राज्य को 11,219 करोड़ रुपये का फंड दें। पैसों की तंगी से घिरे राज्यों द्वारा बकायों का भुगतान नहीं किए जाने से उद्योग भी मुश्किल का सामना कर रहे हैं।
प्राप्ति पोर्टल के मुताबिक राज्यों को अभी 92,891 करोड़ रुपये का भुगतान बिजली उत्पादन कंपनियों को करना है जिनमें केंद्र और निजी स्वामित्व वाली दोनों तरह की कंपनियां हैं। इंडियन इलेक्ट्रिकल ऐंड इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईईईएमए) ने अनुमान लगाया है कि बिजली उपकरण उद्योग का राज्य सरकारों पर बकाया 7,500 करोड़ रुपये का है। कोयला और इस्पात पर बनी स्थायी समिति की रिपोर्ट कहती है कि राज्यों के पास कोल इंडिया और उसकी सहायक कंपनियों का 22,770 करोड़ रुपये बकाया है।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अनुमानों के मुताबिक विद्युत परियोजनाओं को भी राज्य से 9,000 करोड़ रुपये मिलने हैं।
(साथ में श्रेया जय, मेघा मनचंदा, दिलाशा सेठ, सुरजीत दासगुप्ता और इंदिवजल धस्माना)
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