कोरोनावायरस की वजह से बाजार में भारी गिरावट उन निवेशकों के लिए कष्टदायी साबित हो रही है, जो तेजी के दौर में पोर्टफोलियो मैनेजमेंट स्कीम (पीएमएस) से जुड़े थे। पीएमएस अपने आप में 'अधिक जोखिम और अधिक प्रतिफल' वाली श्रेणी है, जो बुनियादी रूप से धनी निवेशकों के लिए है। इस श्रेणी में दाखिल होने वाले बहुत से लोगों के लिए इस समय चल रहा उतार चढ़ाव झेलना आसान साबित नहीं हो रहा है। पीएमएस के बारे में विश्लेषण करने वाले और उससे जुड़ी सलाह देने वाले पोर्टल पीएमएसबाजार डॉट कॉम के आंकड़ों के मुताबिक जिस पीएमएस का सबसे खराब प्रदर्शन रहा है, वह मार्च में 40.6 फीसदी नीचे आया है। यह पोर्टल जिन 141 फंडों के आंकड़े जुटाता है, उनमें से 89 पिछले महीने निफ्टी पर 22.5 फीसदी से अधिक लुढ़के हैं।चिंता की वजह पीएमएस निवेशकों की चिंता की कुछ खास वजह हैं। पहली वजह यह है कि मिड और स्मॉल-कैप की श्रेणियों में उनका जरूरत से ज्यादा आवंटन है। जिन लोगों ने 2016-17 में पीएमएस में प्रवेश किया था, उन्होंने ज्यादातर निवेश मिड और स्मॉल कैप में इसलिए किया था क्योंकि तब ये श्रेणियां बहुत ऊंचा प्रतिफल दिखा रही थीं। लेकिन इन श्रेणियों ने जनवरी 2018 से अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। बहुत से निवेशकों को तीन साल की अवधि में भी कमजोर प्रतिफल नजर आ रहा है। ऐसे निवेशक इन योजनाओं से निकलने की तैयारी कर रहे हैं। ज्यादातर पीएमएस फंडों ने पोर्टफोलियो पर ध्यान केंद्रित किया है। ऐसे पोर्टफोलियो बाजार में भारी गिरावट के दौर में डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो की तुलना में ज्यादा लुढ़कते हैं। हाल के वर्षों में पीएमएस कंपनियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। लेकिन बहुत से प्रबंधकों ने इस तरह की भारी गिरावट कभी नहीं देखी। उस अनुभव की कमी का भी असर पड़ रहा है।कुछ ने किया बेहतर प्रदर्शन हालांकि सभी ने खराब प्रदर्शन नहीं किया है। इस क्षेत्र में बहुत से अच्छे फंड प्रबंधकों ने अपने निवेशकों को अच्छी जोखिम सुरक्षा मुहैया कराई है। उनके पोर्टफोलियो अपने संबंधित बेंचमार्क की तुलना में कम लुुढ़के हैं। उदाहरण के लिए सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली पीएमएस योजना मार्च में केवल तीन फीसदी गिरी है।अच्छे पीएमएस से जुड़ें जिन फंड प्रबंधकों ने अच्छा पोर्टफोलियो बनाया है, उन्हें पूरा भरोसा है कि वे इस भारी गिरावट के दौर को पार कर जाएंगे। आस्क इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के कारोबार प्रमुख और मुख्य निवेश अधिकारी प्रतीक अग्रवाल ने कहा, 'हम अच्छे कारोबरों को चुनते हैं, जिनमें नकदी प्रवाह सृजित करने की क्षमता है, जो आगामी वर्षों में अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं और जिनमें कंपनी प्रशासन को लेकर कोई अड़चन नहीं हैं।' आस्क इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स 8,696 करोड़ रुपये के इंडिया