देशबंदी के कारण वित्तीय दबाव से मुश्किल में धातु क्षेत्र के एमएसएमई | दिलीप कुमार झा / मुंबई May 04, 2020 | | | | |
सेकंडरी मेटल के उत्पादन में लगे छोटे एवं मझोले उद्योग (एसएमई) भारी वित्तीय दबाव से गुजर रहे हैं और उनकी फैक्टरी का मूल्य घट रहा है। देशबंदी की वजह से बाजार खुलने में देरी हो रही है। मगर उन्हें तय लागत जैसे मजदूरी और कार्यशील पूंजी के रूप में लिए गए कर्ज पर ब्याज के अलावा अन्य खर्चों का भुगतान करना पड़ रहा है।
जो इकाइयां आयातित कच्चे माल पर निर्भर हैं, देशबंदी के दौरान डिमरेज ऐंड डिटेंशन चार्जेज के कारण उनकी लागत बढ़ी है। मुश्किल इतने पर ही खत्म नहीं हो रही। आगे कार्यशील पूंजी को लेकर कठिनाइयों की वजह से दबाव और बढ़ा है।
मटीरियल रिसाइक्लिंग एसोसिएशन आफ इंडिया के अध्यक्ष संजय मेहता ने कहा, 'करीब 6000 एसएमई और माइक्रो एसएमई (एमएसएमई) सेकंडरी मेटल के उत्पादन में लगे हैं, जो धातु के कबाड़ और कागज की रद्दी को रिसाइकल करते हैं। उन्हें अपने कर्मचारियों को भुगतान देने में दिक्कत आ रही है। उन्हें किराया, बिजली बिल, पानी बिल और ब्याज लागत सहित नियत लागत वहन करने में भी दिक्कत हो रही है और उनके पास धन नहीं है। इसमें डिमरेज ऐंड डिटेंशन चार्जेज भी शामिल हैं। इसे देखते हुए सरकार को इस क्षेत्र के लिए तत्काल हस्तक्षेप करने की जरूरत है।'
इस समय 25 मार्च से शुरू हुई देशबंदी से रिसाइक्लिंग संयंत्र नहीं चल रहे है। आय का कोई स्रोत न होने के कारण इन इकाइयों का नकदी प्रवाह थम गया है।
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