कांग्रेस के दबाव में किराये पर बदला रुख | शाइन जैकब / नई दिल्ली May 04, 2020 | | | | |
केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के दौरान श्रमिक विशेष रेलगाडिय़ों से प्रवासी कामगारों को अपने गृह राज्य पहुंचाने के किराये को लेकर अपना रुख बदलते हुए सोमवार को कहा कि उनकी यात्रा मुफ्त होगी और इसकी लागत केंद्र और राज्य वहन करेंगे।
यह कदम नरेंद्र मोदी सरकार ने राजनीतिक दबाव में आने के बाद उठाया है। दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपनी राज्य इकाइयों को एक पत्र भेजकर कहा कि प्रत्येक प्रदेश कांग्रेस कमेटी कामगारों और प्रवासी श्रमिकों की रेल यात्रा की लागत का भार वहन करेगी। इससे पहले श्रमिकों से पूर्व निर्धारित एक स्थान से दूसरे गंतव्य स्थान तक की यात्रा के लिए सुपर फास्ट ट्रेनों के स्लीपर क्लास का किराया और 50 रुपये अतिरिक्त वसूले जा रहे थे। प्रवासियों को अपने घर गृह पहुंचाने के लिए ट्रेनों का परिचालन 1 मई से शुरू हुआ था। कांग्रेस को राजनीतिक बढ़त मिलने से सरकार ने शाम को कहा कि वह विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासियों, छात्रों और पर्यटकों से कोई किराया नहीं वसूल रही है। सरकार के प्रवक्ता ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, 'न सरकार ने और न ही रेलवे ने कामगारों से यात्रा शुल्क वसूलने का संकेत दिया था। इस यात्रा लागत का 85 फीसदी हिस्सा रेलवे वहन करेगा, जबकि शेष 15 फीसदी हिस्सा राज्य वहन करेंगे। राज्य इन फंसे यात्रियों के आवागमन में केवल समन्वय कर रहे हैं।'
रेलवे के एक पूर्व वित्त आयुक्त ने कहा कि वित्त मंत्रालय को रेलवे की इस लागत की भरपाई करनी चाहिए क्योंकि उसे लॉकडाउन के कारण पहले ही कारोबारी नुकसान हो रहा है। रेलवे की यात्री आमदनी 25 मार्च से शून्य रही है। वहीं अप्रैल के पहले 20 दिनों में माल भाड़े से आमदनी भी पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 42 फीसदी घटी है। मार्च 2020 में रेलवे की यात्री आमदनी 62 फीसदी घटी, जबकि मालभाड़ा आय मार्च 2019 की तुलना में 38 फीसदी घटी।
गांधी का पत्र सार्वजनिक होने के बाद भाजपा भी तत्काल बचाव की मुद्रा में आ गई। पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने सार्वजनिक रूप से कहा कि भारतीय रेलवे ने राज्यों के साथ मिलकर प्रवासियों की यात्रा का भार उठाया है और किसी से कोई शुल्क नहीं वसूला जा रहा है। राज्य सभा सदस्य और भाजपा के नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने भी ट्वीट किया कि उन्होंने केंद्रीय रेलव मंत्री पीयूष गोयल के कार्यालय से बात की थी और सरकार प्रवासियों की यात्रा के शुल्क को माफ करेगी।
राजनीतिक घमासान में कूदते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष के निर्देशानुसार फैसला लिया है कि वह विशेष ट्रेनों से राजस्थान से अन्य राज्यों में प्रवासी कामगारों को भेजने के लिए रेलवे को भुगतान करेगी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य देश भर में फंसे प्रवासियों की टिकटों के लिए भुगतान करेगा। वहीं केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि उन्होंने उम्मीद की थी कि यह लागत केंद्र वहन करेगा। गांधी ने पीएम कोरोना फंड में दान देने मगर प्रवासियों से टिकट की कीमत वसूलने के लिए रेलवे की आलोचना की।
एक अनुमान के मुताबिक औसतन 2,000 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली श्रमिक स्पेशल का कुल किराया 10 लाख रुपये के आसपास होगा। सोनिया गांधी ने अपने पत्र में कहा था, 'जब हमारी सरकार विदेश में फंसे नागरिकों के लिए मुफ्त हवाई यात्रा की व्यवस्था करने की अपनी जिम्मेदारी समझती है, जब सरकार गुजरात में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में परिवहन एवं खान-पान पर करीब 100 करोड़ रुपये खर्च कर सकती है, जब रेल मंत्रालय पीएम कोरोना फंड में 151 करोड़ रुपये दान दे सकता है तो क्या हमारे देश के ताने-बाने के इन आवश्यक सदस्यों को इस संकट की घड़ी में मुफ्त रेल यात्रा नहीं मुहैया कराई जा सकती?'
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