एंटरप्रेन्योर पोर्टफोलियो का परिचालन करती है। जिन निवेशकों ने उन लार्ज कैप पीएमएस योजनाओं में निवेश किया हुआ है, जिनमें फंड प्रबंधक कीमत को लेकर सजग है और अपनी खरीद के लिए ऊंची कीमत नहीं देना चाहता है, उनमें निवेशकों को कम चिंता करने की जरूरत है। मोतीलाल ओसवाल एएमसी में फंड प्रबंधक (इक्विटी पीएमएस) श्रेय लूणकर कहा, 'लार्ज-कैप को स्केल और बैलेंस शीट का फायदा मिलता है। वे पहले भी ऐसी आर्थिक गिरावट के दौर को पार कर चुकी हैं और इसलिए वे इन हालातों से निपटने में छोटी कंपनियों की तुलना में बेहतर स्थिति में हैं। दरअसल ऐसी गिरावट में उनकी बाजार हिस्सेदारी बढ़ती है।' लूणकर लार्ज कैप आधारित मोतीलाल ओसवाल वैल्यू स्ट्रैटेजी का प्रबंधन करते हैं। इसके अलावा लार्ज कैप में गिरावट की एक प्रमुख वजह यह भी है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बड़ी मात्रा में रकम निकाल ली है। वह कहते हैं, 'जब अर्थव्यवस्था और एफआईआई के प्रतिफल में सुधार आएगा तो यह श्रेणी सुधार में सबसे आगे रहेगी।' बताया जा चुका है कि इस समय मिड और स्मॉल कैप सबसे ज्यादा मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। पिछले तीन साल के दौरान निफ्टी सपाट (-0.3 फीसदी) रहा है, निफ्टी मिडकैप 100 10.4 फीसदी लुढ़का है और निफ्टी स्मॉलकैप में 18.7 फीसदी गिरावट आई है। इस क्षेत्र में भी अच्छे पोर्टफोलियो वाले फंड प्रबंधक बेहतर प्रदर्शन करेंगे। सुंदरम एल्टरनेट्स में फंड प्रबंधक मदनगोपाल रामू ने कहा, 'मिड और स्मॉल कैप क्षेत्र में 100 से अधिक कंपनियों ने पिछले 10 वर्षों के दौरान 20 फीसदी या उससे अधिक चक्रवृद्धि सालाना प्रतिफल दिया है। आपको लार्ज कैप क्षेत्र में ऐसी बहुत कंपनियां नहीं मिलेंगी, जिन्होंने इतना प्रतिफल दिया है। आपकी योजना का निवेश ऐसी शानदार प्रतिफल करने वाली कंपनियों में होना चाहिए।' रामू मिड-कैप पर आधारित सुंदरम इमर्जिंग लीडर्स फंड का प्रबंधन करते हैं। कंपनियां चुनते वक्त वह देखते हैं कि किनका प्रतिफल अनुपात अच्छा है, बैलेंस शीट मजबूत है, नकदी प्रवाह सतत है और प्रबंधन भी अच्छा है। वह कहते हैं, 'अगर आप इस तरह का अनुशासनात्मक तरीका अपनाने वाले फंड से जुड़ते हैं तो आपको बहुत अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है।' पकडि़ए पुरानी राह बाजार में ताजा गिरावट फिर से निवेशकों के लिए अपने पोर्टफोलियो को जांचने का मौका है। पहला, निस्संदेह पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइड होना चाहिए। प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के मुख्य वित्तीय योजनाकार विशाल धवन ने कहा, 'म्युचुअल फंडों समेत अपने पूरे पोर्टफोलियो को देखें। यह सुनिश्चित करें कि आपने सभी परिसंपत्ति वर्गों, बाजार पूंजीकरण और फंड प्रबंधकों में डायवर्सिफाई किया है।' अगर आपने पोर्टफोलियो में मिड और स्मॉल कैप का हिस्सा अधिक है तो लार्ज और मल्टी कैप योजनाओं का रुख करें। निवेशकों को इस गिरावट के दौर में अपनी योजना के प्रदर्शन को जांचना चाहिए। प्लूटस कैपिटल में प्रबंध साझेदार अंकुर कपूर ने कहा, 'अच्छे पोर्टफोलियो वाली योजनाएं अपने बेंचमार्क से कम गिरी होंगी और उनमें सुधार भी तेजी से आएगा।' अगर आपकी योजना का पोर्टफोलियो बेंचमार्क से अधिक लुढ़का है तो आपके पास चिंता करने की वजह है और आपको अपने सलाहकार से परामर्श लेना चाहिए। कपूर कहते हैं कि जो फंड प्रबंधक कंपनियों को चुनने में फंडामेंटल और अनुसंधान का सहारा लेते हैं, वे उन प्रबंधकों से बेहतर प्रदर्शन करेंगे, जो खबरों के आधार पर निवेश करते हैं। योजना के पोर्टफोलियो को जांचते वक्त ऐसी छोटी कंपनियां देखें, जिन पर कर्ज का भारी बोझ है। ऐसी बहुत सी कंपनियां मौजूदा गिरावट में अपना वजूद नहीं बचा पाएंगी और वे पोर्टफोलियो को खराब करेंगी। हाल के समय में पोर्टफोलियो में भारी फेरबदल भी चिंता का एक अन्य संकेत है। लूणकर ने कहा, 'यह फंड प्रबंधक में दूरदर्शिता के अभाव को दर्शाता है।' निवेशकों को अपनी जोखिम उठाने की क्षमता भी फिर से आकलन करना चाहिए। वनट्रीहिलवेल्थ पार्टनर्स के संस्थापक जय शाह ने कहा, 'बहुत सी पीएमएस योजनाएं पांच से सात साल की अवधि के दौरान 25 फीसदी चक्रवृद्धि सालाना प्रतिफल देने की क्षमता रखती हैं। लेकिन वे किसी वर्ष में 40 फीसदी गिर भी सकती हैं। इस तरह के माहौल में निवेशकों को खुद से यह पूछना चाहिए कि क्या वे ऐसे हाई बीटा पोर्टफोलियो में रहना चाहते हैं या नहीं।' शाह पीएमएसकार्ट डॉट कॉम भी चलाते हैं। जो निवेशक 7 से 10 साल तक की अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं, वे अपना इक्विटी आवंटन बढ़ाने और आकर्षक मूल्यांकन का फायदा हासिल करने के लिए इस मौके का इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि पीएमएस में पुराने निवेशकों के लिए ऐसा करना मुश्किल हो सकता है। पीएमएसबाजार डॉट कॉम के संस्थापक निदेशक पल्लवरंजन आर ने कहा, 'नियामक ने पीएमएस में न्यूनतम निवेश की सीमा 25 लाख रुपये से बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दी है। पुराने निवेशक, जिन्होंने 25 लाख रुपये की सीमा होने के समय प्रवेश किया था, वे अपना निवेश बनाए रख सकते हैं। लेकिन अगर वे अपना निवेश बढ़ाना चाहें तो उन्हें अतिरिक्त 25 लाख रुपये की जरूरत होगी। यह मुश्किल साबित हो रहा है क्योंकि ज्यादातर निवेशक निवेश में थोड़ी राशि की बढ़ोतरी करना चाहते हैं।' जिन निवेशकों के पास अतिरिक्त नकदी बहुत अधिक नहीं है, उनके हाथ वाकई इस समय बंधे हुए हैं। उनके लिए म्युचुअल फंडों के जरिये निवेश बढ़ाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। हाल में इंडियानिवेश पीएमएस के बंद होने से भी खुदरा निवेशक सबक सीख सकते हैं। धवन ने कहा, 'ऐसी पीएमएस कंपनियां चुनें, जिनकी प्रबंधनाधीन संपत्ति कम से कम 1,000 करोड़ रुपये है। इसकी वजह यह है कि वे अपनी निश्चित लागत का बोझ उठाने और इस गिरावट से दौर से उबरने के लिए बेहतर स्थिति में हैं।'
